शब्दालंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण

Shabdalankar Ki Paribhasha in Hindi

शब्दालंकार की परिभाषा : Shabdalankar in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘शब्दालंकार की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप शब्दालंकार से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

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शब्दालंकार की परिभाषा : Shabdalankar in Hindi

अलंकार का वह रूप, जिसमें शब्दों का प्रयोग करने से चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों के स्थान पर समानार्थी शब्द को रखने से वह चमत्कार समाप्त हो जाए, तो वहाँ ‘शब्दालंकार’ अथवा ‘शब्द अलंकार’ होता है।

शब्दालंकार ‘शब्द+अलंकार‘ इन 2 शब्दों से मिलकर बनता है। शब्द के 2 रूप होते है:- ध्वनि तथा अर्थ। ध्वनि के आधार पर शब्दालंकार की सृष्टि होती है।

जब अलंकार किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द के स्थान पर कोई अन्य पर्यायवाची शब्द को रख देने से उस शब्द का अस्तित्व नहीं रहे, तो उसे ‘शब्दालंकार’ कहते है।

शब्दालंकार के भेद

शब्दालंकार के कुल 6 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

शब्दालंकार के भेद
अनुप्रास अलंकार
यमक अलंकार
पुनरुक्ति अलंकार
वीप्सा अलंकार
वक्रोक्ति अलंकार
श्लेष अलंकार

1. अनुप्रास अलंकार

अनुप्रास शब्द ‘अनु+प्रास’ इन 2 शब्दों से मिलकर बना है। यहाँ पर ‘अनु’ शब्द का अर्थ ‘बार-बार‘ तथा ‘प्रास’ शब्द का अर्थ ‘वर्ण‘ होता है। जब किसी वर्ण की बार-बार आवृत्ति होने पर जो चमत्कार होता है, उसे ‘अनुप्रास अलंकार’ कहते है।

अनुप्रास अलंकार के उदाहरण

अनुप्रास अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

जन रंजन मंजन दनुज मनुज रूप सुर भूप।
विश्व बदर इव धृत उदर जोवत सोवत सूप।।

अनुप्रास अलंकार के भेद

अनुप्रास अलंकार के कुल 5 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

अनुप्रास अलंकार के भेद
छेकानुप्रास अलंकार
वृत्यानुप्रास अलंकार
लाटानुप्रास अलंकार
अन्त्यानुप्रास अलंकार
श्रुत्यानुप्रास अलंकार

(i). छेकानुप्रास अलंकार

जब स्वरुप तथा क्रम से अनेक व्यंजनों की आवृत्ति एक बार होती है, तो उसे ‘छेकानुप्रास अलंकार’ कहते है।

छेकानुप्रास अलंकार के उदाहरण

छेकानुप्रास अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

रीझि रीझि रहसि रहसि हँसि हँसि उठै।
साँसैं भरि आँसू भरि कहत दई दई।।

(ii). वृत्यानुप्रास अलंकार

जब एक व्यंजन की आवृत्ति अनेक बार होती है, तो उसे वृत्यानुप्रास अलंकार कहते है।

वृत्यानुप्रास अलंकार के उदाहरण

वृत्यानुप्रास अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

चामर- सी ,चन्दन – सी, चंद – सी, चाँदनी चमेली चारु चंद- सुघर है।

(iii). लाटानुप्रास अलंकार

जहाँ शब्दों तथा वाक्यों की आवृत्ति हो तथा प्रत्येक स्थान पर अर्थ भी वही पर अन्वय करने पर भिन्नता आ जाए, तो उसे ‘लाटानुप्रास अलंकार’ कहते है है।

साधारण शब्दों में:- जब एक शब्द अथवा वाक्य खंड की आवृत्ति उसी अर्थ में हो, तो वहाँ ‘लाटानुप्रास अलंकार’ होता है।

लाटानुप्रास अलंकार के उदाहरण

लाटानुप्रास अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

तेगबहादुर, हाँ, वे ही थे गुरु-पदवी के पात्र समर्थ,
तेगबहादुर, हाँ, वे ही थे गुरु-पदवी थी जिनके अर्थ।

(iv). अन्त्यानुप्रास अलंकार

जहाँ अंत में तुक मिलती है, वहाँ पर ‘अन्त्यानुप्रास अलंकार’ होता है।

अन्त्यानुप्रास अलंकार के उदाहरण

अन्त्यानुप्रास अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

लगा दी किसने आकर आग।
कहाँ था तू संशय के नाग?

(v). श्रुत्यानुप्रास अलंकार

जहाँ पर कानों को मधुर लगने वाले वर्णों की आवृत्ति होती है, वहाँ पर ‘श्रुत्यानुप्रास अलंकार’ होता है।

श्रुत्यानुप्रास अलंकार के उदाहरण

श्रुत्यानुप्रास अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

दिनान्त था, थे दीननाथ डुबते,
सधेनु आते गृह ग्वाल बाल थे।

2. यमक अलंकार

यमक शब्द का अर्थ ‘दो‘ होता है। जब एक ही शब्द का प्रयोग बार-बार होता है और प्रत्येक बार शब्द का अर्थ अलग-अलग आये, तो वहाँ पर ‘यमक अलंकार’ होता है।

साधारण शब्दों में:- जिस प्रकार अनुप्रास अलंकार में किसी एक वर्ण की आवृत्ति होती है, ठीक उसी प्रकार यमक अलंकार में किसी काव्य का सौन्दर्य बढ़ाने के लिए एक शब्द की बार-बार आवृति होती है।

यमक अलंकार के उदाहरण

यमक अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

कनक कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय।
वा खाये बौराए नर, वा पाये बौराये।

यमक अलंकार के भेद

यमक अलंकार के कुल 2 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

यमक अलंकार के भेद
अभंग पद यमक
सभंग पद यमक

(i). अभंग पद यमक

जब किसी शब्द को बिना तोड़े-मरोड़े एक ही रूप में अनेक बार भिन्न-भिन्न अर्थों में प्रयोग किया जाता है, तो वह ‘अभंग पद यमक’ कहलाता है।

अभंग पद यमक के उदाहरण

अभंग पद यमक के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

जगती जगती की मुक प्यास।

स्पष्टीकरण:- उपरोक्त पंक्ति में ‘जगती’ शब्द की आवृत्ति बिना तोड़े-मरोड़े भिन्न-भिन्न अर्थों में प्रयोग हुई है। अतः यह ‘अभंग पद यमक’ का उदाहरण है।

(ii). सभंग पद यमक

जब एक जैसे वर्ण समूह (शब्द) की आवृत्ति जोड़-तोड़कर आवृत्ति की जाती है और उसे भिन्न-भिन्न अर्थों की प्रकृति होती है अथवा वह निरर्थक होता है, तो वह ‘सभंग पद यमक’ होता है।

सभंग पद यमक के उदाहरण

सभंग पद यमक के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

पास ही रे हीरे की खान, खोजता कहां और नादान?

स्पष्टीकरण:- उपरोक्त पंक्ति में ‘ही रे’ वर्ण-समूह की आवृत्ति हुई है। पहली बार वही ‘ही + रे’ को जोड़कर बनाया है। अतः यह ‘सभंग पद यमक’ का उदाहरण है।

3. पुनरुक्ति अलंकार

पुनरुक्ति अलंकार ‘पुन:+उक्ति’ इन दो शब्दों से मिलकर बनता है। जब कोई शब्द दो बार दोहराया जाता है, तो वहाँ पर ‘पुनरुक्ति अलंकार’ होता है।

पुनरुक्ति अलंकार के उदाहरण

पुनरुक्ति अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

मधुर वचन कहि-कहि परितोषीं।

उपरोक्त पंक्ति में ‘कहि‘ शब्द का प्रयोग एक से अधिक बार किया गया है। जिसके कारण काव्य में सुंदरी की वृद्धि हुई है। अतः यह पुनरुक्ति अलंकार का उदाहरण है।

4. वीप्सा अलंकार

आदर, हर्ष, शोक, विस्मयादिबोधक, आदि भावों को प्रभावशाली रूप से व्यक्त करने के लिए जिन शब्दों की पुनरावृत्ति होती है, तो उसे ‘वीप्सा अलंकार’ कहते है।

वीप्सा अलंकार के उदाहरण

वीप्सा अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

मोहि-मोहि मोहन को मन भयो राधामय।
राधा मन मोहि-मोहि मोहन मयी-मयी।।

5. वक्रोक्ति अलंकार

जहाँ पर वक्ता के द्वारा बोले गए शब्दों का श्रोता अलग अर्थ निकालता है, तो उसे ‘वक्रोक्ति अलंकार’ कहते है।

वक्रोक्ति अलंकार के भेद

वक्रोक्ति अलंकार के कुल 2 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

वक्रोक्ति अलंकार के भेद
काकु वक्रोक्ति अलंकार
श्लेष वक्रोक्ति अलंकार

(i). काकु वक्रोक्ति अलंकार

जब वक्ता के द्वारा बोले गए शब्दों का उसकी कंठ-ध्वनि के कारण श्रोता कुछ और अर्थ निकालता है, तो वहाँ पर ‘काकु वक्रोक्ति अलंकार’ होता है।

काकु वक्रोक्ति अलंकार के उदाहरण

काकु वक्रोक्ति अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू।

(ii). श्लेष वक्रोक्ति अलंकार

‘श्लेष’ का अर्थ ‘मिला हुआ’ अथवा ‘चिपका हुआ’ होता है। श्लेष अलंकार में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है, जिनके एक नहीं अपितु अनेक अर्थ होते है।

जहाँ पर श्लेष की वजह से वक्ता के द्वारा बोले गए शब्दों का अलग अर्थ निकाला जाता है, तो वहाँ ‘श्लेष वक्रोक्ति अलंकार’ होता है।

श्लेष वक्रोक्ति अलंकार के उदाहरण

श्लेष वक्रोक्ति अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

को तुम हौ इत आये कहाँ घनस्याम हौ तौ कितहूँ बरसो ।
चितचोर कहावत है हम तौ तहां जाहुं जहाँ धन सरसों।।

6. श्लेष अलंकार

जहाँ पर कोई एक शब्द एक ही बार आता है, लेकिन उस शब्द के अर्थ भिन्न-भिन्न निकलते है, तो वहाँ पर ‘श्लेष अलंकार’ होता है।

श्लेष अलंकार के उदाहरण

श्लेष अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
पानी गए न उबरै मोती मानस चून।।

श्लेष अलंकार के भेद

श्लेष अलंकार के कुल 2 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

श्लेष अलंकार
अभंग श्लेष
सभंग श्लेष

(i). अभंग श्लेष

जिन शब्दों को बिना तोड़े अनेक अर्थ निकलते है, उन्हें ‘अभंग श्लेष’ कहते है।

अभंग श्लेष के उदाहरण

अभंग श्लेष के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहूँ ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवी, व्यभिचारी, चोर।।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त दोहे की द्वितीय पंक्ति में सुबरन का प्रयोग किया गया है, जिसे कवि, व्यभिचारी और चोर तीनों ढूँढ रहे है। इस प्रकार एक ही शब्द ‘सुबरन’ के यहाँ पर तीन अर्थ है। कवि के लिए ‘सुबरन’ शब्द का अर्थ ‘अच्छे शब्द’ है। व्यभिचारी के लिए ‘सुबरन’ शब्द का अर्थ ‘अच्छा रूप रंग’ और ‘यौवन’ है। चोर के लिए ‘सुबरन’ शब्द का अर्थ ‘स्वर्ण’ अर्थात ‘सोना’ है। अतः यह अभंग श्लेष अलंकार का उदाहरण है।

(ii). सभंग श्लेष

जब शब्द विशेष से श्लेष का अर्थ निकालने के लिए शब्द को जोड़ा-तोड़ा जाता है, तो उसे ‘सभंग श्लेष’ कहते है।

सभंग श्लेष के उदाहरण

सभंग श्लेष के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

चिर जीवो जोरी जुरै,
क्यों न सनेह गंभीर।
को घटि ये बृसभानुजा,
वे हलधर के बीर।।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त दोहे में ‘वृषभानुजा’ तथा ‘हलधर’ शब्द का प्रयोग किया गया है, जिनके दो अर्थ है। ‘वृषभानुजा’ शब्द का प्रथम अर्थ ‘वृषभानु की पुत्री – राधा’ से है तथा द्वितीय अर्थ ‘वृषभ की अनुजा – गाय’ से है। ‘हलधर’ शब्द का प्रथम अर्थ ‘हल को धारण करने वाला – बलराम’ से है, तथा द्वितीय अर्थ ‘हल को धारण करने वाला – बैल’ से है। अतः यह श्लेष अलंकार का उदाहरण है।

शब्दालंकार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

  1. शब्दालंकार की परिभाषा क्या है?

    अलंकार का वह रूप, जिसमें शब्दों का प्रयोग करने से चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों के स्थान पर समानार्थी शब्द को रखने से वह चमत्कार समाप्त हो जाए, तो वहाँ ‘शब्दालंकार’ अथवा ‘शब्द अलंकार’ होता है।
    शब्दालंकार ‘शब्द+अलंकार‘ इन 2 शब्दों से मिलकर बनता है। शब्द के 2 रूप होते है:- ध्वनि तथा अर्थ। ध्वनि के आधार पर शब्दालंकार की सृष्टि होती है।
    जब अलंकार किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द के स्थान पर कोई अन्य पर्यायवाची शब्द को रख देने से उस शब्द का अस्तित्व नहीं रहे, तो उसे ‘शब्दालंकार’ कहते है।

  2. शब्दालंकार के कितने भेद है?

    शब्दालंकार के कुल भेद 6 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-
    1. अनुप्रास अलंकार
    2. यमक अलंकार
    3. पुनरुक्ति अलंकार
    4. वीप्सा अलंकार
    5. वक्रोक्ति अलंकार
    6. श्लेष अलंकार

  3. अनुप्रास अलंकार की परिभाषा क्या है?

    अनुप्रास शब्द ‘अनु+प्रास’ इन 2 शब्दों से मिलकर बना है। यहाँ पर ‘अनु’ शब्द का अर्थ ‘बार-बार‘ तथा ‘प्रास’ शब्द का अर्थ ‘वर्ण‘ होता है। जब किसी वर्ण की बार-बार आवृत्ति होने पर जो चमत्कार होता है, उसे ‘अनुप्रास अलंकार’ कहते है।

  4. यमक अलंकार की परिभाषा क्या है?

    यमक शब्द का अर्थ ‘दो‘ होता है। जब एक ही शब्द का प्रयोग बार-बार होता है और प्रत्येक बार शब्द का अर्थ अलग-अलग आये, तो वहाँ पर ‘यमक अलंकार’ होता है।
    साधारण शब्दों में:- जिस प्रकार अनुप्रास अलंकार में किसी एक वर्ण की आवृत्ति होती है, ठीक उसी प्रकार यमक अलंकार में किसी काव्य का सौन्दर्य बढ़ाने के लिए एक शब्द की बार-बार आवृति होती है।

  5. पुनरुक्ति अलंकार की परिभाषा क्या है?

    पुनरुक्ति अलंकार ‘पुन:+उक्ति’ इन दो शब्दों से मिलकर बनता है। जब कोई शब्द दो बार दोहराया जाता है, तो वहाँ पर ‘पुनरुक्ति अलंकार’ होता है।

  6. वीप्सा अलंकार की परिभाषा क्या है?

    आदर, हर्ष, शोक, विस्मयादिबोधक, आदि भावों को प्रभावशाली रूप से व्यक्त करने के लिए जिन शब्दों की पुनरावृत्ति होती है, तो उसे ‘वीप्सा अलंकार’ कहते है।

  7. वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा क्या है?

    जहाँ पर वक्ता के द्वारा बोले गए शब्दों का श्रोता अलग अर्थ निकालता है, तो उसे ‘वक्रोक्ति अलंकार’ कहते है।

  8. वक्रोक्ति अलंकार के कितने भेद है?

    वक्रोक्ति अलंकार के कुल 2 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-
    1. काकु वक्रोक्ति अलंकार
    2. श्लेष वक्रोक्ति अलंकार

  9. काकु वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा क्या है?

    जब वक्ता के द्वारा बोले गए शब्दों का उसकी कंठ-ध्वनि के कारण श्रोता कुछ और अर्थ निकालता है, तो वहाँ पर ‘काकु वक्रोक्ति अलंकार’ होता है।

  10. श्लेष वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा क्या है?

    ‘श्लेष’ का अर्थ ‘मिला हुआ’ अथवा ‘चिपका हुआ’ होता है। श्लेष अलंकार में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है, जिनके एक नहीं अपितु अनेक अर्थ होते है।
    जहाँ पर श्लेष की वजह से वक्ता के द्वारा बोले गए शब्दों का अलग अर्थ निकाला जाता है, तो वहाँ ‘श्लेष वक्रोक्ति अलंकार’ होता है।

  11. श्लेष अलंकार की परिभाषा क्या है?

    जहाँ पर कोई एक शब्द एक ही बार आता है, लेकिन उस शब्द के अर्थ भिन्न-भिन्न निकलते है, तो वहाँ पर ‘श्लेष अलंकार’ होता है।

  12. श्लेष अलंकार के कितने भेद है?

    श्लेष अलंकार के कुल 2 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-
    1. अभंग श्लेष
    2. सभंग श्लेष

  13. अभंग श्लेष की परिभाषा क्या है?

    जिन शब्दों को बिना तोड़े अनेक अर्थ निकलते है, उन्हें ‘अभंग श्लेष’ कहते है।

  14. सभंग श्लेष की परिभाषा क्या है?

    जब शब्द विशेष से श्लेष का अर्थ निकालने के लिए शब्द को जोड़ा-तोड़ा जाता है, तो उसे ‘सभंग श्लेष’ कहते है।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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