अधिकरण कारक की परिभाषा, नियम और उदाहरण

Adhikaran Karak Ki Paribhasha in Hindi

अधिकरण कारक की परिभाषा : Adhikaran Karak in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘अधिकरण कारक की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप अधिकरण कारक से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

अधिकरण कारक की परिभाषा : Adhikaran Karak in Hindi

शब्द के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है, उसे ‘अधिकरण कारक’ कहते है। इसके विभक्ति-चिह्न ‘में‘ तथा ‘पर‘ है। ‘अधिकरण कारक’ में ‘भीतर, अंदर, ऊपर, बीच,’ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

अधिकरण कारक की पहचान ‘किसमें, किस पर, किस पे,’ आदि प्रश्नवाचक शब्द लगाकर भी की जा सकती है।

अधिकरण कारक में कहीं-कहीं पर विभक्तियों का लोप होता है, इसलिए उनके स्थान पर ‘किनारे, आसरे, दीनों, यहाँ, वहाँ, समय’, आदि पदों का प्रयोग किया जाता है। कभी-कभी ‘में‘ के अर्थ में ‘पर‘ और ‘पर‘ के अर्थ में ‘में‘ का प्रयोग किया जाता है।

अधिकरण कारक के उदाहरण

अधिकरण कारक के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

उदाहरण 1

राम मैदान में खेल रहा है।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त उदाहरण से यह प्रश्न जागृत होता है कि ‘खेलने’ की क्रिया किस स्थान पर हो रही है? तो इस प्रश्न का उत्तर ‘मैदान में’ है। अतः यहाँ पर ‘मैदान में’ अधिकरण कारक है।

उदाहरण 2

श्याम छत पर खेल रहा है।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त उदाहरण से यह प्रश्न जागृत होता है कि ‘खेलने’ की क्रिया किस स्थान पर हो रही है? तो इस प्रश्न का उत्तर ‘छत पर’ है। अतः यहाँ पर ‘छत पर’ अधिकरण कारक है।

अधिकरण कारक के प्रयोग के नियम

अधिकरण कारक के प्रयोग के सभी नियम निम्न प्रकार है:-

  • कभी-कभी ‘में’ के अर्थ में ‘पर’ और ‘पर’ के अर्थ में ‘में’ का प्रयोग भी किया जाता है।

जैसे:-

तुम्हारे घर पर चार आदमी है, इसके अतिरिक्त तुम्हारे घर में चार आदमी है।
दूकान पर कोई नहीं था, इसके अतिरिक्त दुकान में कोई नहीं था।
नाव पानी में तैरती है, इसके अतिरिक्त नाव पानी पर तैरती है।
  • कभी-कभी अधिकरण कारक की विभक्तियों का लोप भी हो जाता है।

जैसे:-

इन दिनों वह जयपुर है।
राम संध्या के समय गंगा के किनारे जाता है।
श्याम द्वार-द्वार भीख मांगता चलता है।
बच्चे दरवाजे-दरवाजे घूम रहे है।
जिस समय मैं आया था, उस समय वह नहीं था।
उस जगह एक सभा होने जा रही है।

अधिकरण कारक के अन्य उदाहरण

राम घर में है।
किताब कुर्सी पर है।
मछली जल में रहती है।
फ्रिज में फल रखे है।
कमरे के अंदर क्या है?
कुर्सी आंगन के बीच रख दो।
घर में दीपक जल रहा है।
मुझ में बहुत कम शक्ति है।
सीता ने किताब पलंग पर रखी।
अजय सुबह गंगा किनारे जाता है।
कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध हुआ था।
तुम्हारे घर पर चार आदमी है।
उस कमरे में चोर है।

अधिकरण कारक से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

  1. अधिकरण कारक की परिभाषा क्या है?

    शब्द के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है, उसे ‘अधिकरण कारक’ कहते है। इसके विभक्ति-चिह्न ‘में‘ तथा ‘पर‘ है। ‘अधिकरण कारक’ में ‘भीतर, अंदर, ऊपर, बीच,’ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
    अधिकरण कारक की पहचान ‘किसमें, किस पर, किस पे,’ आदि प्रश्नवाचक शब्द लगाकर भी की जा सकती है।
    अधिकरण कारक में कहीं-कहीं पर विभक्तियों का लोप होता है, इसलिए उनके स्थान पर ‘किनारे, आसरे, दीनों, यहाँ, वहाँ, समय’, आदि पदों का प्रयोग किया जाता है। कभी-कभी ‘में‘ के अर्थ में ‘पर‘ और ‘पर‘ के अर्थ में ‘में‘ का प्रयोग किया जाता है।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

अगर इस लेख के द्वारा आपको किसी भी प्रकार की जानकारी पसंद आई हो तो, इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ फेसबुक पर साझा अवश्य करें और हमारे वेबसाइट को सबस्क्राइब कर ले।

5/5 - (1 vote)

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *