प्रतिवेदन की परिभाषा, प्रकार, महत्व, विशेषताएँ और उदाहरण

प्रतिवेदन की परिभाषा : Prativedan in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘प्रतिवेदन की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप प्रतिवेदन से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
प्रतिवेदन की परिभाषा : Prativedan in Hindi
भूत अथवा वर्तमान की विशेष घटना, प्रसंग एवं विषय के प्रमुख कार्यों के क्रमबद्ध तथा संक्षिप्त विवरण को ‘प्रतिवेदन’ कहते है।
साधारण शब्दों में:- वह लिखित सामग्री जो किसी घटना, कार्य-योजना, समारोह, आदि के बारे में प्रत्यक्ष देखकर एवं छानबीन करके तैयार की गई है, ‘प्रतिवेदन’ कहलाती है।
प्रतिवेदन अतिसंक्षिप्त लेकिन काफी सारगर्भित रचना होती है, जिसे पढ़कर व सुनकर उस घटना अथवा अन्य कार्यवाई से संबंधित वस्तुपरक जानकारी प्राप्त हो जाती है। इससे किसी कार्य की स्थिति तथा प्रगति की सूचना प्राप्त होती है।
प्रतिवेदन अंग्रेजी के रिपोर्ट (Report) शब्द के अर्थ में प्रयुक्त होता है। समाचार पत्र के लिए किसी घटना एवं दुर्घटना का विवरण ‘प्रतिवेदन’ अथवा ‘रिपोर्ट’ है।
किसी सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के विवरण को भी ‘प्रतिवेदन’ कहते है। पुलिस थाने में किसी दुर्घटना, अपराध (जैसे:- चोरी, आदि) की शिकायत अथवा रिपोर्ट के लिए प्रतिवेदन कक्ष (Reporting Room) बने होते है।
इन स्थितियों में प्रतिवेदन से विवरण, सूचना, समाचार, शिकायत, आदि अर्थ लिए जाते है। प्रतिवेदन का एक विशेष अर्थ भी है।
किसी कार्य-योजना, परियोजना, समस्या, आदि पर किसी उच्च अधिकारी द्वारा नियुक्त समिति प्रतिवेदन प्रस्तुत करती है, जिसमें उस योजना अथवा समस्या का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया जाता है।
यह विवरण गहन पूछताछ तथा छानबीन पर आधारित होता है। अच्छे प्रतिवेदन में घटना, समस्या, आदि से सम्बद्ध तथ्यों का प्रमाणिक व निष्पक्ष विवरण होता है। संक्षिप्तता व स्पष्टता प्रतिवेदन के अनिवार्य गुण है।
प्रतिवेदन लिखने के लिए ध्यान में रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें
प्रतिवेदन लिखने के लिए निम्नलिखित बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए:-
- प्रतिवेदन संक्षिप्त होना चाहिए।
- प्रतिवेदन में किसी घटना एवं कार्रवाई की मुख्य बातें अवश्य लिखी जानी चाहिए।
- प्रतिवेदन की भाषा सरल एवं शैली सुस्पष्ट होनी चाहिए।
- प्रतिवेदन का विवरण क्रमिक रूप से होना चाहिए।
- प्रतिवेदन में पुनरुक्ति दोष नहीं होना चाहिए अर्थात एक ही बात को बार-बार विभिन्न रूपों में नहीं लिखना चाहिए।
- प्रतिवेदन के लिए एक सटीक शीर्षक अवश्य होना चाहिए।
प्रतिवेदन की विशेषताएँ
प्रतिवेदन की सभी विशेषताएँ निम्नलिखित है:-
- प्रतिवेदन में किसी घटना अथवा प्रसंग की मुख्य-मुख्य बातें लिखी जाती है।
- प्रतिवेदन में सभी बातें एक क्रम में लिखी जाती है।
- प्रतिवेदन संक्षेप में लिखा जाता है। इसमें बातें विस्तार में नहीं बल्कि संक्षेप में लिखी जाती है।
- प्रतिवेदन की सभी बातें सरल तथा स्पष्ट होनी चाहिए, जिससे कि उन्हें समझने में सिरदर्द नहीं हो। उन बातों का एक ही अर्थ और निष्कर्ष होना चाहिए। स्पष्टता एक अच्छे प्रतिवेदन की बड़ी विशेषता होती है।
- प्रतिवेदन सच्ची बातों का विवरण होता है। इसमें पक्षपात, कल्पना तथा भावना के लिए स्थान नहीं है।
- प्रतिवेदन में लेखक अथवा प्रतिवेदक की प्रतिक्रिया एवं धारणा व्यक्त नहीं की जाती है। उसमें ऐसी कोई बात नहीं कही जाती है, जिससे भम्र पैदा होता है।
- प्रतिवेदन की भाषा साहित्यिक नहीं होती है। यह सरल तथा रोचक होती है।
- प्रतिवेदन किसी घटना एवं विषय की साफ तथा सजीव तस्वीर सुनने व पढ़ने वाले के मन पर खींच देता है।
प्रतिवेदन का उद्देश्य
प्रतिवेदन का उद्देश्य बीते हुए समय के विशेष अनुभवों का संक्षिप्त संग्रह करना है, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की भूल अथवा भम्र न होने पाए।
प्रतिवेदन में उसी कठोर सत्य की चर्चा रहती है, जिसका अच्छा अथवा बुरा अनुभव हुआ है। प्रतिवेदन का दूसरा उद्देश्य भूतकाल को वर्तमान से जोड़ना भी है।
बीते समय की भूल से लाभ उठाकर वर्तमान को सुधारना प्रतिवेदन का मुख्य प्रयोजन है, लेकिन प्रतिवेदन डायरी अथवा दैंनंदिनी नहीं है।
प्रतिवेदन में यथार्थ की तस्वीर रहती है और डायरी में यथार्थ के साथ लेखक की भावना, कल्पना तथा प्रतिक्रिया भी व्यक्त होती है। प्रतिवेदन तथा डायरी में यह स्पष्ट भेद है।
प्रतिवेदन का महत्व
वर्तमान समय में प्रतिवेदन लेखन एक महत्त्वपूर्ण कार्य के रूप में स्वीकार किया जा रहा है। प्रतिवेदन लेखक विभिन्न सच्चाई से संबंध की जाँच, निरीक्षण, खोज तथा छानबीन करके जो परिणाम निकालते है, उन्हें ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत करता है।
अर्थात जब भी कोई विषय, मुद्दा तथा मामला सामान्य लोगों के विरुद्ध होता है, तो उस विषय की छानबीन करना आवश्यक हो जाता है, इसलिए ऐसी स्थिति में ही प्रतिवेदन की आवश्यक होता है।
सरकारी अथवा गैर सरकारी कार्यालयों एवं संस्थाओं में छोटे-मोटे नियमों का उल्लंघन, घोटाला तथा विवादों की जाँच एवं उनकी प्रतिवेदन की आवश्यकता बनी ही रहती है।
मानव का जीवन बहुरंगी है। उसमें अनेक घटनाएँ नित्य घटती रहती है और अच्छे तथा बुरे कार्य होते रहते है। प्रतिवेदन में सभी प्रकार के प्रसंगों एवं कार्यों को स्थान दिया जाता है।
सरकारी अथवा गैर-सरकारी कर्मचारी समय-समय किसी कार्य एवं घटना का प्रतिवेदन अपने से बड़े अफसर को देते रहते है। समाचार-पत्रों के संवाददाता भी प्रधान संपादक को प्रतिवेदन लिखकर भेजते है।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक भी शिक्षा पदाधिकारियों को अपने विद्यालय से संबंधित प्रतिवेदन लिखकर भेजते है। गाँव का मुखिया भी अपने गाँव का प्रतिवेदन ‘सरकार’ को भेजता है।
किसी संस्था का मंत्री भी उसका वार्षिक एवं अर्द्धवार्षिक प्रतिवेदन सभा में सुनाता है। इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि सामाजिक तथा सरकारी जीवन में प्रतिवेदन का महत्व तथा मूल्य दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
प्रतिवेदन के प्रकार
प्रतिवेदन के कुल 3 प्रकार है, जो कि निम्नलिखित है:-
प्रतिवेदन के प्रकार |
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व्यक्तिगत प्रतिवेदन |
संगठनात्मक प्रतिवेदन |
विवरणात्मक प्रतिवेदन |
1. व्यक्तिगत प्रतिवेदन
व्यक्तिगत प्रतिवेदन में व्यक्ति अपने जीवन के किसी संबंध में अथवा विद्यार्थी जीवन पर प्रतिवेदन लिख सकता है। इसमें व्यक्तिगत बातों का उल्लेख अधिक रहता है। यह प्रतिवेदन कभी-कभी डायरी का भी रूप ले लेता है। यह प्रतिवेदन का आदर्श रूप नहीं है।
व्यक्तिगत प्रतिवेदन के उदाहरण
व्यक्तिगत प्रतिवेदन का उदाहरण निम्नलिखित है:-
7.04.2002
मैं सुबह 5 बजे उठा। नित्य क्रियाएँ करके 6 बजे पढ़ने बैठा। अचानक सिर में दर्द हुआ। बिस्तर पर लेट गया। आँखें बंद कर लीं। नींद आ गई। एक घंटे बाद जगा, लेकिन दर्द बना रहा। डॉक्टर के पास गया। दवा लेकर घर लौटा। दवा खाकर फिर लेट गया। दर्द दूर हो गया। 10 बजे भोजन किया और विद्यालय के लिए चल पड़ा। 12 बजे दोपहर में सिरदर्द शुरू हुआ। छुट्टी लेकर घर लौट आया। पूरा दिन इसी प्रकार कटा।
2. संगठनात्मक प्रतिवेदन
संगठनात्मक प्रतिवेदन में किसी संस्था, सभा, बैठक, आदि का विवरण दिया जाता है। यहाँ प्रतिवेदक अपने बारे में कुछ न कहकर सभी बातें संगठन व संस्था से संबंधित लिखता है। संगठनात्मक प्रतिवेदन मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक व वार्षिक भी हो सकता है।
संगठनात्मक प्रतिवेदन के उदाहरण
संगठनात्मक प्रतिवेदन के उदाहरण निम्नलिखित है:-
प्रतिवेदन:- विद्यालय का वार्षिकोत्सव
हमारा विद्यालय सन 1930 में स्थापित हुआ था। इस नगर में यह पिछले 93 वर्षों से शिक्षा का प्रचार-प्रसार करता रहा है। शुरुआत में जहाँ इस विद्यालय में 5 शिक्षक और 50 विद्यार्थी थे, वहीं आज शिक्षकों की संख्या 30 और विद्यार्थियों की संख्या 700 तक पहुँच गई है। यहाँ कला, वाणिज्य एवं विज्ञान की शिक्षा प्रदान की जाती है। शिक्षकों को समय पर वेतन मिलता है। यह सभी बड़ी निष्ठा से अपना कार्य करते है। विद्यालय में सह-शिक्षा की भी व्यवस्था है। लड़कियों की संख्या 250 है। इस वर्ष से सिलाई तथा कताई-बुनाई की शिक्षा की भी व्यवस्था की गई है। विद्यार्थी इसके महत्व से घरेलू उद्योग-धंधों में रुचि ले रहे हैं। इस वर्ष प्रवेश परीक्षा में प्रथम श्रेणी में 30 विद्यार्थी, द्वितीय श्रेणी में 12 विद्यार्थी तथा तृतीय श्रेणी में 3 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। इस विवरण से स्पष्ट है कि यह विद्यालय प्रत्येक दिशा में विकास कर रहा है। शिक्षा-विभाग के निरीक्षक ने भी इसकी सराहना की है। दिनांक:- 22.02.2023 विकास यादव प्रधानाध्यापक संजय पब्लिक स्कूल
3. विवरणात्मक प्रतिवेदन
किसी कार्य, योजना, घटना तथा स्थिति का प्रतिवेदन ‘विवरणात्मक प्रतिवेदन’ कहलाता है। जैसे:- किसी शिविर के आयोजन का प्रतिवेदन, किसी संस्था की वार्षिक उपलब्धियों का प्रतिवेदन, किसी परिषद के कार्य-कलापों का प्रतिवेदन, आदि।
विवरणात्मक प्रतिवेदन में किसी मेले, यात्रा, पिकनिक, सभा, रैली, आदि का विवरण तैयार किया जाता है। प्रतिवेदक को यहाँ बड़ी ईमानदारी से विषय का यथार्थ विवरण देना पड़ता है।
विवरणात्मक प्रतिवेदन के उदाहरण
विवरणात्मक प्रतिवेदन के उदाहरण निम्नलिखित है:-
प्रतिवेदन:- मेला
भारत का सबसे बड़ा मेला सोनपुर में प्रतिवर्ष लगता है। इसे 'हरिहरक्षेत्र का मेला' कहते है। यह कार्तिक की पूर्णिमा के 2-3 दिन पहले से 15-20 दिनों तक गंडक तथा गंगा के संगम पर लगता है। पूर्णिमा के दिन यात्रियों की भारी भीड़ हरिहरनाथ के दर्शन के लिए इकठ्ठा होती है। इस वर्ष भी मंदिर के सामने दर्शनार्थियों की एक लंबी कतार थी। भीड़ इतनी अधिक थी कि एक लड़का कुचलकर मर गया। उसके बावजूद भी भीड़ अपनी जगह से नहीं हटी। हरिहरनाथ के दर्शन कर लोग सजी-सजाई दूकानों की तरफ बढ़े। उनकी सजावट मनमोहक थी। देशभर के व्यापारी आये थे। आसपास के मकानों का किराया अधिक था। अलग-अलग स्थानों पर दुकानें लगाई गई थी। पशु-पक्षियों का जमाव एक स्थान पर था। हाथी, घोड़े, गाय, बैल, आदि की खरीददारी हुई। दूसरे स्थान पर साधु-संन्यासी अपनी-अपनी कुटी में धुनी रमाये थे। तीसरे स्थान पर सर्कस वाले तरह-तरह के खेल-तमाशे दिखा रहे थे। रात में बिजली की रोशनी में पूरा मेला जगमगा रहा था। सम्पूर्ण दृश्य मनमोहक था। पूर्णिमा के दूसरे दिन मैं घर लौट आया। दिनांक 22.02-2023 सुरेश गौतम
आदर्श प्रतिवेदन के उदाहरण
आदर्श प्रतिवेदन के कुछ उदाहरण निम्न प्रकार है:-
1. विद्यालय के वार्षिकोत्सव पर प्रतिवेदन
22 अप्रैल, 2023 को हमारे विद्यालय में वार्षिकोत्सव मनाया गया। पूरे विद्यालय-भवन को दुल्हन की तरह सजाया गया। यूं तो छोटे बच्चों का कार्यक्रम दिन के 2 बजे से ही आरंभ हो चुका था, लेकिन मुख्य कार्यक्रम शाम के 5 बजे से शुरू हुआ। मुख्य अतिथि प्रो. वाल्मीकि बाबू ने अपने भाषण में इस विद्यालय की कार्य-पद्धतियों की जोरदार सराहना की। प्राचार्य डॉ. अरविन्द कुमार ने 'शिक्षा के ध्येय' और 'अभिभावकों के कर्तव्यों' पर काफी प्रेरक भाषण प्रस्तुत किया। सभी कक्षाओं के प्रथम तथा द्वितीय स्थानों पर आए विद्यार्थियों, विभिन्न खेलों में विजेता तथा उपविजेता टीमों और शिक्षकों को पुरस्कृत किया गया। उस दिन काफी रंगारंग कार्यक्रम हुए, जिसमें शरद, मनीष, पूजा, शिम्पी, आरती, ऋचा, कोमल, निशांत, आदि विद्यार्थियों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। लगभग 10 दिन तक पूरे क्षेत्र में इस वार्षिकोत्सव की चर्चा होती रही।
2. साहित्यिक संस्था ज्ञान-प्रसार समिति द्वारा आयोजित दिनकर जयंती पर प्रतिवेदन
इस वर्ष पूरे देश में राष्ट्र कवि दिनकर की जन्म-शताब्दी मनाई गई। पाटलीपुत्र की एक साहित्यिक संस्था 'ज्ञान-प्रसार समिति' ने रवीन्द्र-भवन में राष्ट्र कवि दिनकर की जन्म-शताब्दी मनाई। इस समारोह की अध्यक्षता युवा कवि आदित्य कमल ने की। मुख्य अतिथि के रूप में हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध आलोचक डॉ. नामवर सिंह थे। अपने वक्तव्य में सभापति आदित्य कमल ने डॉ. दिनकर के साहित्यिक योगदानों को समाज की अमूल्य निधि बताते हुए कहा:- 'राष्ट्र कवि दिनकर की वाणी राष्ट्र की वाणी थी। वह आम जनता के कवि थे। उन्होंने अपने समय के प्रायः सभी मिथकों को तोड़ा।' इस अवसर पर श्री दीपक चौथरी, श्री अंजनि कुमार, श्री सुशील कुमार जैसे सशक्त बुद्धिजीवी उपस्थित थे। अंत में 'ज्ञान-प्रसार समिति' के सचिव श्री जय प्रकाश 'ललन' ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
3. विद्यालय की कैंटीन में खाद्य वस्तुओं के संबंध में कुछ विद्यार्थियों की शिकायत पर प्राचार्य द्वारा नियुक्त समिति का प्रतिवेदन
दिनांक 15 सितम्बर 2017 को प्राचार्य द्वारा गठित 3 सदस्यों की समिति ने 12 दिन तक कैंटीन के कामकाज का निरीक्षण किया। विभिन्न कोणों से जाँच-पड़ताल करने के उपरांत समिति निम्नलिखित निष्कर्षों तक पहुँची है:- 1. पिछले दो वर्षों से कैंटीन में उपलब्ध खाद्य-पदार्थों की गुणवत्ता एक समान नहीं रही। 2. विद्यालय के पूरे समय खाद्य-पदार्थ उपलब्ध रहें, इसे सुनिश्चित करने पर ध्यान नहीं दिया गया। 3. कुछ छात्रों के व्यवहार से कैंटीन के ठेकेदार को क्राकरी, आदि के टूट-फूट की हानि उठानी पड़ती है। 4. कुछ खाद्य-पदार्थों के दाम अलाभकारी है, इसलिए उन्हें प्रायः तैयार नहीं किया जाता। 5. सुझाव:- (i). खाद्य-पदार्थों की गुणवत्ता की जाँच सप्ताह में एक बार अचानक की जाए। इसके लिए अध्यापकों तथा विद्यार्थियों की एक स्थाई अल्पाहार समिति बनाई जाए। (ii). कुछ खाद्य-पदार्थों की कीमतों की समीक्षा करें। (iii). विद्यार्थियों की कोई शिकायत हो, तो समिति उस पर तुरंत विचार करके उचित कार्यवाही करें। हस्ताक्षर हस्ताक्षर हस्ताक्षर ..... ..... ..... (सदस्य)(सदस्य)(संयोजक)
4. सेठ जयदयाल इंटर कॉलेज, बिसवाँ द्वारा किए गए विभिन्न कार्य-कलापों के वर्णन का प्रतिवेदन।
सेठ जयदयाल इंटर कॉलेज, बिसवाँ का वार्षिक प्रतिवेदन (2023-24) विद्यालय का इतिहास तथा प्रगति यह विद्यालय सन 1885 में श्रीमान सेठ जयदयाल जी की उदारता से खुला था। सेठ जयदयाल जी ने मुक्तहस्त से धन खर्च करके इस विद्यालय-भवन का निर्माण करवाया था। 13 वर्ष के बाद सेठ जी ने अपनी रियासत का एक बड़ा भाग इस विद्यालय के नाम दान कर दिया था, जिसकी विधिवत रजिस्ट्री 7 मई, 1888 में बिसवाँ में हुई थी। सेठ जी आजीवन इस विद्यालय के विकास में लगे रहे और विद्यालय के निमित्त धन दान करते रहे। इस विद्यालय में इंटरमीडिएट तक शिक्षा प्रदान की जाती है। इंटर कक्षाओं के कला संकाय में हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, नागरिकशास्त्र, इतिहास और समाजशास्त्र की शिक्षा प्रदान की जाती है तथा विज्ञान संकाय में गणित, भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान की शिक्षा प्रदान की जाती है। हाईस्कूल में विज्ञान संकाय में जीव-विज्ञान की भी शिक्षा प्रदान की जाती है। विद्यालय के मुख्य भवन में कुल 32 कमरे है। प्रधानाचार्य कक्ष और कार्यालय कक्ष से मिला हुआ विशाल हॉल है। इन्हीं के साथ पुस्तकालय, वाचनालय कक्ष, एनसीसी कक्ष तथा चित्रकला कक्ष है। विद्यालय के मुख्य भवन में ही एक अध्यापक कक्ष, हाईस्कूल जीव-विज्ञान प्रयोगशाला तथा विज्ञान प्रयोगशाला है। इंटरमीडिएट भौतिक विज्ञान प्रयोगशाला और रसायन प्रयोगशाला मुख्य भवन में ही उत्तर-पूर्व में स्थित है। कार्यालय कक्ष के ऊपर एक सुन्दर अतिथि-गृह भी है। खेलकूद के लिए विद्यालय के सामने एक विशाल मैदान है। प्रधानाचार्य सेठ जयदयाल इंटर कालेज, बिसवाँ (सीतापुर), उत्तर प्रदेश
5. अपने मौहल्ले के राशन दुकानदार के विरुद्ध जिला पूर्ति अधिकारी को शिकायत के लिए प्रतिवेदन
12 नारायण सदन साहूकार पीलीभीत (उत्तरप्रदेश) सेवा में, जिला पूर्ति अधिकारी, पीलीभीत। महोदय, मैं आपका ध्यान मौहल्ला साहूकार के सरकारी सस्ते गल्ले के दुकानदार की अनियमितताओं की और आकृष्ट करना चाहता हूँ। सबसे बड़ी समस्या यह है कि उक्त दुकानदार न तो नियत समय पर दुकान खोलता है और न ही बंद करता है। परिणामस्वरूप लोगों को सामान खरीदने के लिए दुकान के कईं चक्कर लगाने पड़ते है, जिससे लोगों का काफी समय व्यर्थ हो जाता है। इसकी दूसरी शिकायत यह है कि यह कम तौलता है और खाद्य-पदार्थों में मिलावट भी करता है। लोगों के प्रति इसका व्यवहार भी ठीक नहीं है। यह सभी लोगों से अकड़कर गलत प्रकार से बातें करता है। इस सम्बन्ध में आपसे निवेदन है कि इस मामले की जाँच करके आवश्यक कार्यवाही करने की कृपा करें, ताकि लोगों की इस समस्या का समाधान हो सके। सधन्यवाद। दिनांक 22.02.2023 भवदीय शिवशंकर लाल वर्मा
प्रतिवेदन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
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प्रतिवेदन की परिभाषा क्या है?
भूत अथवा वर्तमान की विशेष घटना, प्रसंग एवं विषय के प्रमुख कार्यों के क्रमबद्ध तथा संक्षिप्त विवरण को ‘प्रतिवेदन’ कहते है।
साधारण शब्दों में:- वह लिखित सामग्री जो किसी घटना, कार्य-योजना, समारोह, आदि के बारे में प्रत्यक्ष देखकर एवं छानबीन करके तैयार की गई है, ‘प्रतिवेदन’ कहलाती है। -
प्रतिवेदन के कितने प्रकार है?
प्रतिवेदन के कुल 3 प्रकार है, जो कि निम्नलिखित है:-
1. व्यक्तिगत प्रतिवेदन
2. संगठनात्मक प्रतिवेदन
3. विवरणात्मक प्रतिवेदन -
व्यक्तिगत प्रतिवेदन की परिभाषा क्या है?
व्यक्तिगत प्रतिवेदन में व्यक्ति अपने जीवन के किसी संबंध में अथवा विद्यार्थी जीवन पर प्रतिवेदन लिख सकता है। इसमें व्यक्तिगत बातों का उल्लेख अधिक रहता है। यह प्रतिवेदन कभी-कभी डायरी का भी रूप ले लेता है। यह प्रतिवेदन का आदर्श रूप नहीं है।
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संगठनात्मक प्रतिवेदन की परिभाषा क्या है?
संगठनात्मक प्रतिवेदन में किसी संस्था, सभा, बैठक, आदि का विवरण दिया जाता है। यहाँ प्रतिवेदक अपने बारे में कुछ न कहकर सभी बातें संगठन व संस्था से संबंधित लिखता है। संगठनात्मक प्रतिवेदन मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक व वार्षिक भी हो सकता है।
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विवरणात्मक प्रतिवेदन की परिभाषा क्या है?
किसी कार्य, योजना, घटना तथा स्थिति का प्रतिवेदन ‘विवरणात्मक प्रतिवेदन’ कहलाता है। जैसे:- किसी शिविर के आयोजन का प्रतिवेदन, किसी संस्था की वार्षिक उपलब्धियों का प्रतिवेदन, किसी परिषद के कार्य-कलापों का प्रतिवेदन, आदि।
विवरणात्मक प्रतिवेदन में किसी मेले, यात्रा, पिकनिक, सभा, रैली, आदि का विवरण तैयार किया जाता है। प्रतिवेदक को यहाँ बड़ी ईमानदारी से विषय का यथार्थ विवरण देना पड़ता है।
अंतिम शब्द
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।