बाघ पर निबंध

Essay on Tiger in Hindi

बाघ पर निबंध : Essay on Tiger in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘बाघ पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप बाघ पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

बाघ पर निबंध : Essay on Tiger in Hindi

निबंध 1 (300 शब्द)

प्रस्तावना:-

विश्व मे बहुत से जानवर पाए जाते है। जिनमें से कुछ जानवर शाकाहारी होते है, तो कुछ मांसाहारी होते है। कुछ जंगल मे रहते है, तो कुछ मानव के साथ रहते है।

इन्हीं में से एक जानवर है, जिसका नाम है:- बाघ। बाघ एक जंगली जानवर है। यह जंगली पशुओं में सबसे शक्तिशाली जानवरों की श्रेणी में आता है।

यह अपनी प्रजाति में सबसे ताकतवर जानवर है। बाघ शब्द को संस्कृत भाषा के व्याघ्र के तत्भव रुप से लिया गया है।

यह भारत का राष्ट्रीय पशु भी है। बाघ एक बहुत ही सुंदर जानवर है। भारतीय संस्कृति में बाघ का एक प्रमुख स्थान है। इसका वैज्ञानिक नाम पेंथेरा है।

शारीरिक संरचना:-

बाघ बिल्ली की प्रजाति का सबसे बड़ा जानवर होता है। इसका रंग लाल व पीले रंग के मिश्रण से बना होता है।

इसके पूरे शरीर पर काले रंग की धारियां बनी होती है, जो इसे शिकार के दौरान झाड़ियों में छिपने में बहुत मदद करती है। वक्ष के भीतरी हिस्से व पैरों का रंग सफेद होता है।

इसकी लंबाई 13 फ़ीट व इसका वजन 300 किलोग्राम तक हो सकता है। इसका जबड़ा बहुत ही मजबूत होता है। इसके 30 दांत होते है, जिनकी लंबाई 2.5 इंच से 3 इंच तक होती है।

इसके नुकीले दांत शिकार करने व भोजन करने में मदद करते है। इसके पंजे के नाखून बहुत तेज होते है, जो शिकार के शरीर मे आसानी से घुस जाते है।

इसका शरीर बहुत ही मजबूत व गठीला होता है। इसके चार पैर होते है। इसकी पूछ की लंबाई 2 से 3 फ़ीट तक होती है।

बाघ का भोजन:-

बाघ मुख्य रूप से एक शाकाहारी जानवर है। यह एक जंगली जानवर है। यह अपना भोजन शिकार करके प्राप्त करता है।

इसका प्रमुख शिकार सांभर, चीतल, जंगली सूअर, भैंसे, जंगली हिरण, गौर और मनुष्य के पालतू पशु है। यह पूरे दिनभर सोता है और रात में शिकार करता है।

इसकी देखने, सुनने, व सूंघने की शक्ति बहुत तीव्र होती है। यह अपना शिकार छिपकर करता है। यह जानवर पर पीछे से हमला करता है।

यह शिकार की गर्दन पर हमला करता है। यह बड़ी एकाग्रता व धीरज से कईं घंटों तक बैठकर शिकार पर नजर रखता है और मौका मिलते ही झपट्टा मारकर शिकार को पकड़ लेता है।

वैसे तो यह बहुत तेज़ दौड़ता है, लेकिन बड़ा शरीर होने के कारण यह ज्यादा दूर तक नही दौड़ पाता है और जल्दी थक जाता है। इसी वजह से यह शिकार का पीछा ज्यादा देर तक नहीं कर पाता है।

इसलिए यह 20 शिकार के प्रयासों पर सिर्फ 1 बार ही शिकार कर पाता है। यह बहुत दूर तक छलांग मार सकता है। यह मुख्य रूप से रात में ही शिकार करना पसंद करता है।

बाघ का जीवन:-

बाघ हमेशा अकेला रहना पसंद करता है। बाघ सिर्फ प्रजनन के समय ही बाघिन के साथ आता है। बच्चों को जन्म देने से लेकर पालने की जिम्मेदारी बाघिन की ही होती है।

बाघिन 3 माह का गर्भ धारण करती है। इसके द्वारा एक बार में 2 से 3 शावकों को जन्म दिया जाता है। बाघ के बच्चे अपना शुरुआती जीवन अपनी माँ के साथ बिताते हैं।

जिस दौरान वें शिकार करने की कला भी अपनी माँ से सीखते है। लगभग 2 वर्ष 6 माह के पश्चात यें शावक स्वतंत्रतापूर्वक घूमने लगते है। इनका औसत जीवनकाल 19 वर्ष के लगभग होता है।

बाघ की प्रजातियां:-

बाघ बहुत ही प्राचीन जीव है। प्राचीन समय में इसकी कुल 8 प्रजातियाँ हुआ करती थी। लेकिन, वर्तमान समय में इसकी 3 प्रजातियाँ पूर्ण रूप से लुप्त हो गई है और अब सिर्फ 5 प्रजातियाँ ही शेष बची है।

लुप्त होने वाली प्रजातियों में बाली, जावा व एक अन्य प्रजाति शामिल है। वर्तमान समय में सिर्फ 5 प्रजातियां ही जीवित बची है।

जिनमें बंगाल का रॉयल बंगाल टाइगर, साउथ-चाइना टाइगर, साइबेरियन बाघ, इंडो-चाईनीज टाइगर व सुमात्रा प्रजाति के बाघ शेष है।

बाघ का संरक्षण:-

आज बाघ एक संकटग्रस्त प्राणी है। इनकी संख्या विश्वभर में लगातार घटती ही जा रही है। इसका प्रमुख कारण लगातार होते अवैध शिकार व इसके निवास का लगातार क्षति होने से है।

आज पूरी दुनिया के 70 प्रतिशत बाघ सिर्फ भारत में ही मौजूद है। विश्व में बाघों की संख्या करीब 6000 है। जिनमें से लगभग 4000 से अधिक बाघ भारत में ही निवास करते है।

इसके संरक्षण के लिए लोगों को लगातार जागरूक करना होगा। सरकार भी बाघों के संरक्षण के लिए बहुत से कदम उठा रही है। सन 1969 से भारत मे बाघ के शिकार पर पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगा दिया।

इसके पश्चात सन 1972 में शुरू किये गए वन्य-प्राणी संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत बाघों के संरक्षण के लिए कईं आवश्यक कदम उठाए गए। इसके अंतर्गत सम्पूर्ण देश में कुल 23 संरक्षण केंद्र बनाए गए।

जिसके लिए सबसे पहला टाइगर रिजर्व कान्हा रिजर्व को चुना गया। इसमें बाघों को आवश्यक प्राकृतिक वातावरण उपलब्ध करवाया जाता है, जिससे उनकी संख्या में इजाफा हो सके।

उपसंहार:-

बाघ एक दुर्लभ जीव है। आज किन्हीं कारणों की वजह से इनकी संख्या बहुत कम हो गई है। बाघ की कईं प्रजातियां तो लुप्त हो गई है और कुछ लुप्त होने की कगार पर है।

बाघ बहुत ही सुंदर जानवर है। वह पर्यावरण तंत्र को बनाए रखने में अपनी भूमिका निभाता है। बाघ को भारत का राष्ट्रीय पशु भी घोषित गया है।

भारत में विश्व के 70 प्रतिशत से भी अधिक बाघ पाए जाते है। बाघ एक वैश्विक विरासत है। यह बहुत दुर्लभ जानवर है। इसलिए, हमें इसे बचाने के बारे में अवश्य कार्य करना चाहिए।

निबंध 2 (400 शब्द)

प्रस्तावना:-

बाघ एक जंगली व शिकारी जानवर है, जो कि मांस खाकर अपना जीवनयापन करता है। बाघ बिल्ली के परिवार के ही होते है। यह बिल्ली के परिवार में सबसे बड़े होते है।

बाघ काफी खतरनाक जानवर होता है। यह भारत का राष्ट्रीय पशु है। इनकी जनसंख्या सीमित मात्रा में है। साइबेरियन बाघ दुनिया के सबसे बड़े बाघ होते है।

यह जानवर काफी निर्दयी होता है, जो अपने शिकार को पलक झपकते ही दबोंच लेता है। यह ज्यादातर दिन के समय सोता है और रात के समय शिकार करता है। इससे इसे अँधेरे में शिकार करने का फायदा भी मिल जाता है।

बाघ की शारीरिक बनावट:-

बाघ काफी ताकतवर जानवर है। यह नारंगी व सफ़ेद रंग का होता है, जिसके ऊपर काले रंग की धारियां होती है। बाघ लगभग 150 किलोग्राम वजन का होता है। इसकी लम्बाई 8 से 10 फुट और चौड़ाई 3 से 4 फुट होती है।

इसका जबड़ा काफी मजबूत व इसके चार दाँत होते है, जो काफी नुकीले होते है। इसके पंजे भी काफी तेज होते है। इसकी एक लम्बी पूँछ होती है, जो इसे दौड़ते समय नियंत्रण में रखती है।

यह लगभग 7 फुट की ऊंचाई तक छलांग लगा सकते है और यह 85 किलोमीटर/प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ सकते है। इसके गद्देदार पैर भी होते है, जो इसे छलांग लगाने में मदद करते है।

बाघ की प्रकृति:-

बाघ एक मांसाहारी जीव है, जो जानवरों या कभी-कभी इंसानों का शिकार करता है। यह भूखे न होने पर भी सिर्फ शौक के लिए भी शिकार करता है। यह ऐसा सिर्फ दूसरों को अपनी ताकत दिखने के लिए भी करता है।

यह एक जंगली जीव है, जो जंगल में रहना पसंद करता है। यह अपने शिकार पर नजर रखकर मौका मिलते ही अचानक से हमला कर देता है, जिससे उसके शिकार को भागने का मौका भी नहीं मिलता है।

बाघों की आयु लगभग 15 से 16 वर्ष तक होती है। मादा बाघ की गर्भावस्था की अवधि 95-112 दिन तक होती है और एक बार में वह 1 से 5 तक के बच्चों को जन्म देती है।

बाघ की प्रजातियां:-

पूरी दुनिया में बाघों की लगभग 8 प्रजातियां है, लेकिन अब कुछ ही प्रजातियाँ शेष बची है। बाघों की अन्य प्रजातियाँ दुनिया से लुप्त हो चुकी है।

बाघों की शेष बची प्रजातियों के नाम है:- इंडो-चाइनीज़ बाघ, बंगाल टाइगर, साइबेरियन बाघ, दक्षिणी-चीनी बाघ, सुमनत्रन बाघ और मलयान बाघ, आदि। जबकि, विलुप्त हुई प्रजातियों के नाम कैस्पियन टाइगर, बाली टाइगर और जवन टाइगर, आदि है।

बड़े आकार के बाघ ज्यादातर अफ्रीका के जंगलों में पाए जाते है, लेकिन भारत में असम, पश्चिमी बंगाल, त्रिपुरा और मध्य भारत में भी बाघों की प्रजातियाँ पाई जाती है।

उपसंहार:-

बाघों की प्रजाति दुनिया से धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है, इसका मुख्य कारण इनका शिकार है। पहले कईं लोग बाघों का शिकार शौक के लिए किया करते थे और कईं लोग इनको मारकर इनकी चमड़ी का व्यापार किया करते थे, जिससे इनकी संख्या कम होने लगी।

भारत सरकार ने इनकी घटती हुई संख्या को देखते हुए सम्पूर्ण भारत में इनके शिकार पर पाबंदी लगा दी और इन्हें मारना गैरक़ानूनी कर दिया।

बाघों को संरक्षण की काफी आवश्यकता है। इसलिए हमें इनके संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए, जिससे इनकी बची हुई प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाया जा सके।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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