श्लेष अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण

Shlesh Alankar Ki Paribhasha in Hindi

श्लेष अलंकार की परिभाषा : Shlesh Alankar in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘श्लेष अलंकार की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप श्लेष अलंकार से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

श्लेष अलंकार की परिभाषा : Shlesh Alankar in Hindi

‘श्लेष’ का अर्थ ‘मिला हुआ’ अथवा ‘चिपका हुआ’ होता है। श्लेष अलंकार में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है, जिनके एक नहीं अपितु अनेक अर्थ होते है।

जहाँ पर कोई एक शब्द एक ही बार आता है, लेकिन उस शब्द के अर्थ भिन्न-भिन्न निकलते है, तो वहाँ पर ‘श्लेष अलंकार’ होता है।

श्लेष अलंकार में दो बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। पहली, एक शब्द के एक से अधिक अर्थ हो। दूसरी, एक से अधिक अर्थ प्रकरण में अपेक्षित हो।

श्लेष अलंकार के उदाहरण

श्लेष अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

उदाहरण 1

जे रहीम गति दीप की,
कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो करै,
बढ़े अंघेरो होय।।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त पंक्तियों में रहीम जी दीये एवं कुपुत्र के चरित्र को एक जैसा दर्शाते हुए कहते है कि शुरू में दोनों ही उजाला करते है, लेकिन बढ़ने पर अन्धेरा हो जाता है। इस उदाहरण में ‘बढ़ने’ शब्द से दो भिन्न-भिन्न अर्थ निकल रहे है। दीपक के सन्दर्भ में ‘बढ़ने’ शब्द का अर्थ ‘बुझ जाना’ है, जिससे अन्धेरा हो जाता है। कुपुत्र के सन्दर्भ में ‘बढ़ने’ शब्द का अर्थ ‘बड़ा हो जाना’ है।

उदाहरण 2

रहिमन पानी राखिए,
बिन पानी सब सून।
पानी गए न उबरै,
मोती मानस चून।।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त पंक्तियों में ‘पानी’ को तीन अर्थों में प्रयोग किया है, जिनमें से प्रथम ‘पानी’ शब्द का अर्थ ‘मनुष्य’ से है। द्वितीय ‘पानी’ शब्द का अर्थ ‘आभा, तेज अथवा चमक’ से है। तृतीय ‘पानी’ शब्द का अर्थ ‘जल’ से है, जिसे आटे (चून) से जोड़कर दर्शाया गया है।

उदाहरण 3

सीधी चलते राह जो,
रहते सदा निशंक।
जो करते विप्लव,
उन्हें ‘हरि’ का है आतंक।।

उदाहरण 4

जो चाहो चटक न घटे, मैलो होय न मित्त।
राज राजस न छुवाइये नेह चीकने चित्त।।

उदाहरण 5

पी तुम्हारी मुख बास तरंग आज बौरे भौरे सहकार।

उदाहरण 6

रावण सर सरोज बनचारी।
चलि रघुवीर सिलीमुख

उदाहरण 7

रावण सर सरोज बनचारी।
चलि रघुवीर सिलीमुख

उदाहरण 8

चिरजीवौ जोरी जुरै,
क्यों न सनेह गँभीर।
को घटि ये वृषभानुजा,
वे हलधर के बीर।।

श्लेष अलंकार के भेद

श्लेष अलंकार के कुल 2 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

श्लेष अलंकार
अभंग श्लेष
सभंग श्लेष

1. अभंग श्लेष

जिन शब्दों को बिना तोड़े अनेक अर्थ निकलते है, उन्हें ‘अभंग श्लेष’ कहते है।

अभंग श्लेष के उदाहरण

अभंग श्लेष के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहूँ ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवी, व्यभिचारी, चोर।।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त दोहे की द्वितीय पंक्ति में सुबरन का प्रयोग किया गया है, जिसे कवि, व्यभिचारी और चोर तीनों ढूँढ रहे है। इस प्रकार एक ही शब्द ‘सुबरन’ के यहाँ पर तीन अर्थ है। कवि के लिए ‘सुबरन’ शब्द का अर्थ ‘अच्छे शब्द’ है। व्यभिचारी के लिए ‘सुबरन’ शब्द का अर्थ ‘अच्छा रूप रंग’ और ‘यौवन’ है। चोर के लिए ‘सुबरन’ शब्द का अर्थ ‘स्वर्ण’ अर्थात ‘सोना’ है। अतः यह अभंग श्लेष अलंकार का उदाहरण है।

2. सभंग श्लेष

जब शब्द विशेष से श्लेष का अर्थ निकालने के लिए शब्द को जोड़ा-तोड़ा जाता है, तो उसे ‘सभंग श्लेष’ कहते है।

सभंग श्लेष के उदाहरण

सभंग श्लेष के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

चिर जीवो जोरी जुरै,
क्यों न सनेह गंभीर।
को घटि ये बृसभानुजा,
वे हलधर के बीर।।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त दोहे में ‘वृषभानुजा’ तथा ‘हलधर’ शब्द का प्रयोग किया गया है, जिनके दो अर्थ है। ‘वृषभानुजा’ शब्द का प्रथम अर्थ ‘वृषभानु की पुत्री – राधा’ से है तथा द्वितीय अर्थ ‘वृषभ की अनुजा – गाय’ से है। ‘हलधर’ शब्द का प्रथम अर्थ ‘हल को धारण करने वाला – बलराम’ से है, तथा द्वितीय अर्थ ‘हल को धारण करने वाला – बैल’ से है। अतः यह श्लेष अलंकार का उदाहरण है।

श्लेष अलंकार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

  1. श्लेष अलंकार की परिभाषा क्या है?

    ‘श्लेष’ का अर्थ ‘मिला हुआ’ अथवा ‘चिपका हुआ’ होता है। श्लेष अलंकार में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है, जिनके एक नहीं अपितु अनेक अर्थ होते है।
    जहाँ पर कोई एक शब्द एक ही बार आता है, लेकिन उस शब्द के अर्थ भिन्न-भिन्न निकलते है, तो वहाँ पर ‘श्लेष अलंकार’ होता है।
    श्लेष अलंकार में दो बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। पहली, एक शब्द के एक से अधिक अर्थ हो। दूसरी, एक से अधिक अर्थ प्रकरण में अपेक्षित हो।

  2. श्लेष अलंकार के कितने भेद है?

    श्लेष अलंकार के कुल 2 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-
    1. अभंग श्लेष
    2. सभंग श्लेष

  3. अभंग श्लेष की परिभाषा क्या है?

    जिन शब्दों को बिना तोड़े अनेक अर्थ निकलते है, उन्हें ‘अभंग श्लेष’ कहते है।

  4. सभंग श्लेष की परिभाषा क्या है?

    जब शब्द विशेष से श्लेष का अर्थ निकालने के लिए शब्द को जोड़ा-तोड़ा जाता है, तो उसे ‘सभंग श्लेष’ कहते है।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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