15 अगस्त/स्वतंत्रता दिवस 2024 पर कविताएँ

15 अगस्त/स्वतंत्रता दिवस 2024 पर कविताएँ : Poem on Independence Day 2024 in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘Poem on Independence Day 2024’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप Poem on Independence Day 2024 से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
15 अगस्त/स्वतंत्रता दिवस 2024 पर कविताएँ : Poem on Independence Day 2024 in Hindi
15 अगस्त का दिन प्रत्येक भारतीय के लिए खास है। इस दिन को भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारत ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ था।
यह दिन प्रत्येक भारतीय के लिए बहुत ही सम्मान का दिन है। कविताओं के माध्यम से हम इस दिन को और भी खास बना सकते है।
कविताओं के माध्यम से हम अपने मनोभावों को भाषा के माध्यम से प्रकट कर सकते हैं। कविताएँ बहुत ही मनोरंजक होती है। इन्हें पढ़ने के बाद आपका मन बहुत अच्छा महसूस करता है।
इस लेख में हम आपके लिए कुछ कविताएँ चुनकर लाये है। यें कविताएँ पूर्ण रूप से अलग-अलग माध्यमों से ली गई है। इनमें हमारी कोई रचनाएँ मौजूद नही है।
मैं उन सभी कवियों व रचनाकारों का शुक्रिया अदा करता हूँ, जिन्होंने देशभक्ति पर इतनी सुंदर कविताएँ लिखीं है। मैं उन्हें तहे दिल से धन्यवाद देता हूँ। मैं आपके लिए चुनकर कुछ देशभक्ति कविताएँ लाया हूँ। आप सभी इन कविताओं को पढ़कर इनका आनंद लें।
विद्यार्थी इन कविताओं को स्वतंत्रता दिवस पर अपने विद्यालय मे पढ़कर सुना सकते है। यें कविताएँ आपके मन में देशभक्ति को भावना को बढ़ा देगी।
15 अगस्त/स्वतंत्रता दिवस 2024 पर कविताएँ

(1)
हम तो आज़ाद हुए लड़कर पर
आज़ादी के बाद भी लड़ रहे है
पहले अंग्रेजों से लड़े थे
अब अपनों से लड़ रहे है
आज़ादी से पहले कितने
ख्वाब आँखों में संजो रखे थे
अब आजादी के बाद वो
ख्वाब, ख्वाब ही रह गए है
अब तो अंग्रेज़ी राज और
इस राज में फर्क न लगे
पहले की वह बद स्थिति
अब बदतर हो गई है…
(2)
फिरंगियों ने यह वतन छोड़ा था
इस देश के रिश्तों को तोडा था
फिर भारत दो भागों में बाँटा था
एक हिस्सा हिन्दुस्तान था
दूसरा पाकिस्तान कहलाया था
सरहद नाम की रेखा खींची थी
जिसे कोई पार न कर पाया था
ना जाने कितनी माँ रोई थी
न जाने कितने बच्चे भूके सोये थे
हम सभी ने साथ रहकर
एक ऐसा समय भी काटा था
(3)
देशभक्ति तेरे रग-रग में बहे
भारतवासियों का तू अभिमान है
कायम रहे तू अनंत काल
तेरी वीरता ही तेरी पहचान है
हर दिल की धड़कन है तू
तिरंगे की शान है
तेरी बहादुरी को देखकर
डरने लगा अब शमशान है
तू फौजी नहीं अंगार है
देश का रखवाला
देश की जान है!
तुझमें ही बसती देश की जान है
तू है भारत देश की तस्वीर
तेरे होने से ही
लहरा रहा है तिरंगा कश्मीर!
(4)
प्यारा-प्यारा मेरा देश,
सबसे न्यारा मेरा देश।
दुनिया जिस पर गर्व करें,
ऐसा सितारा मेरा देश।
चांदी-सोना मेरा देश,
सफ़ल-सलोना मेरा देश।
गंगा-जमुना की माला का,
फूलों वाला मेरा देश।
आगे जाए मेरा देश,
नित नए मुस्काएं मेरा देश।
इतिहासों में बढ़-चढ़कर,
नाम लिखायें मेरा देश।
(5)
ऐ मेरे प्यारे वतन,
ऐ मेरे बिछड़े चमन
तुझ पर दिल कुरबान।
तू ही मेरी आरजू़,
तू ही मेरी आबरू
तू ही मेरी जान।
तेरे दामन से जो आए
उन हवाओं को सलाम
चूम लूँ मैं उस जुबाँ को
जिस पर आए तेरा नाम।
सबसे प्यारी सुबह तेरी
सबसे रंगी तेरी शाम
तुझ पर दिल कुरबान।
माँ का दिल बनकर कभी
सीने से लग जाता है तू
और कभी नन्हीं-सी बेटी
बनकर याद आता है तू
जितना याद आता है मुझको
उतना तड़पाता है तू
तुझ पर दिल कुरबान।
छोड़कर तेरी ज़मीं को
दूर आ पहुँचे हैं हम
फिर भी है यहीं तमन्ना
तेरे ज़र्रों की कसम।
हम जहाँ पैदा हुए उस
जगह पर ही निकले दम
तुझ पर दिल कुरबान।
(6)
लाल रक्त से धरा नहाई,
श्वेत नभ पर लालिमा छाई,
आजादी के नव उद्घोष पर,
सभी ने वीरों की गाथा गाई,
गाँधी, नेहरु, पटेल, सुभाष की
ध्वनि चारों और है छाई,
भगत, राजगुरु और सुखदेव की
क़ुरबानी से आँखें भर आई,
ऐ भारत माता तुझसे अनोखी
और अद्भुत माँ न हमने पाई,
हमारे रगों में तेरे क़र्ज़ की,
एक-एक बूँद समाई
माथे पर है बांधे कफ़न
और तेरी रक्षा की कसम है खाई,
सरहद पर खड़े रहकर
आजादी की रीत निभाई!
(7)
आज़ाद माँ के सपूत,
नसों में गर्क हो रहे हैं
अँधेरे में घिर चुके जो,
उन्हें रौशनी दिखा दे
वतन की खातिर,
ख़ुशी से जान भी दे दें
आन सलामत रहे वतन की,
एहसास दिलादे
नारी मेरे वतन की,
सीता भी है, झांसी भी
बस बेगानी सभ्यता से,
थोडा सा बचा दे
चाँद को छूने वाला दिल,
क्या नहीं कर सकता
मेरे हर भारतवासी को,
नित नया हौंसला दे
हम हैं हिन्दुस्तानी,
हमारी शान हिन्दुस्तान
हमारी आन है तिरंगा,
हर जान को सिखा दे
‘कुरालीया’ क़र्ज़,
इस धरती का चुकाना लाजिम है
बची हर सांस अपनी,
बस राह में वतन की लगा दे
वतन से प्यार का ज़ज्बा,
हर दिल में जगा दे
वो शमा भगत सिंह वाली,
रग-रग में जला दे
(8)
उठो, धरा के अमर सपूतों।
पुन: नया निर्माण करो।
जन-जन के जीवन में
फिर से नव-स्फूर्ति, नव प्राण भरो।
नई प्रात है नई बात है
नई किरन है, ज्योति नई।
नई उमंगें, नई तरंगें
नई आस है, सांस नई।
युग-युग के मुरझे सुमनों में
नई-नई मुस्कान भरो।
उठो, धरा के अमर सपूतों
पुन: नया निर्माण करो।।
डाल-डाल पर बैठ विहग
कुछ नए स्वरों में गाते हैं।
गुन-गुन, गुन-गुन करते भौंरें
मस्त उधर मँडराते हैं।
नवयुग की नूतन वीणा में
नया राग, नव गान भरो।
उठो, धरा के अमर सपूतों।
पुन: नया निर्माण करो।
कली-कली खिल रही इधर
वह फूल-फूल मुस्काया है।
धरती माँ की आज हो रही
नई सुनहरी काया है।
नूतन मंगलमय ध्वनियों से
गुँजित जग-उद्यान करो।
उठो, धरा के अमर सपूतों।
पुन: नया निर्माण करो।
सरस्वती का पावन मंदिर
शुभ संपत्ति तुम्हारी है।
तुममें से हर बालक इसका
रक्षक और पुजारी है।
शत-शत दीपक जला ज्ञान के
नवयुग का आह्वान करो।
उठो, धरा के अमर सपूतों।
पुन: नया निर्माण करो।
(9)
अपनी जान से भी प्यारी है,
हमको अपनी आज़ादी।
इसको पाने के खातिर है हमने,
अपनी जान लुटा दी।
हम भारत के हैं वासी,
इसकी है शान निराली।
शान न इसकी जाने पाए,
करते है हम इसकी रखवाली।
वीर पुरुष थे भारत के,
खेलें थे अपनी जान पर।
देकर आज़ादी इसको,
कर दी थी जान न्योछावर।
हम भी है संताने उनकी,
थे वीर वो जितने महान।
जीवन अर्पण कर देंगे अपना,
देकर अपना बलिदान।
आज़ादी के संरक्षक हम,
इसका का मान बढ़ाएंगे।
इसकी रक्षा के खातिर,
मर जायेंगे, मिट जायेंगे।
(10)
आधी रात को स्वतंत्रता;
भोर पर जाएं;
एक छोटी सी गति से कम;
एक छोटी सी बहुत ज्यादा और प्रतिबंधों;
लेकिन कभी नहीं उदास;
नहीं खड़े करने के लिए झिझक;
यात्रा के लिए जारी;
भोर जीतने करते हैं।
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।