निबंध लेखन की परिभाषा, प्रकार, अंग और उदाहरण

निबंध लेखन की परिभाषा : Nibandh Lekhan in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘निबंध लेखन की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप निबंध लेखन से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
निबंध लेखन की परिभाषा : Nibandh Lekhan in Hindi
वह गद्य रचना, जिसमें एक सीमित आकार में किसी एक विषय का वर्णन एवं प्रतिपादन एक विशेष निजीपन, स्वच्छन्दता, सजीवता, संगति तथा सुसम्बद्धता के साथ किया जाता है, उसे ‘निबंध’ कहते है।
निबंध में स्वयं लेखक का व्यक्तित्व साफ तौर पर झलकता है। उसका अपना दृष्टिकोण, शैली, भाषाधिकार, विचार शक्ति, तर्क शक्ति, आदि का सम्पूर्ण परिचय निबंध से प्राप्त हो जाता है।
निबंध, लेखक के व्यक्तित्व को प्रकाशित करने वाली ललित गद्य-रचना है।
इस परिभाषा में अतिव्याप्ति दोष है, लेकिन निबंध का रूप साहित्य की अन्य विधाओं की अपेक्षा इतना अधिक स्वतंत्र है कि उसकी सटीक परिभाषा तैयार करना काफी कठिन है।
निबंध शब्द का प्रयोग किसी विषय की तार्किक एवं बौद्धिक विवेचना करने वाले लेखों के लिए किया जाता है। निबंध के पर्याय रूप में सन्दर्भ, रचना तथा प्रस्ताव का भी उल्लेख किया जाता है।
लेकिन, साहित्यिक आलोचना में सर्वाधिक प्रचलित शब्द ‘निबंध’ ही है। निबंध को अंग्रेजी भाषा में ‘कम्पोज़ीशन’ और ‘एस्से’ भी कहा जाता है।
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार:- 'संस्कृत भाषा में भी निबंध का साहित्य है। प्राचीन संस्कृत साहित्य के उन निबंधों में धर्मशास्त्रीय सिद्धांतों की तार्किक व्याख्या की जाती थी। उनमें व्यक्तित्व की विशेषता नहीं होती थी, लेकिन वर्तमानकाल के निबंध संस्कृत के निबंधों से बिल्कुल विपरीत है। उनमें व्यक्तित्व एवं वैयक्तिकता का गुण सर्वप्रधान है। इतिहास-बोध परम्परा की रूढ़ियों से मनुष्य के व्यक्तित्व को मुक्त करता है। निबंध की विधा का संबंध इसी इतिहास-बोध से है। निबंध की प्रधान विशेषता व्यक्तित्व का प्रकाशन होने का यही कारण है।'
निबंध लेखन के प्रकार
लेखन-दृष्टि से निबंध के कुल 3 प्रकार है, जो कि निम्नलिखित है:-
निबंध लेखन के प्रकार |
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वर्णनात्मक निबंध लेखन |
विवरणात्मक निबंध लेखन |
विचारात्मक निबंध लेखन |
1. वर्णनात्मक निबंध लेखन
किसी स्थान, घटना, वस्तु एवं दृश्य का आँखों देखा अथवा परोक्ष वर्णन इस प्रकार हो कि वह यथार्थ चित्रण लगे, वह ‘वर्णनात्मक निबंध लेखन’ कहलाता है। इसमें वर्ण्य विषय की प्रमुखता रहती है। लेखक की भावनाओं का पुट भी दृष्टिगोचर होता है।
ऐसे निबंध विषयगत होते है। परोक्ष वर्णन (जो प्रत्यक्ष यथार्थ लगे) वाले निबंध विवरणात्मक होते है। इसलिए, वर्णनात्मक निबंध लेखन के समय उपर्युक्त तथ्यों का ध्यान रखना चाहिए।
प्राणी:-
प्राणी |
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श्रेणी |
प्राप्ति स्थान |
आकार प्रकार |
स्वभाव |
विचित्रता |
उपसंहार |
मनुष्य:-
मनुष्य |
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परिचय |
प्राचीन इतिहास |
वंश परंपरा |
भाषा और धर्म |
सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन |
स्थान:-
स्थान |
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अवस्थिति |
नामकरण |
इतिहास |
जलवायु |
शिल्प |
व्यापार |
जाति धर्म |
दर्शनीय स्थान |
उपसंहार |
2. विवरणात्मक निबंध लेखन
ऐतिहासिक, पौराणिक तथा आकस्मिक घटनाओं पर किये जाने वाले निबंध ‘विवरणात्मक निबंध’ कहलाते है। यह निबंध लेखन यात्रा, मैच, ऋतु, आदि पर लिख सकते है।
ऐतिहासिक:-
ऐतिहासिक |
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घटना का समय और स्थान |
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि |
कारण और फलाफल |
इष्ट, अनिष्ट और मंतव्य |
आकस्मिक घटना:-
आकस्मिक घटना |
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परिचय |
तारीख, स्थान और कारण |
विवरण और अंत |
फलाफल |
व्यक्ति और समाज |
कैसा प्रभाव हुआ |
विचारात्मक |
3. विचारात्मक निबंध लेखन
विचारात्मक निबंधों में लेखक के अपने विचार, मत तथा धारणाएं तार्किक रूप से बुद्धि सम्मत होते है। यह निबंध कभी तर्क प्रधान होते है, तो कभी भावना प्रधान होते है। इसलिए विचारात्मक निबंध लेखन के समय उपर्युक्त विचारों एवं तर्कों का ध्यान रखना आवश्यक है।
अर्थ, परिभाषा, भूमिका |
सार्वजनिक या सामाजिक, स्वाभाविक, कारण |
तुलना |
हानि और लाभ |
प्रमाण |
उपसंहार |
निबंध लेखन की विशेषताएँ
विश्व की सभी भाषाओं में निबंध लेखन को साहित्य की सृजनात्मक विधा के रूप में मान्यता आधुनिक युग में ही प्राप्त हुई है। आधुनिक युग में ही मध्ययुगीन धार्मिक तथा सामाजिक रूढ़ियों से मुक्ति का द्वार दिखाई पड़ा है।
इस मुक्ति से निबंध का काफी गहरा संबंध है। निबंध लेखन की सभी विशेषताएँ निम्नलिखित है:-
- एक अच्छे निबंध में संक्षिप्तता, एकसूत्रता तथा पूर्णता जैसे गुण विद्यमान होते है।
- निबंध लेखक को पुनरुक्ति से बचना चाहिए तथा अपनी बात को तर्कपूर्ण ढंग से व्यक्त करना चाहिए।
- तर्कों की पुष्टि हेतु आंकड़े, उद्धरण, आदि इस प्रकार से प्रस्तुत करने चाहिए, जिससे वे विषय के साथ एकरस हो जाए और पैबन्द जुड़े हुए प्रतीत न हो।
हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार:- ‘नए युग में जिन नवीन ढंग के निबंधों का प्रचलन हुआ है, वें व्यक्ति की स्वाधीन चिंता की उपज है।’ इस प्रकार निबंध में निबंधकार की स्वच्छंदता का विशेष महत्व है।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार:- ‘निबंध लेखक अपने मन की प्रवृत्ति के अनुसार स्वच्छंद गति से इधर-उधर फूटी हुई सूत्र शाखाओं पर विचरता चलता है। यही उसकी अर्थ-सम्बन्धी व्यक्तिगत विशेषता है। अर्थ-संबंध सूत्रों की टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं ही भिन्न-भिन्न लेखकों के दृष्टि-पथ को निर्दिष्ट करती है। एक ही बात को लेकर किसी का मन किसी संबंध-सूत्र पर दौड़ता है और किसी का किसी पर। एक ही बात को भिन्न दृष्टियों से देखना इसी का नाम है। व्यक्तिगत विशेषता का मूल आधार यही है।’
इसका तात्पर्य यह है कि निबंध में ऐसे ठोस रचना-नियमों तथा तत्वों का निर्देश नहीं दिया जा सकता है, जिनका पालन करना निबंध लेखक के लिए आवश्यक है।
ऐसा कहा जाता है कि निबंध एक ऐसी कलाकृति है, जिसके नियम लेखक द्वारा ही आविष्कृत होते है। निबंध में सहज, सरल तथा आडम्बरहीन ढंग से व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति होती है।
हिन्दी साहित्य कोश के अनुसार:- ‘निबंध लेखक बिना किसी संकोच के अपने पाठकों को अपने जीवन-अनुभव सुनाता है और उन्हें आत्मीयता के साथ उनमें भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है। उसकी यह घनिष्ठता जितनी अधिक सच्ची तथा सघन होगी, उसका प्रभाव निबंध पाठकों पर उतना ही सीधा और तीव्र करेगा। इसी आत्मीयता के फलस्वरूप निबंध-लेखक पाठकों को अपने पांडित्य से अभिभूत नहीं करना चाहता है।’
निबंध लेखन के गुण
निबंध लेखन के कुल 2 गुण होते है, जो कि निम्नलिखित है:-
निबंध लेखन के गुण |
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व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति |
सहभागिता का आत्मीय अथवा अनौपचारिक स्तर |
निबंध लेखन के अंग
निबंध के कुल 4 अंग होते है, जो कि निम्नलिखित है:-
निबंध लेखन के अंग |
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शीर्षक |
प्रस्तावना |
विषय विस्तार |
उपसंहार |
1. शीर्षक
निबंध में सदैव आकर्षक शीर्षक होना अत्यंत आवश्यक है। शीर्षक पढ़ने से लोगों में उत्सुकता बढ़ती है।
2. प्रस्तावना
निबंध में सबसे श्रेष्ठ ‘प्रस्तावना’ होती है। प्रस्तावना को ‘भूमिका’ भी कहा जाता है। निबंध की शुरुआत में हमें किसी भी प्रकार की स्तुति, श्लोक एवं उदाहरण से करते है, तो उसका अलग ही प्रभाव पड़ता है।
3. विषय विस्तार
‘विषय विस्तार’ निबंध का सबसे प्रमुख अंश होता है। इसमें 3-4 अनुच्छेदों को भिन्न-भिन्न पहलुओं पर विचार प्रकट किया जा सकता है।
निबंध लेखन में विषय विस्तार का संतुलन होना अत्यंत आवश्यक है। विषय विस्तार में निबंध लेखक अपने दृष्टिकोण को प्रकट करते हुए बता सकता है।
4. उपसंहार
उपसंहार को निबंध में सबसे अंत में लिखा जाता है। पूरे निबंध में लिखी गई बातों को हम एक छोटे से अनुच्छेद में बता सकते है। उपसंहार में संदेश, उपदेश, विचार एवं कविता की पंक्ति के माध्यम से भी निबंध को समाप्त किया जा सकता है।
निबंध-लेखन करते समय ध्यान रखने योग्य आवश्यक बातें
निबंध-लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है:-
- निबंध में विषय पर सम्पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।
- निबंध में भिन्न-भिन्न प्रकार के अनुच्छेदों को एक-दूसरे के साथ जुड़े होना चाहिए।
- निबंध की भाषा सरल, सहज तथा प्रवाहपूर्ण होनी चाहिए।
- निबंध के विषय की पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए।
- निबंध में स्वच्छता तथा विराम-चिह्नों पर खास ध्यान देना चाहिए।
- निबंध में मुहावरों का प्रयोग करना चाहिए।
- निबंध में छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।
- निबंध के आरंभ तथा अंत में कविता की पंक्तियों का भी उल्लेख करना चाहिए।
निबंध लेखन कला के महत्वपूर्ण बिंदु
निबंध लेखन कला के मुख्य रूप से कुल 4 महत्वपूर्ण बिंदु है, जो कि निम्नलिखित है:-
निबंध लेखन कला के महत्वपूर्ण बिंदु |
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विषय |
रूपरेखा |
आरंभ, मध्य और अंत |
शैली |
1. विषय
निबंध का विषय साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं ऐतिहासिक कुछ भी हो सकता है, लेकिन जैसा कि डॉ. लक्ष्मी सागर वार्ष्णेय ने कहा है कि ‘निबंध से तात्पर्य उन सच्चे साहित्यिक निबंधों से है, जिसमें लेखक विषय को नहीं अपितु स्वयं को प्रकट करता है। विषय तो सिर्फ बहाना मात्र होता है।’
वास्तव में, निबंध लेखन साहित्य और इसके आयाम इतने विस्तृत है कि उन्हें परिभाषा के घेरे में नहीं बांधा जा सकता है। निबंध को परिभाषा में बांधना कदाचित काव्य की परिभाषा करने से भी कठिन है।
उसमें कुछ लक्षण निर्धारित करके ही संतोष करना पड़ता है। उसमें लेखक का निजीपन एवं व्यक्तित्व झलकता है। निबंध उन्मुक्त तथा स्वच्छंद होते हुए भी स्वयं में पूर्ण होता है। उसमें अपनी अन्विति होती है।
2. रूपरेखा
निबंध लेखन में विचारों को व्यवस्थित क्रम प्रदान करने के लिए उसकी एक संक्षिप्त रूपरेखा तैयार करना अत्यंत आवश्यक है। निबंध लेखन में रूपरेखा के बिना आपके विचार किसी अन्य दिशा की और भटक सकते है।
इसलिए, निबंध लेखन में इस त्रुटि से बचने के लिए सदैव निबंध की रूपरेखा तैयार करनी चाहिए। सामान्यतः निबंध लेखन के समय निबंध को निम्नलिखित भागों में विभाजित करना चाहिए:-
निबंध की रूपरेखा |
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प्रस्तावना |
मूल विषय का प्रतिपादन |
समस्या पर तर्कपूर्ण चिंतन एवं विचार |
समस्या से सम्बन्धित आंकड़े, उद्धरण, आदि का प्रस्तुतीकरण |
सुझाव एवं निदान के उपाय |
उपसंहार |
3. आरंभ, मध्य और अंत
निबंध का आरंभ, मध्य और अंत का वर्णन निम्न प्रकार है:-
(i). निबंध का आरंभ
निबंध का आरंभ कैसे होना चाहिए?, निबंध के बीच में क्या होना चाहिए? तथा निबंध का अंत किस प्रकार किया जाना चाहिए?, इस प्रकार के किसी निर्देशों तथा नियमों की पालना करने के लिए निबंधकार बाध्य नहीं है।
लेकिन, इसका अर्थ यह नहीं है कि निबंध एक उच्छृंखल रचना है और निबंधकार एक उच्छृंखल व्यक्ति है।
(ii). निबंध का मध्य
निबंधकार अपनी प्रेरणा तथा विषय वस्तु की संभावनाओं के अनुसार अपने व्यक्तित्व का प्रकाशन एवं रचना का संगठन करता है। इसलिए, निबंध में शैली का विशेष महत्व है।
(iii). निबंध का अंत
निबंध का अंत भी ऐसा ही होना चाहिए, जो विषय के मूलभाव को संतुलित रूप से समेट सके।
4. शैली
निबंध लेखन में सामान्यतः विवेचनात्मक, विवरणात्मक तथा विश्लेषणात्मक शैली का प्रयोग करना चाहिए। कभी-कभी निबंध आत्मकथा एवं संभाषण शैली में भी लिखे जाते है।
इस प्रकार के निबंधों के विषय अलग प्रकार के होते है, जैसे:- गंगा नदी की आत्मकथा, यदि मैं प्रधानमंत्री होता, सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा, पराधीन सपनेहुं सुख नाहीं, आदि।
निबंध लेखन कैसे करें?
निबंध लेखन करने के सभी महत्वपूर्ण बिंदु तथा उनका वर्णन निम्न प्रकार है:-
1. दिए गए विषयों को अच्छी तरह पढ़ें
यह निबंध-लेखन प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण चरण है। आपको दिए गए विषयों में से किसी एक विषय का चयन करना चाहिए।
अपना विषय का चयन करते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप दिए गए विषयों में से उस विषय के बारे में सबसे अधिक जानते है।
2. विषय चयन के समय ध्यान दें
निबंध-लेखन के लिए एक संवेदनशील एवं विवादास्पद विषय जैसे:- कहें, नारीवाद, आदि विषयों का चुनाव करने से बचना चाहिए।
एक ऐसा विषय जिसके बारे में आप काफी भावुक है अथवा जिसके बारे में आप दृढ़ता से महसूस करते है। निबंध लेखन में ऐसे विषयों का चयन करने से भी बचना चाहिए।
3. विषय चयन के पश्चात् कुछ समय विचार करें
निबंध-लेखन के लिए विषय का चयन करने के तुरंत बाद ही निबंध-लेखन शुरू नहीं करना चाहिए, अपितु कुछ समय सोचना तथा अपने विचार एकत्रित करना ही समझदारी है।
पेंसिल से उन आवश्यक बिंदुओं को अवश्य लिखना चाहिए, जिन्हें आप निबंध में लिखना चाहते है। यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि तभी निबंध लेखक अपनी बातों को सही क्रम में लिख सकता है।
उदाहरण के लिए, यदि आप अपने पड़ोसियों के साथ भारत के संबंधों के बारे में लिख रहे है, तो आपको शुरुआत में ऐतिहासिक तथ्यों व घटनाओं को लिखना होगा।
मान लीजिए कि आपने निबंध-लेखन शुरू कर दिया और अंत में ही महसूस करते है कि आप ऐतिहासिक भाग में एक महत्वपूर्ण विवरण का उल्लेख करना भूल गए है और स्थान की कमी होने के कारण इसे जोड़ने में काफी देर हो जाएगी।
इसलिए, यदि आप शुरुआत में अपने अपरिष्कृत बिंदु लिखते है, तो इससे निबंध-लेखन में काफी सहायता मिलती है।
4. लिखते समय ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बातें
निबंध लेखन करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में अवश्य रखना चाहिए:-
- निबंध में नाम-पुकार का सहारा नहीं लेना चाहिए।
- निबंध में कभी भी व्यक्तिगत नहीं होना चाहिए।
- निबंध में अतिवादी दृष्टिकोण नहीं रखना चाहिए। बुद्ध का मध्य मार्ग यहाँ आपकी सहायता कर सकता है।
- निबंध में सिर्फ समस्याएं पेश नहीं करनी चाहिए, अपितु संभव सुधार एवं समाधान भी देने चाहिए।
- निबंध में सरकार तथा प्रशासन की अत्यधिक आलोचना नहीं करनी चाहिए।
- निबंध में उत्तेजक विषय होने पर भी आपका निबंध उत्तेजक नहीं होना चाहिए।
- निबंध में विषय का संतुलित चित्रण प्रस्तुत करना चाहिए।
- निबंध में आपको विषय से सहमत होने की आवश्यकता नहीं है।
- निबंध में काल्पनिक समाधान लिखने से बचना चाहिए।
5. एक उत्तम निबंध-लेखन के सूत्र
जिस विषय पर निबंध-लेखन करना है, उस पर पर्याप्त चिंतन-मनन कर लेना चाहिए और विचारों को व्यवस्थित क्रम प्रदान करने के लिए उसकी एक संक्षिप्त रूपरेखा भी तैयार कर लेनी चाहिए।
- विषय-वस्तु का प्रतिपादन रूपरेखा के अनुरूप करने से उसमें सुसम्बद्धता तथा कसावट आ जाती है।
- निबंध लेखक को सरसता का समावेश भी करना चाहिए अन्यथा वह एक तथ्य प्रधान विवरण मात्र रह जाएगा।
- निबंध की भाषा यथासम्भव सरल, सहज तथा प्रवाहपूर्ण होनी चाहिए।
- कठिन, कृत्रिम तथा आलंकारिक भाषा से यथासम्भव बचना चाहिए।
- दुरूह वाक्य रचना एवं बोझिल भाषा से निबंध का सौन्दर्य तथा सौष्ठव नष्ट हो जाता है।
- निबंध लेखक को अपने विषय पर केन्द्रित रहना चाहिए, तभी उसका प्रभाव उचित रूप में पड़ता है।
- एकसूत्रता भंग होने से निबंध बोझिल हो जाता है और उसमें पूर्णता नहीं आ पाती है।
निबंध लेखन की तैयारी
वस्तुतः निबंध-लेखन आपके संपूर्ण व्यक्तित्व का परीक्षण है। इससे आपकी संवेदना और आपकी सोच का पता चलता है।
कुछ आवश्यक सामग्री जो आपके निबंध-लेखन में लाभदायी होती है, उनमें नियमित रूप से अखबारों मे छपे संपादकीय लेख अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है, जो किसी विषय के प्रति आपकी समझ को विकसित करने में लाभकारी सिद्ध होते है।
इसके अतिरिक्त, कुछ प्रसिद्ध निबंधकारों के निबंध पढ़ें और समझने की कोशिश करें कि दिए गए विषय को लेखक ने किस प्रकार से तथा कितने आयामों में विभाजित किया है और उसके मनोभाव क्या रहे है? आवश्यक हो, तो आवश्यक बातों को नोट भी करें।
कुछ प्रसिद्ध महापुरुषों के कथन, शायरी तथा कविता भी याद कर लें। इनका एक संग्रह भी बना सकते है, खासकर:- गरीबी, न्याय, महिला, विज्ञान, धर्म एवं भ्रष्टाचार से जुड़े विषयों पर।
हिन्दी साहित्य में निबंध लेखन
हिन्दी साहित्य के आधुनिक युग में भारतेन्दु और उनके सहयोगियों से निबंध-लेखन की परम्परा का आरंभ होता है। निबंध ही नहीं, अपितु गद्य की कईं विधाओं का प्रचलन भारतेन्दु से होता है।
यह इस बात का प्रमाण है कि गद्य एवं उसकी विधाएं आधुनिक मनुष्य के स्वाधीन व्यक्तित्व के अधिक अनुकूल है। मोटे रूप में स्वाधीनता आधुनिक मनुष्य का केन्द्रीय भाव है। इस भाव के कारण परम्परा की रूढ़ियाँ दिखाई देती है।
सामयिक परिस्थितियों का दबाव अनुभव होता है। भविष्य की संभावनाएं खुलती हुई दिखाई देती है, इसी को ‘इतिहास-बोध’ कहा जाता है। भारतेन्दु युग का साहित्य इस इतिहास-बोध के कारण आधुनिक माना जाता है।
हिंदी के निबंधकार
हिंदी के सभी निबंधकारों के नामों की सूची निम्न प्रकार है:-
निबंध | निबंधकार |
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राजा भोज का सपना | शिवप्रसाद ‘सितारे-हिंद’ |
म्युनिसिपैलिटी के कारनामे, जनकस्य दण्ड, रसज्ञ रंजन, कवि और कविता, लेखांजलि, आत्मनिवेदन, सुतापराधे | महावीर प्रसाद द्विवेदी |
विक्रमोर्वशी की मूल कथा, अमंगल के स्थान में मंगल शब्द, मारेसि मोहि कुठाँव, कछुवा धर्म | चंद्रधर शर्मा गुलेरी |
शिवशंभू के चिट्ठे, चिट्ठे और खत | बालमुकुंद गुप्त |
निबंध नवनीत, खुशामद, आप, बात, भौं, प्रताप पीयूष | प्रतापनारायण मिश्र |
पद्म पराग, प्रबंध मंजरी में संकलित निबंध | पद्मसिंह शर्मा |
साहित्य सरोज, भट्ट निबंधावली (आँसू, रुचि, जात पाँत, सीमा रहस्य, आशा, चलन आदि), साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है (नि.) | बालकृष्ण भट्ट |
पाँचवें पैगम्बर | भारतेंदु |
मजदूरी और प्रेम, सच्ची वीरता, अमरीका का मस्त जोगी वाल्ट ह्विटमैन, पवित्रता, कन्यादान, आचरण की सभ्यता | सरदार पूर्णसिंह |
फिर निराशा क्यों, ठलुआ क्लब, मन की बातें, मेरी असफलताएँ, कुछ उथले कुछ गहरे | बाबू गुलाबराय |
चिंतामणि (चार भाग) में संकलित निबंध, कविता क्या है, साधारणीकरण और व्यक्ति-वैचित्र्यवाद | रामचंद्र शुक्ल |
पंचपात्र (संग्रह) | पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी |
कुछ (संग्रह) | शिवपूजन सहाय |
बुढ़ापा, गाली | ‘उग्र’ |
साहित्य देवता, अमीर देवता, गरीब देवता | माखनलाल चतुर्वेदी |
काव्य कला तथा अन्य निबंध, यथार्थवाद और छायावाद, रंगमंच, मौर्यों का राज्य परिवर्तन | प्रसाद |
साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध, श्रृंखला की कड़ियाँ, क्षणदा, संधिनी, चिंतन के क्षण | महादेवी वर्मा |
जड़ की बात, सोच विचार, मंथन, मैं और वे, साहित्य का श्रेय और प्रेय, इतस्तत:, पूर्वोदय | जैनेंद्र |
अशोक के फूल, कल्पलता, विचार और वितर्क, नाखून क्यों बढ़ते हैं, कुटज, पुनश्च, प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद, ठाकुर की बटोर, आम फिर बौरा गए, कुटज (नि.) | हजारी प्रसाद द्विवेदी |
मिट्टी की ओर, पंत, उजली आग, प्रसाद और मैथिलीशरण गुप्त, रेती के फूल, अर्द्धनारीश्वर | ‘दिनकर’ |
आधुनिक साहित्य, नया साहित्य : नये प्रश्न, हिंदी साहित्य : 20वीं शताब्दी, जयशंकर प्रसाद, प्रेमचंद | नंददुलारे वाजपेयी |
यौवन के द्वार पर, आस्था के चरण, चेतना के बिंब, छायावाद की परिभाषा, साधारणीकरण (नि.) | नगेंद्र |
गेहूँ और गुलाब, वंदे वाणी विनायकौ, लाल तारा | रामवृक्ष बेनीपुरी |
त्रिशंकु, आलवाल, हिंदी साहित्य : एक आधुनिक परिदृश्य, भवंती, लिखि कागद कोरे, आत्मपरक, सबरंग (ललित निबंध-संग्रह) | अज्ञेय |
धरती गाती है, एक युग : एक प्रतीक, रेखाएँ बोल उठीं | देवेंद्र सत्यार्थी |
चक्कर क्लब, बात-बात में मात, गांधीवाद की शव परीक्षा, न्याय का संघर्ष, देखा सोचा समझा | यशपाल |
जिंदगी मुस्कराई, बाजे पायलिया में घुंघुरू, महके आँगन चहके द्वार | कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर |
मंटो : मेरा दुश्मन | ‘अश्क’ |
खरगोश के सींग | प्रभाकर माचवे |
छितवन की छाँह, अंगद की नियति, तुम चंदन हम पानी, आँगन का पंछी और बंजारा मन, मैंने सिल पहुँचाई, कदम की फूली डाल, परंपरा बंधन नहीं, बसंत आ गया पर कोई बंधन नहीं, मेरा देश वापस लाओ, अग्निरथ | विद्यानिवास मिश्र |
नई कविता का आत्मसंघर्ष तथा अन्य निबंध, नये साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, समीक्षा की समस्याएँ, एक साहित्यिक की डायरी, कला का तीसरा बाण, शमशेर : मेरी दृष्टि में, कलाकार की व्यक्तिगत ईमानदारी, सौंदर्य प्रतीति की प्रक्रिया, कलात्मक अनुभव, उर्वशी : मनोविज्ञान, उर्वशी : दर्शन और काव्य, मध्ययुगीन भक्ति आंदोलन का एक पहलू | मुक्तिबोध |
ठेले पर हिमालय, पश्यंती, कहनी-अनकहनी, रामजी की चींटी : रामजी का शेर | धर्मवीर भारती |
शिखरों के सेतु | शिवप्रसाद सिंह |
निठल्ले की डायरी, भूत के पाँव, सदाचार का तावीज, ठिठुरता गणतंत्र, जैसे उनके दिन फिरे, सुनो भाई साधो, विकलांग श्रद्धा का दौर, पगडंडियों का जमाना | हरिशंकर परसाई |
प्रिया नीलकंठी, रस आखेटक, गंधमादन, विषादयोग | कुबेरनाथ राय |
चिंतन के क्षण | विजयेंद्र स्नातक |
इतिहास और आलोचना, बकलम खुद | नामवर सिंह |
शब्द और स्मृति, कला और जोखिम, ढलान से उतरते हुए | निर्मल वर्मा |
हमारे आराध्य, साहित्य और जीवन | बनारसी दास चतुर्वेदी |
नए प्रतिमान : पुराने निकष | लक्ष्मीकांत वर्मा |
बेहया का जंगल | कृष्ण बिहारी |
लघुमानव के बहाने हिंदी कविता पर बहस, शमशेर की काव्यानुभूति की बनावट | विजयदेव नारायण साही |
निबंध-लेखन के उदाहरण
निबंध लेखन के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
हिंदी में निबंध : Essay in Hindi
निबंध-लेखन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
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निबंध-लेखन की परिभाषा क्या है?
वह गद्य रचना, जिसमें एक सीमित आकार में किसी एक विषय का वर्णन एवं प्रतिपादन एक विशेष निजीपन, स्वच्छन्दता, सजीवता, संगति तथा सुसम्बद्धता के साथ किया जाता है, उसे ‘निबंध’ कहते है।
-
निबंध-लेखन के कितने प्रकार है?
निबंध-लेखन के कुल 3 प्रकार है, जो कि निम्नलिखित है:-
1. वर्णनात्मक निबंध लेखन
2. विवरणात्मक निबंध लेखन
3. विचारात्मक निबंध लेखन -
निबंध-लेखन के कितने अंग है?
निबंध-लेखन के कुल 4 अंग है, जो कि निम्नलिखित है:-
1. शीर्षक
2. प्रस्तावना
3. विषय विस्तार
4. उपसंहार
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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