विशेषोक्ति अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण

विशेषोक्ति अलंकार की परिभाषा : Visheshokti Alankar in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘विशेषोक्ति अलंकार की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप विशेषोक्ति अलंकार से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
विशेषोक्ति अलंकार की परिभाषा : Visheshokti Alankar in Hindi
‘विशेषोक्ति’ का अर्थ ‘विशेष उक्ति’ होता है। काव्य में जहाँ कार्य सिद्धि के समस्त कारणों के विद्यमान रहते हुए भी कार्य का नहीं होना पाया जाता है, तो वहाँ पर विशेषोक्ति अलंकार होता है।
साधारण शब्दों में:- कारण के रहने पर कार्य करना पड़ता है, लेकिन किसी कारण के रहते हुए भी कार्य का न होना ‘विशेषोक्ति अलंकार’ कहलाता है।
विशेषोक्ति अलंकार के उदाहरण
विशेषोक्ति अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
उदाहरण 1
सोवत जागत सपन बस,
रस रिस चैन कुचैन।
सुरति श्याम घन की सुरति,
बिसराये बिसरै न।।
स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त पंक्तियों में भुलाने के साधनों (कारणों) के होने पर भी न भुला पाने (कार्य न होने) में ‘विशेषोक्ति अलंकार’ है।
उदाहरण 2
नेह न नैनन को कछु,
उपजी बड़ी बलाय।
नीर भरे नित-प्रति रहें,
तऊ न प्यास बुझाई।।
उदाहरण 3
मूरख ह्रदय न चेत,
जो गुरु मिलहिं बिरंचि सम।
फूलहि फलहि न बेत,
जदपि सुधा बरसहिं जलद।।
विशेषोक्ति अलंकार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
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विशेषोक्ति अलंकार की परिभाषा क्या है?
‘विशेषोक्ति’ का अर्थ ‘विशेष उक्ति’ होता है। काव्य में जहाँ कार्य सिद्धि के समस्त कारणों के विद्यमान रहते हुए भी कार्य का नहीं होना पाया जाता है, तो वहाँ पर विशेषोक्ति अलंकार होता है।
साधारण शब्दों में:- कारण के रहने पर कार्य करना पड़ता है, लेकिन किसी कारण के रहते हुए भी कार्य का न होना ‘विशेषोक्ति अलंकार’ कहलाता है।
अंतिम शब्द
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।