भावार्थ की परिभाषा, महत्वपूर्ण बातें और उदाहरण

भावार्थ की परिभाषा : Bhavarth in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘भावार्थ की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप भावार्थ की परिभाषा से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
भावार्थ की परिभाषा : Bhavarth in Hindi
भावार्थ शब्द का अर्थ ‘भाव का अर्थ‘ होता है। किसी भी गद्य व पद्य रचना के मूल भावों को ही ‘भावार्थ‘ कहते है। भावार्थ में छोटे तथा बड़े सभी प्रकार के भावों का समावेश होता है।
साधारण शब्दों में:- गद्यांश व पद्यांश में प्रयुक्त हुए विचारों को संक्षेप तथा सरल भाषा में लिखने का प्रयास ही ‘भावार्थ‘ कहलाता है।
भावार्थ से संबंधित महत्वपूर्ण बातें
भावार्थ से संबंधित सभी महत्वपूर्ण बातें निम्न प्रकार है:-
- मूल रचना को दो से तीन बार ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए और फिर उसके मूल विचारों को रेखांकित करना चाहिए।
- भावार्थ में से व्यर्थ बातों व शब्दों को हटा देना चाहिए।
- भावार्थ में रेखांकित किए गए वाक्यों व शब्दों को मिलाकर सार्थक वाक्य बनाना चाहिए।
- भावार्थ की भाषा साफ तथा सरल होनी चाहिए।
- भावार्थ में आलंकारिक शब्दों व भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- भावार्थ में भावों का पदान्वय नहीं होना चाहिए।
भावार्थ के उदाहरण
भावार्थ के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
उदाहरण 1
चलते-चलते जो कभी गिर जाओ,
खुद को संभालो और फिर से चलो
चोट खाकर ही सीख मिलती है।
भावार्थ:- उपर्युक्त पंक्तियाँ ‘कवि त्रिपुरारी जी’ द्वारा रचित ‘प्रेरणा’ कविता से उठाई गई है। उपर्युक्त पंक्तियों में कवि ने हिम्मत न हारने की प्रेरणा (सीख) दी है। इन पंक्तियों में कवि कहते है कि कर्तव्य पथ पर चलते हुए यदि हम कभी गिर पड़ते हैं अर्थात यदि हम असफल हो जाते है, तो हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। ऐसी परिस्थिति में हमें स्वयं को संभालकर आगे बढ़ना चाहिए। जीवन में इस प्रकार की चोटों अर्थात असफलताओं से ही हमें सीख मिलती है, जो हमें सफलता प्राप्त करने में काफी सहायक होती है।
उदाहरण 2
क्या बाज को चिड़ियों का शिकार करते हुए देखकर हंस को यह शोभा देगा कि वह मानसरोवर की आनंदमय शांति को छोड़कर चिड़ियों का शिकार करने लगे और वह शिकार बन जाए, तो आप उसे बधाई देंगी? हंस के पास उतनी तेज चोंच नहीं है, न ही उतनी तेज आँखें होती है, न उतने तेज पंख होते है, न उतनी तेज रक्त की प्यास होती है। इन अस्त्रों का संचय करने में उसे सदियों लग जाएंगे, लेकिन फिर भी वह बाज बन सकेगा अथवा नहीं, इसमें कोई संदेह है। लेकिन, बाज बने अथवा न बने, वह हंस न रहेगा, वह हंस जो मोती चुगता है।
भावार्थ:- जिस प्रकार हंस बाज की भांति कभी भी शिकार करने वाला तथा निर्दय नहीं हो सकता है, क्योंकि दोनों की आकृति तथा प्रकृति में काफ़ी अंतर है। अर्थात उसी प्रकार स्त्री लाख चाहने पर भी पुरुष की भांति कठोर व क्रूर नहीं बन सकती है, क्योंकि दोनों की शारीरिक बनावट तथा मानसिक प्रक्रिया में काफ़ी अंतर है।
भावार्थ से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
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भावार्थ की परिभाषा क्या है?
भावार्थ शब्द का अर्थ ‘भाव का अर्थ‘ होता है। किसी भी गद्य व पद्य रचना के मूल भावों को ही ‘भावार्थ‘ कहते है। भावार्थ में छोटे तथा बड़े सभी प्रकार के भावों का समावेश होता है।
साधारण शब्दों में:- गद्यांश व पद्यांश में प्रयुक्त हुए विचारों को संक्षेप तथा सरल भाषा में लिखने का प्रयास ही ‘भावार्थ‘ कहलाता है।
अंतिम शब्द
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।