300+ हिंदी की प्रमुख लोकोक्तियाँ

Lokoktiyan in Hindi

300+ हिंदी की प्रमुख लोकोक्तियाँ : Lokoktiyan in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘लोकोक्तियाँ’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप लोकोक्तियाँ से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

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लोकोक्तियाँ की परिभाषा : Lokoktiyan in Hindi

वह वाक्य, जो अर्थ को पूर्ण रूप से स्पष्ट करता है, उसे लोकोक्ति कहते है। लोकोक्ति को ‘कहावतें’ भी कहा जाता है। कहावतें कही हुई बातों के समर्थन में होती है।

महापुरुषों, कवियों व संतों के कहे हुए ऐसे कथन, जो स्वतंत्र और आम बोलचाल की भाषा में कहे गए है, जिसमें उनका भाव निहित होता है, तो वह लोकोक्तियाँ कहलाती है। प्रत्येक लोकोक्ति के पीछे कोई न कोई घटना अथवा कहानी होती है।

नीचे कुछ विद्वानों द्वारा दी गई लोकोक्तियों की परिभाषाएँ निहित है:-

डॉ. भोलानाथ तिवारी के अनुसार:- विभिन्न प्रकार के अनुभवों, पौराणिक तथा ऐतिहासिक व्यक्तियों एवं कथाओं, प्राकृतिक नियमों एवं लोक विश्वास आदि पर आधारित चुटीला, सरगर्भित, सजीव, संक्षिप्त लोक प्रचलित उक्तियों को लोकोक्ति कहते है। लोकोक्तियों का प्रयोग किसी बात की पुष्टि अथवा विरोध, सीख तथा भविष्य कथन, आदि के लिए किया जाता है।

ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार:- जनता में प्रचलित कोई छोटा सा सारगर्भित वचन, अनुभव अथवा निरीक्षण द्वारा निश्चित अथवा सभी को ज्ञात किसी सत्य को प्रकट करने वाली कोई संक्षिप्त उक्ति ‘लोकोक्ति’ कहलाती है।

अरस्तु के अनुसार:- संक्षिप्त और प्रयोग करने के लिए उपयुक्त होने के कारण तत्वज्ञान के खंडहरों में से चुनकर निकाले हुए टुकड़े बचा लिए गए अंश को लोकोक्ति की संज्ञा से अभिहित किया जा सकता है।

टेनिसन के अनुसार:- लोकोक्ति वह रत्न है, जो लघु आकार होने पर भी अनंतकाल से चली आ रही उक्ति है।

डॉ. सत्येंद्र के अनुसार:- लोकोक्तियों में लय और तान अथवा ताल न होकर संतुलित स्पंदनशीलता ही होती है।

धीरेंद्र वर्मा के अनुसार:- लोकोक्तियाँ ग्रामीण जनता की नीतिशास्त्र है। यह मानवीय ज्ञान के घनीभूत रत्न है।

मुहावरें तथा लोकोक्तियाँ में अंतर

मुहावरें तथा लोकोक्तियाँ में सभी अंतर निम्नलिखित है:-

मुहावरेंलोकोक्तियाँ
मुहावरा पूर्णतः स्वतंत्र नहीं होता है और सिर्फ मुहावरे से वाक्य पूर्ण नहीं होता है।लोकोक्ति सम्पूर्ण वाक्य का निर्माण करने में समर्थ होती है।
मुहावरा भाषा में चमत्कार उत्पन्न करता है।लोकोक्ति भाषा में स्थिरता लाती है।
मुहावरा छोटा होता है।लोकोक्ति बड़ी तथा भावपूर्ण होती है।

लोकोक्ति की विशेषताएँ

लोकोक्ति की सभी विशेषताएँ निम्नलिखित है:-

  • समाज का सही मार्गदर्शन दिखाती है।
  • धार्मिक एवं नैतिक उपदेशरूपी प्रवृत्ति होती है।
  • हास्य और मनोरंजन में प्रयोग होती है।
  • सर्वव्यापी एवं सर्वग्राही (लोकोक्तियों के अर्थ प्रत्येक समाज में एकसमान) होती है।
  • प्राचीन परंपरा से चलती आ रही है।
  • जीवन के सभी पहलू को स्पर्श करती है।
  • अनुभव पर आधारित एवं जीवन उपयोगी बातों के बारे में सुझाव देती है।
  • सरल एवं समास शैली (इसमें गहरी से गहरी बात को सूक्ष्म से सूक्ष्म शब्दों में कह दिया जाता है।) वाली होती है।
  • इसके माध्यम से किसी जटिल बात को भी सरल व सहज अंदाज में कहा जा सकता है।
  • लोकोक्तियाँ जीवन में मार्गदर्शक का कार्य करती है, क्योंकि प्राचीन समय में लोगों ने अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर लोकोक्तियों को बनाया था।
  • इनकी सबसे खूबसूरत बात यह होती है कि यह किसी कटु बात को भी मनोरंजक अंदाज में बयाँ करती है, जिससे बात कहने और सुनने वाले के मध्य किसी तरह का तनाव उत्पन्न नहीं होता है।
  • लोकोक्तियाँ समाज को धर्म और नैतिकता की राह पर चलने का मार्ग बताती है, जिससे समाज में स्थिरता बनी रहती है।
  • लोकोक्तियाँ समाज के प्रत्येक वर्ग को एक स्तर पर जोड़ने का काम करती है।
  • इनका चलन प्राचीन समय से ही चलता आ रहा है। अतः लोकोक्तियों के माध्यम से हम, हमारे पूर्वजों का जीवन के प्रति दृष्टिकोण और उस समय की व्यवस्था को समझ सकते है।

300+ लोकोक्तियाँ एवं कहावतें

सभी लोकोक्तियाँ एवं कहावतें निम्नलिखित है:-

लोकोक्तियाँ एवं कहावतेंअर्थ
बाँझ का जाने प्रसव की पीड़ापीड़ा को सहकर ही समझा जा सकता है।
बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करेरक्षक का भक्षक हो जाना।
बाप भला न भइया, सब से भला रूपइयाधन ही सबसे बड़ा होता है।
बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़छोटे का बड़े से बढ़ जाना।
बाप से बैर, पूत से सगाईपिता से दुश्मनी और पुत्र से लगाव।
बारह गाँव का चौधरी अस्सी गाँव का राव, अपने काम न आवे तो ऐसी-तैसी में जावबड़ा होकर यदि किसी के काम न आए, तो बड़प्पन व्यर्थ है।
बारह बरस पीछे घूरे के भी दिन फिरते हैएक न एक दिन अच्छे दिन आ ही जाते है।
बासी कढ़ी में उबाल नहीं आताकाम करने के लिए शक्ति का होना आवश्यक होता है।
बासी बचे न कुत्ता खायजरूरत के अनुसार ही सामान बनाना।
बिंध गया सो मोती, रह गया सो सीपजो वस्तु काम आ जाए वही अच्छी।
बिच्छू का मंतर न जाने, साँप के बिल में हाथ डालेमूर्खतापूर्ण कार्य करना।
बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलातीबिना यत्न किए कुछ भी नहीं मिलता।
बिल्ली और दूध की रखवाली?भक्षक रक्षक नहीं हो सकता।
बिल्ली के सपने में चूहाजरूरतमंद को सपने में भी जरूरत की ही वस्तु दिखाई देती है।
बिल्ली गई चूहों की बन आयीडर खत्म होते ही मौज मनाना।
बीमार की रात पहाड़ बराबरखराब समय मुश्किल से कटता है।
बुड्ढी घोड़ी लाल लगामवय के हिसाब से ही काम करना चाहिए।
बुढ़ापे में मिट्टी खराबबुढ़ापे में इज्जत में बट्टा लगना।
बुढि़या मरी तो आगरा तो देखाप्रत्येक घटना के दो पहलू होते है – अच्छा और बुरा।
लिखे ईसा पढ़े मूसागंदी लिखावट।

‘अ’ वर्ण से शुरू होने वाली लोकोक्तियाँ

लोकोक्तियाँअर्थ
अंडा सिखावे बच्चे को कि चीं-चीं मत करजब कोई छोटा बड़े को उपदेश दे।
अन्त भले का भलाजो भले काम करता है, अन्त में उसे सुख मिलता है।
अंधा क्या चाहे, दो आंखेआवश्यक या अभीष्ट वस्तु अचानक या अनायास मिल जाती है, तब ऐसा कहते है।
अंधा बांटे रेवड़ी फिर-फिर अपने को ही देअधिकार पाने पर स्वार्थी मनुष्य अपने ही लोगों और इष्ट-मित्रों को ही लाभ पहुंचाते है।
अंधा सिपाही कानी घोड़ी, विधि ने खूब मिलाई जोड़ीजहाँ दो व्यक्ति हों और दोनों ही एक समान मूर्ख, दुष्ट या अवगुणी हों वहां ऐसा कहते है।
अंधी पीसे, कुत्ते खायेंमूर्खों की कमाई व्यर्थ नष्ट होती है।
अंधे के आगे रोवे, अपना दीदा खोवेमूर्खों को सदुपदेश देना या उनके लिए शुभ कार्य करना व्यर्थ है।
अंधे को अंधेरे में बहुत दूर की सूझीजब कोई मूर्ख मनुष्य बुद्धिमानी की बात कहता है तब ऐसा कहते है।
अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजाजहाँ मालिक मूर्ख होता है, वहाँ गुण का आदर नहीं होता है।
अंधों में काना राजामूर्खों अथवा अज्ञानियों में अल्पज्ञ लोगों का भी बहुत आदर होता है।
अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना रागकोई काम नियम-कायदे से न करना
अपनी पगड़ी अपने हाथअपनी इज्जत अपने हाथ होती है।
अमानत में खयानतकिसी के पास अमानत के रूप में रखी कोई वस्तु खर्च कर देना।
अस्सी की आमद, चौरासी खर्चआमदनी से अधिक खर्च
अति सर्वत्र वर्जयेत्किसी भी काम में हमें मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
अपनी करनी पार उतरनीमनुष्य को अपने कर्म के अनुसार ही फल मिलता है।
अंत भला तो सब भलापरिणाम अच्छा हो जाए तो सब कुछ माना जाता है।
अंधे की लकड़ीबेसहारे का सहारा
अपना रख पराया चखनिजी वस्तु की रक्षा एवं अन्य वस्तु का उपभोग
अच्छी मति जो चाहो बूढ़े पूछन जाओबड़े-बूढ़ों की सलाह से कार्य सिद्ध हो सकते है।
अब की अब, जब की जब के साथसदा वर्तमान की ही चिन्ता करनी चाहिए
अपनी नींद सोना, अपनी नींद जागनापूर्ण स्वतंत्र होना
अपने झोपड़े की खैर मनाओअपनी कुशल देखो
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता/फोड़ताअकेला आदमी कोई बड़ा काम नहीं कर सकता; उसे अन्य लोगों की सहयोग की आवश्यकता होती है।
अक्ल के अंधे, गाँठ के पूरेनिर्बुद्धि धनवान् इसका मतलब यह है कि जिसके पास बिलकुल बुद्धि नहीं हो फिर भी वह धनवान हो तब इसका प्रयोग किया जाता है।
अक्ल बड़ी कि भैंसबुद्धि शारीरिक शक्ति से श्रेष्ठ होती है।
अटका बनिया दे उधारजिस बनिये का मामला फंस जाता है, वह उधार सौदा देता है।
अति भक्ति चोर के लक्षणयदि कोई अति भक्ति का प्रदर्शन करें तो समझना चाहिए कि वह कपटी और दम्भी है।
अधजल/अधभर गगरी छलकत जायजिसके पास थोड़ा धन अथवा ज्ञान होता है, वह उसका प्रदर्शन करता है।
अधेला न दे, अधेली देभलमनसाहत से कुछ न देना पर दबाव पड़ने पर या फंस जाने पर आशा से अधिक चीज दे देना।
अनदेखा चोर बाप बराबरजिस मनुष्य के चोर होने का कोई प्रमाण न हो, उसका अनादर नहीं करना चाहिए।
अनमांगे मोती मिले मांगे मिले न भीखसंतोषी और भाग्यवान् को बैठे-बिठाये बहुत कुछ मिल जाता है, परन्तु लोभी और अभागे को मांगने पर भी कुछ नहीं मिलता।
अपना घर दूर से सूझता हैअपने मतलब की बात कोई नहीं भूलता अथवा प्रियजन सबको याद रहते है।
अपना पैसा सिक्का खोटा तो परखैया का क्या दोष?यदि अपने सगे-सम्बन्धी में कोई दोष हो और कोई अन्य व्यक्ति उसे बुरा कहे, तो उससे नाराज नहीं होना चाहिए।
अपना लाल गंवाय के दर-दर मांगे भीखअपना धन खोकर दूसरों से छोटी-छोटी चीजें मांगना।
अपना हाथ जगन्नाथ का भातदूसरे की वस्तु का निर्भय और उन्मुक्त उपभोग।
अपनी अक्ल और पराई दौलत सबको बड़ी मालूम पड़ती है।मनुष्य स्वयं को सबसे बुद्धिमान समझता है और दूसरे की संपत्ति उसे ज्यादा लगती है।
अपनी-अपनी डफली अपना-अपना रागसब लोगों का अपनी-अपनी धुन में मस्त रहना।
अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है।अपने घर या मोहल्ले आदि में सब लोग बहादुर बनते है।
अपनी फूटी न देखे दूसरे की फूली निहारेअपना दोष न देखकर दूसरे के छोटे अवगुण पर ध्यान देना।
अपने घर में दीया जलाकर तब मस्जिद में जलाते है।पहले स्वार्थ पूरा करके तब परमार्थ या परोपकार किया जाता है।
अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता।अपनी चीज को कोई बुरा नहीं कहता।
अपने मरे बिना स्वर्ग नहीं दिखता।अपने किये बिना काम नहीं होता।
अपने मुंह मियां मिळूअपने मुंह से अपनी बड़ाई करने वाला व्यक्ति।
अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेतकाम बिगड़ जाने पर पछताने और अफसोस करने से कोई लाभ नहीं होता।
अभी दिल्ली दूर है।अभी काम पूरा होने में देर है।
अमीर को जान प्यारी, फकीर/गरीब एकदम भारीअमीर विषय-भोग के लिए बहुत दिन जीना चाहता है. लेकिन खाने की कमी के कारण गरीब आदमी जल्द मर जाना चाहता है।
अरध तजहिं बुध सरबस जाताजब सर्वनाश की नौबत आती है तब बुद्धिमान लोग आधे को छोड़ देते है और आधे को बचा लेते है।
अशर्फियों की लूट और कोयलों पर छाप/मोहरबहुमूल्य पदार्थों की परवाह न करके छोटी-छोटी वस्तुओं की रक्षा के लिए विशेष चेष्टा करने पर उक्ति।
अशुभस्य काल हरणम्जहाँ तक हो सके, अशुभ समय टालने का प्रयत्न करना चाहिए।
अहमक से पड़ी बात, काढ़ो सोटा तोड़ो दांतमूर्खों के साथ कठोर व्यवहार करने से काम चलता है।

‘आ’ वर्ण से शुरू होने वाली लोकोक्तियाँ

लोकोक्तियाँअर्थ
आंख के अंधे नाम नयनसुखनाम और गुण में विरोध होना, गुणहीन को बहुत गुणी कहना।
आंखों के आगे पलकों की बुराईकिसी के भाई-बन्धुओं अथवा इष्ट-मित्रों के सामने उसकी बुराई करना।
आंखों पर पलकों का बोझ नहीं होताअपने कुटुम्बियों को खिलाना-पिलाना नहीं खलता अथवा काम की चीज महंगी नहीं जान पड़ती।
आंसू एक नहीं और कलेजा टूक-टूकदिखावटी रोना।
आई है जान के साथ जाएगी जनाजे के साथवह विपत्ति या बीमारी जो आजीवन बनी रहे।
आ गई तो ईद बारात नहीं तो काली जुम्मे रातपैसे हुए तो अच्छा खाना खायेंगे, नहीं तो रूखा-सूखा ही सही।
आई मौज फकीर को, दिया झोपड़ा फूंकविरक्त (बिगड़ा हुए) पुरुष मनमौजी होते है।
आए थे हरि भजन को, ओटन लगे कपासजिस काम के लिए गए थे, उसे छोड़कर दूसरे काम में लग गए।
आगे कुआँ, पीछे खाईदोनों तरफ विपत्ति होना।
आगे नाथ न पीछे पगहा, सबसे भला कुम्हार का गदहा या (खाय मोटाय के हुए गदहा)जिस मनुष्य के कुटुम्ब में कोई न हो और जो स्वयं कमाता और खाता हो और सब प्रकार की चिंताओं से मुक्त हो।
आठों पहर चौंसठ घड़ीहर समय, दिन-रात।
आठों गांठ कुम्मैतपूरा धूर्त, घुटा हुआ।
आत्मा सुखी तो परमात्मा सुखीपेट भरता है तो ईश्वर की याद आती है।
आधी छोड़ सारी को धावे, आधी रहे न सारी पावेअधिक लालच करना अच्छा नहीं होता; जो मिले उसी से सन्तोष करना चाहिए।
आपको न चाहे ताके बाप को न चाहिएजो आपका आदर न करे आपको भी उसका आदर नहीं करना चाहिए।
आप जाय नहीं सासुरे, औरन को सिखि देतआप स्वयं कोई काम न करके दूसरों को वही काम करने का उपदेश देना।
आप तो मियां हफ्तहजारी, घर में रोवें कर्मों मारीजब कोई मनुष्य स्वयं तो बड़े ठाट-बाट से रहता है पर उसकी स्त्री बड़े कष्ट से जीवन व्यतीत करती है तब ऐसा कहते है।
आप मरे जग परलयमृत्यु के बाद की चिन्ता नहीं करनी चाहिए।
आप मियां मांगते दरवाजे खड़ा दरवेशजो मनुष्य स्वयं दरिद्र है वह दूसरों को क्या सहायता कर सकता है?
आ बैल मुझे मारजान-बूझकर विपत्ति में पड़ना।
आम के आम गुठलियों के दामकिसी काम में दोहरा लाभ होना।
आम खाने से काम, पेड़ गिनने से क्या काम? (आम खाने से मतलब कि पेड़ गिनने से?)जब कोई मतलब का काम न करके फिजूल बातें करता है तब इस कहावत का प्रयोग करते है।
आया है जो जाएगा, राजा रंक फकीरअमीर-गरीब सभी को मरना है।
आरत काह न करै कुकरमूदुःखी मनुष्य को भले और बुरे कर्म का विचार नहीं रहता।
आस पराई जो तके, जीवित ही मर जाएजो दूसरों पर निर्भर रहता है, वह जीवित रहते हुए भी मरा हुआ होता है।
आस-पास बरसे, दिल्ली पड़ी तरसेजिसे जरूरत हो, उसे न मिलकर किसी चीज का दूसरे को मिलना।

‘इ’ वर्ण से शुरू होने वाली लोकोक्तियाँ

लोकोक्तियाँअर्थ
इक नागिन अस पंख लगाईकिसी भयंकर चीज का किसी कारणवश और भी भयंकर हो जाना।
इन तिलों में तेल नहीं निकलताऐसे कंजूसों से कुछ प्रप्ति नहीं होती।
इब्तिदा-ए-इश्क है। रोता है क्या, आगे-आगे देखिए, होता है क्या?अभी तो कार्य का आरंभ है; इसे ही देखकर घबरा गए, आगे देखो क्या होता है।
इसके पेट में दाढ़ी है।इसकी अवस्था बहुत कम है तथापि यह बहुत बुद्धिमान है।
इहां कुम्हड़ बतिया कोउ नाहीं, जो तर्जनि देखत मरि जाहींजब कोई झूठा रोब दिखाकर किसी को डराना चाहता है।
इहां न लागहि राउरि मायायहाँ कोई आपके धोखे में नहीं आ सकता।
ईश रजाय सीस सबही केईश्वर की आज्ञा सभी को माननी पड़ती है।
ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छायाभगवान की माया विचित्र है। संसार में कोई सुखी है तो कोई दुःखी, कोई धनी है तो कोई निर्धन।

‘ई’ वर्ण से शुरू होने वाली लोकोक्तियाँ

लोकोक्तियाँअर्थ
ईश रजाय सीस सबही केईश्वर की आज्ञा सभी को माननी पड़ती है।
ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छायाभगवान की माया विचित्र है। संसार में कोई सुखी है तो कोई दुःखी, कोई धनी है तो कोई निर्धन।

‘उ’ वर्ण से शुरू होने वाली लोकोक्तियाँ

लोकोक्तियाँअर्थ
उधरे अन्त न होहिं निबाह।
कालनेमि जिमि रावण राहू।।
जब किसी कपटी आदमी को पोल खुल जाती है, तब उसका निर्वाह नहीं होता। उस पर अनेक विपत्ति आती है।
उत्तम विद्या लीजिए, जदपि नीच पै होयछोटे व्यक्ति के पास यदि कोई ज्ञान है, तो उसे ग्रहण करना चाहिए।
उतर गई लोई तो क्या करेगा कोईजब इज्जत ही नहीं है तो डर किसका?
उधार का खाना और फूस का तापना बराबर है।फूस की आग बहुत देर तक नहीं ठहरती। इसी प्रकार कोई व्यक्ति बहुत दिनों तक उधार लेकर अपना खर्च नहीं चला सकता।
उमादास जोतिष की नाई, सबहिं नचावत राम गोसाईमनुष्य का किया कुछ नहीं होता। मनुष्य को ईश्वर की इच्छा के अनुसार काम करना पड़ता है।
उल्टा चोर कोतवाल को डांटेअपना अपराध स्वीकार न करके पूछने वाले को डांटने-फटकारने या दोषी ठहराने पर उक्ति (कथन)।
उसी की जूती उसी का सिरकिसी को उसी की युक्ति (वस्तु) से बेवकूफ बनाना।

‘ऊ’ वर्ण से शुरू होने वाली लोकोक्तियाँ

लोकोक्तियाँअर्थ
ऊंची दुकान फीके पकवानजिसका नाम तो बहुत हो, पर गुण कम हो।
ऊंट के गले में बित्लीअनुचित, अनुपयुक्त या बेमेल संबंध विवाह।
ऊंट के मुंह में जीराबहुत अधिक आवश्यकता वाले या खाने वाले को बहुत थोड़ी-सी चीज देना।
ऊंट-घोड़े बहे जाए, गधा कहे कितना पानीजब किसी काम को शक्तिशाली लोग न कर सकें और कोई कमजोर आदमी उसे करना चाहे, तब ऐसा कहते है।
ऊंट दूल्हा गधा पुरोहितएक मूर्ख या नीच द्वारा दूसरे मूर्ख या नीच की प्रशंसा पर उक्ति (वाक्य/कथन)।
ऊंट बर्राता ही लदता हैकाम करने की इच्छा न रहने पर डर के मारे काम भी करते जाना और बड़बड़ाते भी जाना।
ऊंट बिलाई ले गई, हां जी, हां जी कहनाजब कोई बड़ा आदमी कोई असम्भव बात कहे और दूसरा उसकी हामी भरे।

‘ए’ तथा ‘ऐ’ वर्ण से शुरू होने वाली लोकोक्तियाँ

लोकोक्तियाँअर्थ
एक अंडा वह भी गंदाएक ही पुत्र, वही भी निकम्मा।
एक आंख से रोना और एक आंख से हंसनाहर्ष (खुशी) और विषाद (दुःख) एक साथ होना।
एक और एक ग्यारह होते हैमेल में बड़ी शक्ति होती है।
एक जिन्दगी हजार नियामत है।जीवन बहुत बहुमूल्य होता है।
एक तवे की रोटी, क्या पतली क्या मोटीएक परिवार के मनुष्यों में या एक पदार्थ के कई भागों में बहुत कम अन्तर होता है।
एक तो करेला (कड़वा) दूसरे नीम चढ़ाकटु या कुटिल स्वभाव वाले मनुष्य कुसंगति में पड़कर और बिगड़ जाते हैं।
एक ही थाली के चट्टे-बट्टेएक ही प्रकार के लोग।
एक न शुद, दो शुदएक विपत्ति तो है ही दूसरी और सही।
एक पंथ दो काजएक वस्तु या साधन से दो कार्यों की सिद्धि।
एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है।यदि किसी घर या समूह में एक व्यक्ति बुरे चरित्र वाला होता है तो सारा घर या समूह बुरा या बदनाम हो जाता है।
एक लख पूत सवा लख नाती, तो रावण घर दीया न बातीकिसी अत्यन्त ऐश्वर्यशाली व्यक्ति के पूर्ण विनाश हो जाने पर इस लोकोक्ति का प्रयोग किया जाता है।

‘ओ’ वर्ण से शुरू होने वाली लोकोक्तियाँ

लोकोक्तियाँअर्थ
ओठों निकली कोठों चढ़ीजो बात मुंह से निकलती है, वह फैल जाती है, गुप्त नहीं रहती।
ओखली में सिर दिया तो मूसलों का क्या डरकष्ट सहने पर उतारू होने पर कष्ट का डर नहीं रहता।

‘औ’ वर्ण से शुरू होने वाली लोकोक्तियाँ

लोकोक्तियाँअर्थ
और बात खोटी, सही दाल-रोटीसंसार की सब वस्तुओं में भोजन ही मुख्य है।

कुछ प्रचलित लोकोक्तियाँ उनके अर्थ सहित

लोकोक्तियाँअर्थ
अंधों में काना राजामूर्खों में कुछ पढ़ा-लिखा व्यक्ति
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकताअकेला आदमी लाचार होता है।
अधजल गगरी छलकत जायडींग हाँकना
आँख का अँधा नाम नयनसुखगुण के विरुद्ध नाम होना
आँख के अंधे गाँठ के पूरेमुर्ख परन्तु धनवान
आग लागंते झोपड़ा, जो निकले सो लाभनुकसान होते समय जो बच जाए वही लाभ है।
आगे नाथ न पीछे पगहीकिसी तरह की जिम्मेदारी न होना
आम के आम गुठलियों के दामअधिक लाभ
ओखली में सर दिया तो मूसलों से क्या डरेकाम करने पर उतारू
ऊँची दुकान फीका पकवानकेवल बाह्य प्रदर्शन
एक पंथ दो काजएक काम से दूसरा काम हो जाना
कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेलीउच्च और साधारण की तुलना कैसी
घर का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्धनिकट का गुणी व्यक्ति कम सम्मान पाता है, लेकिन दूर का व्यक्ति का ज्यादा
चिराग तले अँधेराअपनी बुराई नहीं दिखती है
जिन ढूंढ़ा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठपरिश्रम का फल अवश्य मिलता है।
नाच न जाने आँगन टेढ़ाकाम न जानना और बहाने बनाना
न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरीन कारण होगा, न कार्य होगा
होनहार बिरवान के होत चीकने पातहोनहार के लक्षण पहले से ही दिखाई पड़ने लगते है।
जंगल में मोर नाचा किसने देखागुण की कदर गुणवानों बीच ही होती है।
कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाईकितना भी प्रयत्न किया जाये स्वभाव नहीं बदलता है।
चील के घोसले में माँस कहाँजहाँ कुछ भी बचने की संभावना न हो
चोर लाठी दो जने और हम बाप पूत अकेलेताकतवर आदमी से दो लोग भी हार जाते है।
चंदन की चुटकी भरी, गाड़ी भरा न काठअच्छी वस्तु कम होने पर भी मूल्यवान होती है, जबकि मामूली चीज अधिक होने पर भी कोई कीमत नहीं रखती है।
छप्पर पर फूंस नहीं, ड्योढ़ी पर नाचदिखावटी ठाट-बाट परन्तु वास्तविकता में कुछ भी नहीं
छछूंदर के सर पर चमेली का तेलअयोग्य के पास योग्य वस्तु का होना
जिसके हाथ डोई, उसका सब कोईधनी व्यक्ति के सब मित्र होते है।
योगी था सो उठ गया आसन रहा भभूतपुराण गौरव समाप्त

लोकोक्तियों का वाक्य में प्रयोग

लोकोक्तिअर्थवाक्य में प्रयोग
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकताएक साथ मिलकर किया जाने वाला कठिन कार्य अकेला व्यक्ति नहीं कर सकता।महेश अकेला व्यवस्था को नहीं बदल सकता। बाक़ी मजदूरों को भी उसके साथ अनशन पर बैठना होगा, क्योंकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
अक्ल बड़ी की भैंसशरीर की ताकत से बुद्धि की ताकत अधिक होती हैपहले घनश्याम खेत में कड़ी मेहनत करता था, लेकिन अनाज कम पैदा होता था। अब वह सरकार से उन्नत बीज और खाद लेकर फसल बोता है। सच है कि अक्ल बड़ी कि भैंस।
अटका बनिया देय उधारस्वार्थ, लालच या मजबूरी वश अनचाहा कार्य करना।पहले तो विद्यालय के प्राध्यापक ने सभी कुशल अध्यापकों को निकाल दिया। अब जब परीक्षायें सिर पर आ गई हैं तो मज़बूरी में अकुशल और अनुभवहीन अध्यापकों को भर्ती कर रहा है। इसी को कहते है:- अटका बनिया देय उधार
अधजल गगरी छलकत जाएअज्ञानी व्यक्ति अपने ज्ञान को बढ़ा चढ़ा कर बताता है।मुकेश की छोटी सी नौकरी क्या लगी वह तो बात-बात पर पैसों की बात करता है। सच ही कहा है कि अधजल गगरी छलकत जाए।
अँधा पीसे कुत्ता खायमूर्ख व्यक्ति की कमाई दूसरे ही खाते है।राघव कमाता तो बहुत है पर उसकी पत्नी सारा पैसा खरीदारी में उड़ा देती है। यहाँ तो वही बात हो रही है कि अन्धी पीसे कुत्ता खाय।
अंधों में काना राजाअज्ञानियों में थोड़ा ज्ञानी भी बुद्धिमान होता है।घनश्याम सालों बुढ़ापा पेंशन के लिए सरकार से गुहार लगाता रहा। आखिरकार सरकार ने उसकी पेंशन मंजूर कर ही ली। अब वह खुश है। सच है अन्धा क्या चाहे दो आँख।
आंख का अंधा नाम नयन सुखकिसी का गुणों के विपरीत नाम होना।अनपढ़ गाँव वालों के बीच तो ग्राम सेवक ही विद्वान है। भाई, अंधों में काना राजा ही होता है।
अंधे की लकड़ीएकमात्र सहाराउसका नाम तो शेर सिंह है पर डरपोक इतना कि चूहे से भी डर जाए। आँख का अन्धा नाम नयनसुख।
अंधे के आगे रोवे अपने भी नैन खोवेअयोग्य व्यक्ति से सहायता मांगना व्यर्थ है।बिरजू के एक ही बेटा था। वह भी भगवान को प्यारा हो गया। भाई, अंधे की लकड़ी भी गई।
आंख का अंधा गांठ का पूरासंपन्न अज्ञानीविजय के सिर पर पहले ही बहुत क़र्ज़ है और तुम उसी से उधार मांग रहे हो।
अंधे के हाथ बटेर लगनापरिश्रम के बिना ही सफलता मिलना।सुजल के पास पैसा तो बहुत है पर अक्ल रत्ती भर भी नहीं है। वो कहते है ना कि आँख का अन्धा गाँठ का पूरा, वही बात हो गई।
अंधेर नगरी चौपट राजाभ्रष्टाचार में लिप्त शासन एवं अजागरूक प्रजायहाँ तो प्रशासन का बुरा हाल है। चारों तरफ भ्रष्टाचार और अराजकता का बोलबाला है। यहाँ तो अंधेर नगरी चौपट राजा वाली बात है।
अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना रागसिर्फ़ अपने मन की करना या दूसरों के साथ तालमेल नहीं बैठाना।पारिवारिक एकता की और अब कोई ध्यान नहीं देता बल्कि सभी अलग-अलग पड़े है। अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग।
अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है।अपने घर या क्षेत्र में ताक़त दिखाना।माना की सुनील गाँव का सबसे ताकतवर पहलवान है लेकिन उसकी असल ताकत का पता तभी चलेगा जब वह देश स्तर के पहलवानों से भिड़ेगा। भाई, अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है।
अपना हाथ जगन्नाथअपना काम स्वयं करना।रमेश से फल मंगवाता था तो वह महंगे और सड़े गले उठा लाता था। आजकल मैं खुद बाज़ार जाकर फल लाता हूँ। सच है अपना हाथ जगन्नाथ।
अपना सोना खोटा तो परखैया का क्या दोषजब अपना कोई कमज़ोर हो तो दूसरों में गलतियाँ निकाल कर क्या होगा।बाबू राव का लड़का जब खुद शराबी है तो बाबू राव किस के बच्चों को क्या कह दें। भाई, अपना सिक्का खोटा तो परखैया का क्या दोष।
अब पछताए क्या होत है जब चिड़ियाँ चुग गई खेतसमय बीत जाने पर पछतावा करना व्यर्थ हैपहले तो राधा सारा दिन मोबाईल चलाती रहती थी अब जब परीक्षा में फेल हो गई है तो पछता रही है पर अब पछताए क्या होत है जब चिड़ियाँ चुग गई खेत
आंख बची और माल यारों काअपने सामान से थोड़ा-सा भी ध्यान हटा कि सामान की चोरी हो सकती है।आजकल सफर करना बहुत मुश्किल है। अपने सामान का बहुत ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि यदि अपने सामान का ध्यान नहीं रखो तो आंख बची और माल यारों का।
आगे कुआं पीछे खाईदोनों और संकट होना।रमेश भाई की लड़की की शादी में रुपए ना लगाएं तो भाई नाराज़ होता है और रुपए लगाए तो कर्ज़ में डूबता है। ये तो वही बात हो गई आगे कुआँ है और पीछे खाई है।
अरहर की टट्टी और गुजराती तालाअनमेल प्रबन्ध व्यवस्था।घर में रखने को ढंग का फर्नीचर भी नहीं और दस हज़ार रुपए पर किराए का मकान ले लिया। ये तो वही बात हो गई अरहर की टट्टी और गुजराती ताला।
आगे नाथ न पीछे पगहापूर्णतः अनियंत्रित।मुकेश के माता-पिता का तो बचपन में ही देहांत हो गया था। अब उसके बड़े भाई का भी तबादला हो गया है। मुकेश के साथ तो वही बात हो गई ‘अब तो आगे नाथ न पीछे पगहा।’
आटे के साथ धुन भी पिसता है।ग़लत व्यक्ति की संगत में अच्छा व्यक्ति भी सज़ा पाता है।रमेश ने प्रधान जी के लड़के को पीट दिया। अब पुलिस ने रमेश के सारे परिवार को पकड़ लिया। भाई सच ही कहा है किसी ने आटे के साथ घुन भी पिस जाता है।
आधा तीतर आधा बटेरअनमेल योग।एक और तो समाज महिलाओं को शिक्षित करने की बात करता है, दूसरी ओर समाज में भ्रूण हत्याओं के मामले बढ़ रहे है। दरअसल हम आधा तीतर आधा बटेर है।
आधी छोड़ एक को ध्यावे आधी मिले न सारी पावेलोभ के कारण सहज रूप से उपलब्ध वस्तु का त्याग कर देना।महेंद्र ने रीट की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली परंतु सिविल सर्विसेज की तैयारी के चक्कर में अध्यापक बनने का अवसर खो दिया। बाद में महेंद्र का सिविल सर्विसेस में भी चयन नहीं हो सका। भाई इसी को तो कहते है:- आधी छोड़ एक को ध्यावे आधी मिले न सारी पावे।
आ बैल मुझे मारजानबूझकर परेशानी को निमंत्रण देनाहमारे मोहल्ले के दो युवक आपस में लड़ रहे थे। मैंने उन्हें छुड़ाने की कोशिश की तो दोनों मेरे ऊपर ही झपट पड़े। आजकल किसी के मामले में बोलना आ बैल मुझे मार की तरह है।
आम के आम गुठलियों के दामदोहरा फायदा होनारमेश ने साल भर पुरानी पुस्तकों से पढ़ाई करने के बाद उन्हें बेच दिया। इसी को तो कहते है:- आम के आम गुठलियों के दाम।
आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपासअपने बड़े लक्ष्य को भूल कर छोटे काम में लग जानाविक्रम आया तो सरकारी नौकरी की तैयारी करने था किंतु वह तो बुरी संगत में पड़कर घरवालों के पैसे बर्बाद करने लग गया। यह तो वही बात हो गई:- आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास।
आसमान से गिरा खजूर में अटकाएक मुसीबत से निकल कर दूसरी मुसीबत में पड़ जानामहेश ने जैसे-तैसे अपनी ज़मीन का विवाद सुलझाया ही था कि महेश के भाईयों ने रातों-रात ज़मीन पर कब्जा कर लिया बेचारा महेश- आसमान से गिरा खजूर में अटका
इन तिलों में तेल नहींकिसी भी तरह के मुनाफे की संभावना नहीं होनाविशाल ने एक छोटी सी दुकान शुरू करने के लिए भाइयों से पैसे मांगे लेकिन निराशा हाथ लगी। आख़िर में उसने सोच ही लिया कि:- इन तिलों में तेल नहीं।
इमली के पात पर दण्ड पेलनासंसाधनों के अभाव में बड़े कार्य को करने की कोशिश करनारमेश के पास ना तो पैसा है, ना ही अनुभव है, ना ही उसे कोई जानता है और विद्यालय खोलने की बात कर रहा है। रमेश इमली के पात पर दण्ड पेलने की कोशिश कर रहा है।
ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छायासंसार में कहीं समानता नहीं है।मुंबई में बाढ़ के हालात हैं और हमारे गाँव में सूखा पड़ा हुआ है। सच है:- ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया।
उल्टा चोर कोतवाल को डाँटेदोषी व्यक्ति द्वारा निर्दोष पर लांछन लगानापुलिस ने पहले तो कुछ किया नहीं और फिर जनता को ही दोष देने लगी यह तो वही बात हो गई:- उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे
उतर गई लोई तो क्या करेगा कोईबेशर्म व्यक्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़तामैंने उसे कई बार चोरी करते हुए पकड़ लिया और उसे बहुत समझाया लेकिन कितना भी समझाओ उस पर असर ही नहीं होता सही कहा है:- उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई
ऊँची दुकान फीका पकवानवास्तविकता से अधिक दिखावा करनारमेश के विद्यालय में बहुत चमक-दमक है लेकिन छात्रों की पढ़ाई-लिखाई के लिए अध्यापकों की कमी है यह तो वही बात हो गई:- ऊँची दुकान और फीका पकवान
ऊँट किस करवट बैठता है?किसी घटना के घटित होने का इंतज़ार करनाइस बार तो फसल बर्बाद हो गई अब देखो अगले साल ऊँट किस करवट बैठता है
ऊँट के मुँह में जीराआवश्यकता की अपेक्षा उपलब्ध मात्रा में कमी होनादेश में करोड़ों युवक बेरोजगार है और सरकार ने 3 हज़ार भर्तियाँ निकाली है यह तो वही बात हो गई:- ऊँट के मुँह में जीरा
ऊँट की चोरी और झुके-झुकेऐसे किसी कार्य को गुप्त रूप से करना जिसको गुप्त रखना असंभव होरमेश जयपुर जैसे शहर में सरकार से छुपकर दुकान बना रहा है यह तो वही बात हो गई:- ऊँट की चोरी और झुके-झुके
एक अनार सौ बीमारकिसी वस्तु की मांग अधिक होना और पूर्ति कम होनारंजन के घर में कमाने वाला तो एक और खाने वाले दस है। सभी अपने-अपने लिए कुछ न कुछ मांगते ही रहते है। यह तो एक अनार और सौ बीमार वाली बात हो गई।
एक हाथ से ताली नहीं बजतीएक पक्ष के साथ देने से काम पूरा नहीं होताशंकर तो ज़मीन का विवाद सुलझाना चाहता है किंतु माधव भी तो तैयार हो भई एक हाथ से ताली नहीं बजती है
एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर देती हैबुरी आदतों से ग्रसित एक व्यक्ति अपने सभी दोस्तों को वह आदत लगा देता हैविनय ने अपने सभी दोस्तों को शराब और सिगरेट की लत लगा दी सच है:- एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर देती है
एक और एक ग्यारह होते हैएकता में बहुत ताकत होती हैमाधव और शंकर को लड़ने के बजाय एकजुट होकर रहना चाहिए क्योंकि एक और एक ग्यारह होते है
एक म्यान में दो तलवार नहीं आ सकतीएक स्थान पर दो प्रतिद्वंद्वी नहीं रह सकतेहमारे गांव में दो दादाओं में अक्सर झगड़ा होता रहता था। आख़िर एक दिन एक ने दूसरे को मार ही डाला। भाई सच ही कहा है किसी ने कि एक ही म्यान में दो तलवारें नहीं आ सकती।
एक पन्थ दो काजएक प्रयास से दो काम सिद्ध हो जानाजयपुर गया तो चिकित्सक की परामर्श ली और दोस्त की सालगिरह के समारोह में भी शामिल हुआ यह तो एक पन्थ दो काज वाली बात हो गई
एक तो करेला और दूसरा नीम चढ़ाएक साथ दो-दो दोष होनारमेश एक तो अनपढ़ है और दूसरा आलसी है एक तो करेला और दूसरा नीम चढ़ा, इसलिए उसको नौकरी मिलना असम्भव है
कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव परस्थितियों का एकदम विपरीत परिवर्तन।शंकर की पत्नी बीमार थी तो शंकर सेवा कर रहा था। जब शंकर बीमार हुआ तो उसकी पत्नी सेवा करने लगी। भाई ऐसे ही चलता है गृहस्थी का संसार कभी नाव गाड़ी पर कभी गाड़ी नाव पर।
ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरेंअत्यधिक कठिन कार्य करने की ठान लेने के बाद आने वाली बाधाओं से नहीं डरनाजब सम्पूर्ण देश की पद-यात्रा आरंभ कर ही दी है तो धूप, बरसात या पैरों में छाले पड़ जाने से नहीं डरना चाहिए जब ओखली में सिर दे ही दिया है तो मूसलों से क्या डरना
कर ले सो काम और भजले सो रामसमय पर किया हुआ कर्म ही अपना होता हैघनश्याम जी की अचानक मृत्यु हो जाने से समझ में आता है कि जीवन का कोई ठिकाना नहीं। इसलिए इस जीवन में कर ले सो काम और भजले सो राम।
ककड़ी-चोर को फाँसी की सज़ा नहीं दी जा सकतीसाधारण अपराध के लिए अत्यधिक कठोर सज़ा नहीं दी जा सकतीएक छात्र ने स्कूल के उद्यान से फूल तोड़ लिया तो उसे स्कूल से ही निष्कासित कर दिया गया। भाई यह तो ग़लत हुआ क्योंकि ककड़ी चोर को फांसी की सज़ा नहीं दी जा सकती।
कानी के ब्याह में कौतुक ही कौतुककिसी में दोष होने पर परेशानियां आती ही रहती हैएक तो शंकर पढ़ाई में कमजोर ऊपर से परीक्षा में उसकी माँ बीमार हो गई। परीक्षा से कुछ समय पहले उसका प्रवेश पत्र खो गया, कानी के ब्याह में कौतुक ही कौतुक।
क़ाबुल में क्या गधे नहीं होतेअपवाद हर जगह होते हैइस गांव के लोगों की ईमानदारी के चर्चे तो दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। किंतु यहाँ के एक व्यक्ति ने तो मेरा पर्स ही चुरा लिया। भाई सच ही कहा है किसी ने काबुल में क्या गधे नहीं होते।
कोऊ नृप होइ हमें क्या हानीहर तरह के परिवर्तन के प्रति उदासीनता का होनागाँव में दोनों गुटों को बारी-बारी सरपंच बना कर देख लिया पर गाँव की हालत पहले जैसी ही है। मुझे तो किसी से कोई उम्मीद नहीं, भाई कोऊ नृप होइ हमें क्या हानी।
कौआ चले हंस की चालबुरे आचरण वाले मनुष्य द्वारा अच्छे आचरण का दिखावा करनामहेश कल तक शराब पीकर नाले में पड़ा रहता था। आज सबको कहता है कि शराब नहीं पीनी चाहिए। यह तो वही बात हो गई कि कौआ चले हंस की चाल।
कही खेत की, सुनी खलियान कीकहना कुछ सुनना कुछमैंने मोहन को कहा था की बाज़ार से आते समय बनिए से बिल ले आना। वह तिल उठा लाया, कही खेत की, सुनी खलियान की।
कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ाअनमेल वस्तुओं का संग्रह करनाशंकर के भाषणों में कोई तारतम में नहीं था कभी कुछ कहता था कभी कुछ और निष्कर्ष उसका कुछ भी नहीं इसी के लिए तो कहा जाता है कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा।
कोयले की दलाली में हाथ कालेबुराई का साथ देने पर बुराई ही मिलती हैवकील साहब ऐसे ही बदमाशों के केस लड़ते रहे तो पूरे ज़िले में बदनाम हो जाएंगे। अब भाई कोयले की दलाली में हाथ काले होंगे ही।
खग जाने खग की ही भाषासमान प्रवृत्ति के लोग एक दूसरे की प्रवृत्ति समझते हैघर में दो-दो वकील हैं, न जाने दिन भर क्या बहस करते रहते है। मेरे पल्ले तो कुछ भी नहीं पड़ता, भाई खग जाने खग ही की भाषा।
खरी मजूरी चोखा काममेहनत की अच्छी कीमत मिलने पर काम भी अच्छा होता हैमोहन मजदूरों को समय पर मेहनताना नहीं देता है, जिससे मजदूर मन लगाकर काम नहीं करते है। शायद मोहन को पता नहीं है कि खरी मजूरी चोखा काम।
खरबूजे को देखकर खरबूज़ा रंग बदलता हैकिसी में परिवर्तन देख कर दूसरे में परिवर्तन आता हैबद्री वैसे तो बड़े बदलाव की बात करता था। अब जब सरकारी नौकरी लगी तो खुद भी निकम्मा हो गया। सच है खरबूजे को देखकर खरबूज़ा रंग बदलता है।
खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचेअसफलता से लज्जित होकर गुस्सा करनाभीमा हफ्ते में तीन दिन नौकरी पर जाता है। अब जब बाबू ने तनख्वाह काट ली तो मालिक को गालियां देता फिर रहा है। इसी को तो कहते है:- खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे।
खुदा गंजे को नाखून नहीं देताबूरा व्यवहार करने वाले और अधिकार हीन व्यक्ति को अधिकार नहीं मिलताभोला चोरों का चोर है। यदि उसे गांव में राशन वितरण का ठेका मिल जाता तो वह पूरा अनाज अकेला ही डकार जाता। इसीलिए तो कहते हैं खुदा गंजे को नाखून नहीं देता।
खोदा पहाड़ और निकली चुहियामेहनत अधिक करना और लाभ कम मिलनारमेश ने पुरखों की जायदाद समझ कर रात भर घर को खोदा लेकिन कुछ नहीं मिला। यह तो खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली बात हो गई।
गुड़ न दे पर गुड़ की सी बात तो करेकिसी की मदद नहीं कर सकते तो कम से कम अच्छा व्यवहार तो करना ही चाहिएअगर वह मेरी सहायता नहीं करना चाहता तो न सही पर कम से कम प्रेम से दो बात तो कर ही सकता है। भाई, गुड़ न दे पर गुड़ की सी बात तो करे।
गुड़ खाए मर जाए तो ज़रूर देने की क्या ज़रूरतयदि कोई कार्य शान्ति पूर्वक हो रहा हो तो कठोर व्यवहार नहीं करना चाहिएअगर विक्रम शान्ति से ही अपना अपराध स्वीकार कर ले तो फिर मार-पीट करने की क्या आवश्यकता है। भाई जब कोई गुड़ खाए ही मर जाए तो ज़हर देने की क्या ज़रूरत।
घर का जोगी जोगना आन गाँव का सिद्धपहचान वालों की अपेक्षा अनजान लोगों को अधिक महत्व देनागाँव में दो-दो गणित के अध्यापक है, लेकिन गाँव के बच्चे शहर जाकर कोचिंग लेते है। यह तो वही बात हो गई घर का जोगी जोगना आन गाँव का सिद्ध।
घर की मुर्ग़ी दाल बराबरआसानी से मिल जाने वाली वस्तु की कद्र नहीं करनाहमारे घर में बड़ा भाई चिकित्सक है पर बीमार होने पर सभी बाहर एक मामूली चिकित्सक से परामर्श लेते है। सच है:, घर की मुर्ग़ी दाल बराबर।
घोड़ा घास से यारी करे तो खाए क्यायदि जीवनयापन करने के लिए आवश्यक से भी लिहाज़ किया जाए तो जीवन कैसे चलेगाअगर वह सभी को कम दाम में सब्जी देने लग गया तो उसका करोबार ही चौपट हो जाएगा। अब भाई घोड़ा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या।
घर का भेदी लंका ढाएघर का रहस्य जानने वाला व्यक्ति हानी पहुंचा सकता हैपुलिस का एक सिपाही बदमाशों से मिला हुआ था। उस ने छापे की खबर बदमाशों को दे दी, जिससे पुलिस का आक्रमण विफल हो गया। इसी को कहते है:- घर का भेदी लंका ढाए।
का वर्षा जब कृषि सुखानेनुक़सान हो जाने के पश्चात उपाय करने से क्या फ़ायदाशहर में दंगे हो जाने के बाद पुलिस पहुंची इसी को कहते है:- का वर्षा जब कृषि सुखाने।
काजी जी दुबले क्यों, शहर का अन्देशा हैपराए लोगों के दुःख से चिंतित रहनाकविता की ख़राब तबीयत की खबर सुनकर ममता उदास हो गई। ये तो वही बात हो गई काजी जी दुबले क्यों शहर का अंदेशा है।
कागहि कहा कपूर चुगाए, स्वान न्हवाए गंगदुर्जन मनुष्य की प्रकृति बहुत कोशिश करने पर भी नहीं बदलतीश्याम बचपन से ही कायर था, पुलिस में भर्ती तो हो गया पर जैसे ही चोरों ने बंदूक दिखाई श्याम भाग खड़ा हुआ यही है:- कागहि कहा कपूर चुगाए, स्वान न्हवाए गंग।
घर में नहीं दाने, बुढ़िया चली भुनानेझूठा प्रदर्शन करनारमेश पिछले कई सालों से बेरोजगार है फिर भी गांव भर को दिखाने के लिए बेटे की शादी में बिना वजह का खर्चा कर रहा है। ये तो वही बात हो गई:- घर में नहीं दाने, बुढ़िया चली भुनाने।
घर आया नाग न पूजिए, बाम्बी पूजन जायक़िस्मत से मिले अवसर का लाभ नहीं उठाकर फिर उसी अवसर के लिए कोशिश करनाजब गांव में कैंप लगाकर सरकार पहचान पत्र बना रही थी तब तो कमलेश सोता रहा। अब जब उसे पहचान पत्र का महत्व समझ में आया है तो सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है। ये तो वही बात हुई:- घर आया नाग न पूजिए बाम्बी पूजन जाय।
घर खीर तो बाहर खीरयदि घर में सम्मान मिल जाए तो बाहर भी सम्मान मिल जाता हैमहेंद्र के घर में महेंद्र की बजाए सुरेंद्र की अधिक चलती है इसीलिए बाहर के लोग भी सुरेंद्र की बातों को ही ज़्यादा महत्व देते हैं। सही है:- घर खीर तो बाहर खीर।
चन्दन की चुटकी भली गाड़ी भरा न काठअच्छे गुणवाली वस्तु की कम मात्रा भी अच्छी होती है जबकि गुणरहित वस्तु अधिक मात्रा में भी व्यर्थ हैमोहन के दो लड़के हैं लेकिन किसी काम के नहीं जबकि घनश्याम के एक लड़का है और उसी ने घनश्याम का नाम समाज के सामने रोशन कर दिया। सच है:= चंदन की चुटकी भली गाड़ी भरा न काठ।
चलती का नाम गाड़ीजब तक सफलता रहती है तब तक ही यश मिलता हैरामकिशन जब तक सरपंच था गांव में उसकी बहुत इज्ज़त हुआ करती थी। अब जब वह सरपंच नहीं रहा तो कोई उसकी बात सुनता ही नहीं है। सच है:- चलती का नाम गाड़ी है।
चन्दन विष व्यापै नहीं लिपटे रहत भुजंगअच्छे लोगों पर बुरे लोगों की संगत का असर नहीं पड़ताअमित के स्वयं के शराब की दुकान है और रोज़ वह शराबियों के साथ उठता-बैठता है, किंतु अमित ने कभी शराब नहीं पी। भाई इसी को तो कहते है:- चंदन विष व्यापै नहीं लिपटे रहत भुजंग।
चन्द्रमा को भी ग्रहण लगता हैअच्छे लोगों बुरे दिन दिन आते हैशिव ने तो सदा दूसरों का भला ही किया है, किंतु आज शिव के पीछे भी लोग पड़ गए है। लेकिन उसे धैर्य रखना चाहिए क्योंकि चंद्रमा को भी ग्रहण लगता है।
चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाएअत्यधिक कंजूस होनारमेश जनवरी के महीने में भी वही पुराना सा एक कुर्ता पहन कर घूमता रहता है जबकि उसके पास धन की कोई कमी नहीं है। यह तो चमड़ी जाए पर दमड़ी ना जाए वाली बात हो गई।
चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रातसुख कम समय के लिए और दुःख अधिक समय तक होनाग़रीब आदमी के पास जब तक सरकारी पेंशन रहती है, वह थोड़ा खुश हो लेता है। बाकी दिन तो उसे कष्ट में ही काटने होते हैं। उसकी ज़िंदगी तो ऐसी ही है जैसे चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात।
चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरताबेशर्म व्यक्ति पर अच्छाई का असर नहीं होताहर रोज देरी से आने पर महेंद्र को बड़े बाबू से डांट पड़ती है किंतु वह जल्दी आने की कोशिश ही नहीं करता। सच ही कहा है कि चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता।
चुपड़ी और दो-दोकिसी अच्छी चीज़ का अधिक मात्रा में होनारवि का न केवल सिविल सर्विसेस में चयन हो गया बल्कि उसे अपने प्रदेश का कैडर भी मिल गया। भाई इसी को तो कहते है:- चुपड़ी और दो-दो।
चोर-चोर मौसेरे भाईदुष्ट लोगों में आपस में मित्रता होती हैसरकारी इंजीनियर और ठेकेदार में खूब पटती है। पटेगी क्यों नहीं चोर-चोर मौसेरे भाई जो होते हैं।
चोर की दाढ़ी में तिनकादोषी व्यक्ति अपने व्यवहार से ही दोषी होने का प्रमाण दे देता हैअमित से कांच का गिलास टूट गया। किसी को पता नहीं चले इसलिए वह स्वयं ही कहने लग गया कि बिल्ली ने कांच का गिलास तोड़ दिया। ये तो चोर की दाढ़ी में तिनका वाली बात हो गई।
चोरी का माल मोरी मेंग़लत तरीक़े से कमाई हुई दौलत व्यर्थ में ही खर्च हो जाती हैरोहिताश हर एक सरकारी काम के लिए रिश्वत लेता है किंतु रिश्वत से कमाया हुआ सारा पैसा शराब में लुटा देता है। भाई सच ही कहा है:- चोरी का माल मोरी में ही जाता है।
चोर से कहे चोरी कर शाह से कहे जागता रहदो विरोधियों से एक साथ सांठ-गांठ करनाहमारे देश के राजनेता एक तरफ तो धर्म के नाम पर लोगों को लड़वा देते हैं और दूसरी तरफ पुलिस से उनको गिरफ्तार करवा देते है। भाई इसी को तो कहते हैं जोर से कहे चोरी कर शाह से कहे जागता रह।
चोरी और सीना जोरीअपराध करना और अकड़ भी दिखानामीना ने एक तो दूध जला दिया अब कहती है कि मैं तो ऐसे ही करती हूँ। एक तो चोरी और सीना जोरी।
छछूंदर के सर में चमेली का तेलअयोग्य व्यक्ति को स्तरीय वस्तु का मिल जाना।सोनू निपट अनपढ़ है किंतु उसकी पत्नी ख़ूबसूरत और पढ़ी लिखी। इसी को तो कहते है:- छछूंदर के सर में चमेली का तेल।
छोटा मुँह बड़ी बातसामर्थ्य से अधिक के बारे में डींग मारना।राजदीप के पास दस रुपए मूंगफली खाने को भी नहीं और कहता है कि उसका करोड़ों का कारोबार चलता है। यह तो छोटे मुंह बड़ी बात वाली बात हो गई।
टके के लिए मस्जिद तोड़नामामूली स्वार्थ के लिए बहुत बड़ा नुकसान कर लेनाकल चोरों ने 500 रूपए के लिए एक व्यक्ति का ख़ून कर दिया। ये तो टके के लिए मस्जिद तोड़ना जैसी बात हो गई।
ठोकर लगी पहाड़ की, तोड़े घर की सिलकिसी ताकतवर से लज्जित होकर घर के लोगों पर गुस्सा निकालनामहेश को बड़े बाबू ने इतना डाँटा की वह घर आकर बच्चों को छोटी सी बात पर पीटने लगा। यह तो वही बात हो गई कि ठोकर लगी पहाड़ की, तोड़े घर की सिल।

लोकोक्तियाँ से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

  1. लोकोक्तियाँ की परिभाषा क्या है?

    वह वाक्य, जो अर्थ को पूर्ण रूप से स्पष्ट करता है, उसे लोकोक्ति कहते है। लोकोक्ति को ‘कहावतें’ भी कहा जाता है। कहावतें कही हुई बातों के समर्थन में होती है।
    महापुरुषों, कवियों व संतों के कहे हुए ऐसे कथन, जो स्वतंत्र और आम बोलचाल की भाषा में कहे गए है, जिसमें उनका भाव निहित होता है, तो वह लोकोक्तियाँ कहलाती है। प्रत्येक लोकोक्ति के पीछे कोई न कोई घटना अथवा कहानी होती है।

  2. लोकोक्तियाँ और मुहावरें में क्या अंतर है?

    लोकोक्तियाँ सदैव अपने मूल रूप में रहती है। जबकि, मुहावरे का समय के साथ करने से अर्थ में कुछ ख़ास परिवर्तन नहीं होता है।
    लोकोक्तियाँ एक प्रकार से सम्पूर्ण वाक्य होते है। जबकि, मुहावरे एक प्रकार का अपूर्ण वाक्य होते है।

  3. लोकोक्तियाँ कितने प्रकार की होती है?

    लोकोक्तियाँ परिस्थिति, पौराणिक कथाएं, भौगोलिक क्षेत्र, भाषा एवं बोली तथा प्रचलन के अनुसार विभिन्न प्रकार की होती है।

  4. हिंदी भाषा में कुल कितनी लोकोक्तियाँ है?

    हिंदी भाषा में 300 से भी अधिक लोकोक्तियाँ है।

अंतिम शब्द

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