अव्ययीभाव समास की परिभाषा, भेद, नियम और उदाहरण

अव्ययीभाव समास की परिभाषा : Avyayibhav Samas in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘अव्ययीभाव समास की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप अव्ययीभाव समास की परिभाषा से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
अव्ययीभाव समास की परिभाषा : Avyayibhav Samas in Hindi
समास का वह रूप, जिसमें प्रथम पद ‘अव्यय’ होता है और उसका अर्थ ‘प्रधान’ होता है, उसे ‘अव्ययीभाव समास’ कहते है। अव्ययीभाव समास में अव्यय पद का प्रारूप ‘लिंग, वचन व कारक’ में परिवर्तित नहीं होता है, बल्कि वह सदैव एकसमान रहता है।
अन्य शब्दों में, यदि एक शब्द की पुनरावृत्ति होती है और दोनों शब्द मिलकर अव्यय की भांति प्रयोग होते है, वहाँ पर ‘अव्ययीभाव समास’ होता है।
संस्कृत भाषा में उपसर्गयुक्त पद भी ‘अव्ययीभाव समास’ ही माने जाते है। अव्ययीभाव समास के प्रथम पद में ‘अनु, आ, प्रति, यथा, भर, हर‘ आदि आते है।
अव्ययीभाव समास के उदाहरण
अव्ययीभाव समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-
मूल शब्द | समास-विग्रह |
---|---|
यथाशक्ति | शक्ति के अनुसार |
यथाक्रम | क्रम के अनुसार |
यथानियम | नियम के अनुसार |
प्रतिदिन | प्रत्येक दिन |
प्रतिवर्ष | हर वर्ष |
आजन्म | जन्म से लेकर |
यथासाध्य | जितना साधा जा सके |
धडाधड | धड-धड की आवाज के साथ |
घर-घर | प्रत्येक घर |
रातों रात | रात ही रात में |
आमरण | मृत्यु तक |
यथाकाम | इच्छानुसार |
अव्ययीभाव समास की पहचान
अव्ययीभाव समास में प्रथम पद ‘प्रधान’ होता है, जबकि सामासिक पद ‘अव्यय’ होता है। अव्ययीभाव समास के प्रथम पद में ‘अनु, आ, प्रति, यथा, भर, हर‘ आदि शब्द प्रयुक्त होते है।
अतः अव्ययीभाव समास की पहचान करने के लिए इन्हीं प्रथम पद अव्ययों को देखने के साथ-साथ ‘अनु, आ, प्रति, यथा, भर, हर‘ आदि शब्दों को भी देखना चाहिए।
अव्ययीभाव समास के भेद
अव्ययीभाव समास के कुल 2 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-
अव्ययीभाव समास के भेद |
---|
अव्यय पद पूर्व अव्ययीभाव समास |
नाम पद पूर्व अव्ययीभाव समास |
1. अव्यय पद पूर्व अव्ययीभाव समास
अव्ययीभाव समास का वह रूप, जिसमें प्रथम पद ‘अव्यय’ तथा द्वितीय पद ‘संज्ञा’ होता है, ‘अव्यय पद पूर्व अव्ययीभाव समास’ कहलाता है।
अव्यय पद पूर्व अव्ययीभाव समास के उदाहरण
अव्यय पद पूर्व अव्ययीभाव समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-
मूल शब्द | समास-विग्रह |
---|---|
दरहकीकत | हक़ीक़त में |
अनुगमन | गमन के पीछे गमन |
प्रत्यारोप | आरोप के बदले आरोप |
आसमुद्र | समुद्र पर्यन्त |
यावज्जीवन | जीवन पर्यन्त |
यथानियम | नियम के अनुसार |
हरेक | एक-एक |
समक्ष | आंखों के सामने |
यथार्थ | अर्थ के अनुसार |
बखूबी | खूबी के साथ |
यथाशक्ति | शक्ति के अनुसार |
प्रत्यक्ष | आंखों के सामने |
अनुसार | जैसा सार है वैसा |
प्रतिलिपि | लिपि के समकक्ष लिपि |
2. नाम पद पूर्व अव्ययीभाव समास
अव्ययीभाव समास का वह रूप, जिसमें प्रथम पद ‘संज्ञा’ तथा द्वितीय पद ‘अव्यय’ होता है, ‘नाम पद पूर्व अव्ययीभाव समास’ कहलाता है।
नाम पद पूर्व अव्ययीभाव समास के उदाहरण
नाम पद पूर्व अव्ययीभाव समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-
मूल शब्द | समास-विग्रह |
---|---|
निर्देशानुसार | निर्देश के अनुसार |
कथनानुसार | कथन के अनुसार |
नियमानुसार | नियम के अनुसार |
इच्छानुसार | इच्छा के अनुसार |
दानार्थ | दान के लिए |
नित्य प्रति | जो नित्य हो |
जीवनभर | पूरे जीवन |
विवाहोपरान्त | विवाह के उपरान्त |
मरणोपरांत | मृत्यु के उपरान्त |
दर्शनार्थ | दर्शन के लिए |
ज्ञानार्थ | ज्ञान के लिए |
सेवार्थ | सेवा के लिए |
हितार्थ | हित के लिए |
प्रश्नानुसार | प्रश्न के लिए अनुसार |
क्रमानुसार | क्रम के अनुसार |
विश्वासपूर्वक | विश्वास के साथ |
अव्ययीभाव समास के नियम
अव्ययीभाव समास के समस्त नियम निम्न प्रकार है:-
नियम 1
जिस शब्द का निर्माण ‘बे, ला, निस्, निर्, नि‘ उपसर्ग से होता है, तो उस शब्द का समास-विग्रह करते समय मूल शब्द के साथ ‘से रहित‘ अथवा ‘के बिना‘ जोड़ दिया जाता है। जैसे:- मूल शब्द + ‘से रहित’ अथवा ‘के बिना’
उदाहरण
इसके उदाहरण निम्न प्रकार है:-
मूल शब्द | समास-विग्रह |
---|---|
बेईमान | ईमान के बिना/ईमान से रहित |
लापरवाह | परवाह के बिना/परवाह से रहित |
निश्चिंत | चिंता के बिना/चिंता से रहित |
निर्भय | भय से रहित/भय के बिना |
निडर | डर से रहित/डर के बिना |
बेशर्म | शर्म से रहित/शर्म के बिना |
निष्पाप | पाप से रहित/पाप के बिना |
नियम 2
जिस शब्द का निर्माण ‘बा‘ तथा ‘स‘ उपसर्ग से होता है, तो उस शब्द का समास-विग्रह करते समय मूल शब्द के साथ ‘के सहित‘ अथवा ‘सहित‘ जोड़ दिया जाता है। जैसे:- मूल शब्द + ‘सहित’ अथवा ‘के सहित’
उदाहरण
इसके उदाहरण निम्न प्रकार है:-
मूल शब्द | समास-विग्रह |
---|---|
बाइज़्ज़त | इज़्ज़त (के) सहित |
बाअदब | अदब (के) सहित |
बाकायदा | कायदे (के) सहित |
सशर्त | शर्त (के) सहित |
ससम्मान | सम्मान (के) सहित |
सफल | फल (के) सहित |
नियम 3
जिस शब्द का निर्माण ‘प्रति‘ उपसर्ग से होता है, तो उस शब्द का समास-विग्रह करते समय मूल शब्द के पहले ‘हर‘ उपसर्ग जोड़ दिया जाता है या फिर मूल शब्द को दो बार लिख दिया जाता है। जैसे:- ‘हर + मूल शब्द’ अथवा मूल शब्द को दो बार लिख देते है।
उदाहरण
इसके उदाहरण निम्न प्रकार है:-
मूल शब्द | समास-विग्रह |
---|---|
प्रतिदिन | हर दिन/दिन-दिन |
प्रतिवर्ष | हर वर्ष/वर्ष-वर्ष |
प्रतिपल | हर पल/पल-पल |
प्रतिशत | हर शत/शत-शत |
प्रत्येक | हर एक/एक-एक |
सफल | फल (के) सहित |
नियम 4
जिस शब्द के प्रारम्भ में यदि ‘यथा‘ अव्यय शब्द होता है, तो उस शब्द का समास विग्रह करते समय मूल शब्द के साथ ‘के अनुसार‘ अथवा ‘भर‘ जोड़ दिया जाता है। जैसे:- मूल शब्द + ‘के अनुसार’ अथवा ‘भर’
उदाहरण
इसके उदाहरण निम्न प्रकार है:-
मूल शब्द | समास-विग्रह |
---|---|
यथाशक्ति | शक्ति के अनुसार/शक्ति भर |
यथास्थान | स्थान के अनुसार/स्थान भर |
यथाक्रम | क्रम के अनुसार/ क्रम भर |
यथावसर | अवसर के अनुसार/अवसर भर |
यथायोग्य | योग्यता के अनुसार/योग्यता भर |
नियम 5
जिस सामासिक पद में प्रथम पद कोई संख्यावाची शब्द होता है और द्वितीय पद किसी नदी का नाम होता है या द्वितीय पद ‘मुनि’ शब्द होता है, तो उस सामासिक पद में द्विगु समास न मानकर अव्ययीभाव समास माना जाता है। लेकिन उस सामासिक पद का समास-विग्रह द्विगु समास की भांति ही किया जाता है।
उदाहरण
इसके उदाहरण निम्न प्रकार है:-
मूल शब्द | समास-विग्रह |
---|---|
द्वीयमुन | दो यमुनाओं का समाहार |
पंचगंग | पाँच गंगाओं का समाहार |
द्विमुनि | दो मुनियों का समाहार |
त्रिमुनि | तीन मुनियों का समाहार |
नियम 6
जिस शब्द का निर्माण ‘आ‘ उपसर्ग से होता है, तो उस शब्द का समास-विग्रह करते समय उस पद के अन्त में ‘तक‘ जोड़ दिया जाता है।
उदाहरण
इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-
मूल शब्द | समास-विग्रह |
---|---|
आजीवन | जीवन रहने तक (जीवन भर) |
आमरण | मरण तक |
आकण्ठ | कण्ठ तक |
आजन्म | जन्म तक (जन्म से) |
आजानुबाहु | बाहु से जानु (घुटने) तक |
आपादमस्तक | मस्तक से पाद (पैर) तक |
अव्ययीभाव समास के अन्य उदाहरण
मूल शब्द | समास-विग्रह |
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चलाचली | चलने के बाद चलना |
लूटमलूट | लूट के बाद लूट |
साफ-साफ | साफ के बाद साफ |
हाथों-हाथ | हाथ ही हाथ में |
एकाएक | एक के बाद एक (यकायक) |
बार-बार | बार ही बार में (बार के बाद बार) |
घङी-घङी | घङी के बाद घङी |
भागमभाग | भागने के बाद भागना |
बीचों-बीच | बीच के भी बीच में (बीच ही बीच में) |
एकाएक | एक होते ही |
धङाधङ | धङ के बाद पुनः धङ |
धीरे-धीरे | घर के बाद में घर |
यथा विधि | जैसा विधि सुनिश्चित है |
यथा सम्भव | जैसा संभव हो |
यथा स्थान | जो स्थान निर्धारित है |
यथा क्रम | जैसा क्रम हो |
यथायोग्य | जो जितना योग्य है |
यथाशक्ति | शक्ति के अनुसार |
यथाशीघ्र | जितना शीघ्र हो सके |
यथार्थ | जैसा वास्तव में अर्थ है |
यथास्थिति | जैसी स्थिति है |
यथासमय | जो समय निर्धारित है |
यथासाध्य | जितना साधा जा सके |
यथोचित | जैसा उचित हो वैसा |
यथानुरूप | उसी के अनुरूप |
यावज्जीवन | जब तक जीवन है |
योग्यतानुसार | योग्यता के अनुसार |
घङी-घङी | घङी के बाद घङी |
घर घर | घर के बाद घर |
हर घङी | प्रत्येक घङी |
इच्छानुसार | इच्छा के अनुसार |
बखूबी | खूबी सहित |
बहिर्वती | बाहर रहने वाला |
बाइज्जत | इज्जत के सहित |
बाकायदा | कायदे के सहित |
बेधङक | बिना धङक के |
बेखटके | बिना खटके के |
बेशक | बिना शक के |
बेशर्म | बिना शर्म के |
बेकाम | बिना काम के |
बेपरवाह | बिना परवाह |
बेरहम | बिना रहम के |
बेवजह | बिना वजह के |
बेचैन | बिना चैन के |
बेफायदा | बिना फायदे के |
बेगम | बिना गम के |
कृपापूर्वक | कृपा के साथ |
कथनानुसार | कथन के अनुसार |
कोेठे-कोठे | प्रत्येक कोठे |
कुशलता पूर्वक | कुशलता के साथ |
मृत्युपर्यन्त | मृत्यु तक |
मंद-मंद | बहुत ही मंद (बहुत ही धीरे) |
मरणोपरान्त | मरने के उपरान्त |
मारा-मारी | मार के बाद मार |
हितार्थ | हित के लिए |
दिन दिन | दिन के बाद दिन |
दिनभर | पूरे दिन |
विशुद्ध | विशेष रूप से शुद्ध |
विश्वासपूर्वक | विश्वास के साथ |
विकल | बिना चैन के |
विवाहोपरांत | विवाह के उपरान्त |
विेवेक पूर्वक | विवेक के साथ |
निःसंकोच | बिना संकोच के |
निधङक | बिना धङक केे |
नियमानुसार | नियम के अनुसार |
नियमन | विशेष यम (बंधन) से युक्त |
नियन्त्रण | विशेष यंत्रण से युक्त |
निकम्मा | काम न करने वाला |
निमंत्रण | भली प्रकार से मंत्रण |
निर्विकार | बिना विकार के |
निर्विरोध | बिना विरोध के |
निर्विवाद | बिना विवाद के |
निर्भय | बिना भय के |
निरामिष | बिना आमिष (माँस) के |
निर्देशानुसार | निर्देश के अनुसार |
नित्य प्रति | जो नित्य हो |
निगोङा | बिना घुटनों के |
हर दिन | प्रत्येक दिन |
हर रोज | प्रत्येक रोज |
हर साल | प्रत्येक साल |
भरपेट | पेट भरकर |
भरसक | शक्ति भर |
भागम-भाग | भागने के बाद भागना |
पहले-पहल | सबसे पहले |
परोक्ष | आँख के पीछे |
प्रयत्नपूर्वक | प्रयत्न के बाद |
प्रतिध्वनि | ध्वनि की ध्वनि |
प्रतिघात | घात के बदले घात |
प्रतिक्षण | हर क्षण |
प्रतिद्वंवद्वी | द्वन्द्व करने वाले का विरोधी |
प्रतिशत | प्रत्येक सैकङा |
प्रतिबिंब | बिंब का बिंब |
प्रतिहिंसा | हिंसा के बदले हिंसा |
प्रतिदिन | दिन-दिन, प्रत्येक दिन |
प्रतिक्रिया | क्रिया से प्रेरित क्रिया |
प्रतिनियुक्ति | नियमित नियुक्ति के बदले नियुक्ति |
प्रतिलिपि | लिपि के समक्षकक्ष |
प्रतिपल | हर पल |
प्रतिरक्षा | रक्षा के बदले रक्षा |
प्रतिसप्ताह | प्रत्येक सप्ताह |
प्रतिवर्ष | प्रत्येक वर्ष |
प्रतिफल | फल के बदले फल |
प्रत्यक्ष | आँख के सामने |
प्रत्यंग | हर अंग या प्रत्येक अंग |
प्रत्याशा | आशा के बदले आशा |
प्रत्यारोप | आरोप के बदले आरोप |
प्रत्युत्तर | उत्तर का उत्तर |
प्रत्येक | हर एक |
श्रद्धापूर्वक | श्रद्धा के साथ |
सशक्त | शक्ति के साथ |
सशर्त | शर्त के साथ |
सकुशल | कुशलता के साथ |
समक्ष | आँख के सामने |
सपरिवार | परिवार के सहित |
सपत्नीक | पत्नी के सहित |
सप्रसंग | प्रसंग के सहित |
सरयूपार | सरयू के पार |
सार्थक | अर्थ के सहित |
सावधान | अवधान के साथ |
साफ साफ | साफ के बाद साफ |
सानंद | आनन्द सहित |
साल-ब-साल | एक साल के बाद दूसरा साल |
सुनासुनी | सुनने के बाद सुनना |
सेवार्थ | सेवा के लिए |
सेवोपरान्त | सेवा के उपरान्त |
दर्शनार्थ | दर्शन के लिए |
दर-असल | असल में |
दरहकीकत | हकीकत में |
दानार्थ | दान के लिए |
दुबारा | दूसरी बार |
दुस्तर | जिसको पार करना कठिन हो |
व्यर्थ | बिना अर्थ के |
क्रमानुसार | क्रम के अनुसार |
चेहरे-चेहरे | हर चेहरे |
चला चली | चलने के बाद चलना |
फूटम-फूट | फूट के बाद फूट |
तनातनी | तनने के बाद तनना |
जीवन भर | पूरे जीवन या जीवन पर्यन्त |
नीरोग | रोग रहित |
नीरव | रव (ध्वनि) से रहित |
नाहक | बिना हक के |
नासमझ | बिना समझ के |
नालायक | जो लायक न हो |
अकारण | बिना कारण के |
अतिरिक्त | रिक्त से अलग, अलावा |
अतिसार | सार की अति |
अतिवृष्टि | वृष्टि की अति |
अभूतपूर्व | जो पूर्व में नहीं हुआ है |
आकंठ | कंठ तक |
आमरण | मरण तक |
आमने-सामने | एक दूसरे के सम्मुख |
आप-आप | आप ही आप |
आपादमस्तक | पैर से लेकर मस्तिष्क तक |
आजीवन | जीवन भर |
आजानुबाहु/आजानुभुज | घटनों तक लम्बी भुजाएँ |
आजन्म | जन्म से |
अवसरानुसार | अवसर के अनुसार |
अत्यंत | अंत से अधिक |
अत्यधिक | अधिक से अधिक |
अत्याधुनिक | आधुनिक से भी आधुनिक |
अत्यावश्यक | आवश्यकता से अधिक |
अत्याचार | आचार का अतिक्रमण |
अत्युत्तम | उत्तम से उत्तम |
अत्यल्प | बहुत ही अल्प |
अतींद्रिय | इंद्रियों से परे |
अनुरूप | रूप के अनुसार |
अनुबंध | बंध की तरह का बंध |
अनुकृति | जैसी कृति है वैसी |
अनुमान | मानदंड के अनुसार |
अनुदिन | प्रत्येक दिन |
अनुचिंतन | चिंतन के बाद किया जाने वाला चिंतन |
अनुसंधान | खोज के उपरान्त |
अनुस्मारक | स्मारक की तरह का |
अनुसार | जैसा सार है वैसा |
अनुदान | दान की तरह का दान |
अनुदेश | निर्देश के अनुसार |
अनुगंगा | गंगा के पास |
अनुगमन | गमन के पीछे गमन |
अनजाने | बिना जानकर |
गंगा पार | गंगा के पार |
लाभार्थ | लाभ के लिए |
लाजवाब | जिसका जवाब न हो |
लूटमलूट | लूट के बाद लूट |
अव्ययीभाव समास से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
अव्ययीभाव समास की परिभाषा क्या है?
समास का वह रूप, जिसमें प्रथम पद ‘अव्यय’ होता है और उसका अर्थ ‘प्रधान’ होता है, उसे ‘अव्ययीभाव समास’ कहते है। अव्ययीभाव समास में अव्यय पद का प्रारूप ‘लिंग, वचन व कारक’ में परिवर्तित नहीं होता है, बल्कि वह सदैव एकसमान रहता है।
अन्य शब्दों में, यदि एक शब्द की पुनरावृत्ति होती है और दोनों शब्द मिलकर अव्यय की भांति प्रयोग होते है, वहाँ पर ‘अव्ययीभाव समास’ होता है।
अव्ययीभाव समास के कितने भेद है?
अव्ययीभाव समास के कुल 2 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-
1. अव्यय पद पूर्व अव्ययीभाव समास
2. नाम पद पूर्व अव्ययीभाव समास
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।