अतिश्योक्ति अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण

अतिश्योक्ति अलंकार की परिभाषा : Atishyokti Alankar in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘अतिश्योक्ति अलंकार की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप अतिश्योक्ति अलंकार से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
अतिश्योक्ति अलंकार की परिभाषा : Atishyokti Alankar in Hindi
जहाँ पर किसी व्यक्ति अथवा वस्तु का वर्णन करने में लोक-समाज की सीमा अथवा मर्यादा भंग (टूट) हो जाती है, तो वहाँ पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
साधारण शब्दों में:- अतिशयोक्ति का अर्थ ‘उक्ति में अतिशयता का समावेश’ होता है। जहाँ पर उपमेय और उपमान का समान कथन न होकर सिर्फ उपमान का वर्णन होता है, वहाँ पर ‘अतिश्योक्ति अलंकार’ होता है।
अतिश्योक्ति अलंकार के उदाहरण
अतिश्योक्ति अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
उदाहरण 1
हनुमान की पूंछ में लगन न पायी आगि।
सगरी लंका जल गई, गये निसाचर भागि।
स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त पंक्तियों में बताया गया है कि हनुमानजी की पूँछ में तो आग नही लग पाई, लेकिन पूरी लंका जल गई और सभी निशाचर अर्थात सभी दैत्य अथवा असुर भाग गए। यह बात पूर्णतया असंभव है। अतः यह अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण है।
उदाहरण 2
बाँधा था विधु को किसने,
इन काली जंजीरों से।
मणिवाले फणियों का मुख,
क्यों भरा हुआ हीरों से।।
स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त पंक्तियों में मोतियों से भरी हुई प्रिया की माँग का कवि ने वर्णन किया है। विधु अथवा चन्द्र से मुख, काली जंजीरों से केश और मणिवाले फणियों से मोती भरी माँग का बोध होता है। अतः यह अतिश्योक्ति अलंकार का उदाहरण है।
उदाहरण 3
लहरें व्योम चूमती उठतीं।
स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त पंक्तियों में समुद्र की लहरों को आकाश चूमते हुए कहकर उनकी अतिशय ऊँचाई का उल्लेख अतिशयोक्ति के माध्यम से किया गया है। अतः यह अतिश्योक्ति अलंकार का उदाहरण है।
उदाहरण 4
आगे नदियां पड़ी अपार,
घोडा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार,
तब तक चेतक था उस पार।।
उदाहरण 5
धनुष उठाया ज्यों ही उसने,
और चढ़ाया उस पर बाण।
धरा-सिन्धु नभ काँपे सहसा,
विकल हुए जीवों के प्राण।।
उदाहरण 6
भूप सहस दस एकहिं बारा।
लगे उठावन टरत न टारा।।
उदाहरण 7
परवल पाक, फाट हिय गोहूँ।
उदाहरण 8
चंचला स्नान कर आये,
चन्द्रिका पर्व में जैसे।
उस पावन तन की शोभा,
आलोक मधुर थी ऐसे।।
उदाहरण 9
देख लो साकेत नगरी है यही,
स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही।
उदाहरण 10
मैं बरजी कैबार तू,
इतकत लेती करौंट।
पंखुरी लगे गुलाब की,
परि है गात खरौंट।।
उदाहरण 11
बाँधा था विधु को किसने इन काली ज़ंजीरों में,
मणिवाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ है हीरों से।
अतिश्योक्ति अलंकार के भेद
अतिश्योक्ति अलंकार के कुल 6 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-
अतिश्योक्ति अलंकार के भेद |
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रूपकातिशयोक्ति अलंकार |
सम्बन्धातिशयोक्ति अलंकार |
भेदकातिशयोक्ति अलंकार |
चपलातिशयोक्ति अलंकार |
अतिक्रमातिशयोक्ति अलंकार |
असम्बन्धातिशयोक्ति अलंकार |
अतिश्योक्ति अलंकार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
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अतिश्योक्ति अलंकार की परिभाषा क्या है?
जहाँ पर किसी व्यक्ति अथवा वस्तु का वर्णन करने में लोक-समाज की सीमा अथवा मर्यादा भंग (टूट) हो जाती है, तो वहाँ पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
साधारण शब्दों में:- अतिशयोक्ति का अर्थ ‘उक्ति में अतिशयता का समावेश’ होता है। जहाँ पर उपमेय और उपमान का समान कथन न होकर सिर्फ उपमान का वर्णन होता है, वहाँ पर ‘अतिश्योक्ति अलंकार’ होता है। -
अतिश्योक्ति अलंकार के कितने भेद है?
अतिश्योक्ति अलंकार के कुल 6 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-
1. रूपकातिशयोक्ति अलंकार
2. सम्बन्धातिशयोक्ति अलंकार
3. भेदकातिशयोक्ति अलंकार
4. चपलातिशयोक्ति अलंकार
5. अतिक्रमातिशयोक्ति अलंकार
6. असम्बन्धातिशयोक्ति अलंकार
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।