संबंध कारक की परिभाषा, नियम और उदाहरण

संबंध कारक की परिभाषा : Sambandh Karak in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘संबंध कारक की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप संबंध कारक से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
संबंध कारक की परिभाषा : Sambandh Karak in Hindi
शब्द के जिस रूप से किसी एक वस्तु का संबंध किसी दूसरी वस्तु से प्रकट होता है, उसे ‘संबंध कारक’ कहते है। इसका विभक्ति चिह्न ‘का, के, की, रा, रे, री’ है। इसकी विभक्तियाँ संज्ञा, लिंग व वचन के अनुसार परिवर्तित होती है।
संबंध कारक के उदाहरण
संबंध कारक के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
उदाहरण 1
राम का भाई आया है। |
स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त उदाहरण में ‘राम’ तथा ‘भाई’ दोनों संज्ञा के शब्द है। भाई से राम का संबध दिखाया गया है। इससे यह प्रश्न जागृत है कि किसका भाई आया है? तो इस प्रश्न का उत्तर ‘राम’ है। अतः यहाँ पर ‘राम का’ संबध कारक है।
उदाहरण 2
श्याम का मकान छोटा है। |
संबंध कारक के प्रयोग के नियम
संबंध कारक के प्रयोग के सभी नियम निम्न प्रकार है:-
- संबंध कारक का विभक्ति-चिह्न ‘का’ होता है। वचन तथा लिंग के अनुसार इसकी विकृति ‘के’ और ‘की’ है। संबंध कारक से अधिकतर, कर्तृत्व, कार्य-कारण, मोल-भाव, परिमाण, दृष्टव्य, आदि का बोध होता है।
जैसे:-
अधिकतर | राम की किताब, श्याम का घर। |
कर्तृत्व | प्रेमचन्द्र के उपन्यास, भारतेन्दु के नाटक। |
कार्य-करण | चाँदी की थाली, सोने का गहना। |
मोल-भाव | एक रुपए का चावल, पाँच रुपए का घी। |
परिमाण | चार भर का हार, सौ मील की दूरी, पाँच हाथ की लाठी। |
दृष्टव्य | राम वाली किताब, श्याम वाला घर, प्रेमचन्द वाले उपन्यास, चाँदी वाली थाली। |
- कुछ मुहावरेदार वाक्यों में भी विभक्ति-चिह्न ‘का’ का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
दिन के दिन | महीने के महीने |
होली की होली | दीवाली की दीवाली |
रात की रात | दोपहर के दोपहर |
कान का कच्चा | बात का पक्का |
आँख का अन्धा | गाँठ का पूरा |
बात का धनी | दिल का सच्चा |
वह अब आने का नहीं | मैं अब जाने का नहीं |
वह टिकने का नहीं | वह उठने का नहीं |
- अन्य कारक के अर्थ में भी संबंध कारक के विभक्ति-चिह्न ‘का’ का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
जन्म का भिखारी = जन्म से भिखारी (करण) |
हिमालय का चढ़ना = हिमालय पर चढ़ना (अधिकरण) |
- संबंध, अधिकार और देने के अर्थ में संबंध कारक के विभक्ति-चिह्न ‘का’ का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
राम को बाल-बच्चा नहीं है। |
श्याम की बहन हुई है। |
राजा के आँखें नहीं होती, सिर्फ कान होते है। |
रावण ने विभीषण को लात मारी। |
ब्राह्मण को दक्षिणा दो। |
- सर्वनाम की स्थिति में संबंध कारक का प्रत्यय रा-रे-री और ना-ने-नी हो जाता है।
जैसे:-
मेरा लड़का | मेरी लड़की |
तुम्हारा घर | तुम्हारी पगड़ी |
अपना भरोसा | अपनी रोजी |
संबंध कारक से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
-
संबंध कारक की परिभाषा क्या है?
शब्द के जिस रूप से किसी एक वस्तु का संबंध किसी दूसरी वस्तु से प्रकट होता है, उसे ‘संबंध कारक’ कहते है। इसका विभक्ति चिह्न ‘का, के, की, रा, रे, री’ है। इसकी विभक्तियाँ संज्ञा, लिंग व वचन के अनुसार परिवर्तित होती है।
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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