मानवाधिकार पर निबंध

मानवाधिकार पर निबंध : Essay on Human Rights in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘मानवाधिकार पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप मानवाधिकार पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
प्रस्तावना:-
मानवाधिकार वह अधिकार होते है, जो मनुष्य को पैदा होते ही प्राप्त हो जाते है। यें सार्वभौमिक अधिकार होते है, जो कि प्रत्येक मनुष्य को प्राप्त होते है, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, लिंग का ही क्यों न हो।
इसमें मनुष्य को कुछ मौलिक अधिकार दिए गए है, जिससे वह अपना जीवन स्वतंत्रतापूर्वक रूप से जी सके। यें अधिकार उन्हें कानून द्वारा दिए गए है।
यें मनुष्य के लिए बुनियादी अधिकार होते है, जो उसे बिना किसी भेदभाव के दिए जाते है। यें प्रत्येक मनुष्य के अधिकार है, जिसे संविधान के द्वारा प्रत्येक मनुष्य को प्रदान किये गए है।
मौलिक अधिकार:-
मौलिक अधिकार मानवाधिकार होते है, जो प्रत्येक मनुष्य को दिए जाते है। सभी मानवाधिकार निम्नलिखित है:-
- समानता का अधिकार:- इस देश में प्रत्येक व्यक्ति को समानता अर्थात समान व्यवहार का अधिकार प्राप्त है। अर्थात चाहे वह किसी भी जाति या धर्म का हो, उसके साथ समान व्यवहार ही किया जाएगा। उसे भी सामाजिक व कानूनी रूप से समानता दी जाएगी।
भारतीय संविधान में अनुच्छेद 14 से 18 के अंतर्गत भारत के सभी नागरिकों को समानता का अधिकार दिया गया है, जिसका प्रयोग वह कभी भी कर सकते है। - स्वतंत्रता का अधिकार:-
प्रत्येक मनुष्य को स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है अर्थात वह अपना जीवन स्वतंत्रतापूर्वक रूप से जी सकता है। स्वतंत्रता के अधिकार में व्यक्ति को बोलने व अपने अनुसार कार्य करने का अधिकार है। वह व्यक्ति देश में किसी भी जगह पर जा सकता है और वहाँ जाकर निवास भी कर सकता है। वह किसी भी प्रकार का संघ बना सकता है, लेकिन वह संघ देश-विरोधी नहीं होना चाहिए। भारत के संविधान में अनुच्छेद 19 से 22 तक के मौलिक अधिकारों में प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। इस अधिकार से व्यक्ति बिना किसी डर के किसी के समक्ष भी अपनी बात रख सकता है, भारतीय संविधान उस व्यक्ति को इस बात का अधिकार प्रदान करता है। - शोषण के विरुद्ध अधिकार:- व्यक्ति को शोषण के ख़िलाफ़ अधिकार दिया गया है अर्थात यदि व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का शोषण किया जाता है, तो व्यक्ति को इसके खिलाफ अपनी आवाज उठा सकता है। बच्चों से कारखाने या खनन के कार्य करवाना, जिनमें किसी भी प्रकार का जोखिम हो, तो उसे अपराध माना जाएगा। व्यक्ति अपने साथ होने वाले किसी भी शोषण के खिलाफ न्याय की मांग कर सकता है, भारतीय संविधान उसे यह अधिकार देता है। भारतीय संविधान 23 व 24 के मौलिक अधिकारों में भारत के नागरिकों को शोषण के खिलाफ अधिकार दिया गया है, ताकि वह इसके खिलाफ आवाज उठा सके।
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार:- इसके अंतर्गत भारत के नागरिक किसी भी धर्म को मानकर उसका प्रचार-प्रसार कर सकते है। वह अपने धर्म के संस्थानों की स्थापना भी कर सकते है। वह अपने धर्म के अनुसार अपना जीवन जी सकते है और उसे अपने घार्मिक कार्यों को करने से कोई नहीं रोक सकता है। लेकिन, शिक्षण संस्थानों में धार्मिक शिक्षा देना अपराध है। विद्यार्थियों को किसी भी धर्म को चुननें के लिए आप बाध्य नहीं कर सकते है।
- शिक्षा का अधिकार:- प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। व्यक्ति किसी भी जाति, धर्म, भाषा, वेशभूषा व संस्कृति का क्यों न हो, उसे शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। उसे कोई भी सरकार शैक्षणिक संस्था जाने से रोक नहीं सकती है। किसी भी व्यक्ति को यदि शिक्षा प्राप्त करने से रोका जाता है, तो इसे अपराध माना जाएगा। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 29 व 30 के मौलिक अधिकारों में भारत के प्रत्येक व्यक्ति को संस्कृति व शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है।
- संवैधानिक अधिकार:- इसके अंतर्गत मौलिक अधिकारों को परिवर्तित करने के लिए भारत के नागरिक उच्च न्यायालय में आवेदन कर सकते है। यह अधिकार सभी मौलिक अधिकारों में सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है। इसे संविधान की आत्मा व ह्रदय भी कहा जाता है। इसे भारत के संविधान 32 के अंतर्गत रखा गया है। जिसके अंतर्गत नागरिक कभी भी अधिकारों को परिवर्तित कर सकता है।
मानवाधिकार का महत्व:-
यें मानवाधिकार मनुष्य के लिए काफी महत्व रखते है। यें अधिकार ही आज हमें इस देश में स्वतंत्रता प्रदान करते है, जिन्हें हमनें भारतीय संविधान से प्राप्त किया है।
इन अधिकारों की बदौलत हम आज बिना डर के अपनी बात रख सकते है। आज यें अधिकार ही है, जिनसे हम किसी भी शोषण के खिलाफ आवाज उठा सकते है और न्यायालय में जाकर न्याय मांग सकते है।
इस देश में प्रत्येक व्यक्ति धार्मिक रूप से स्वतंत्र है और अपने अनुसार किसी भी धर्म का पालन कर सकता है और अपने अनुसार जीवन जी सकता है।
यें अधिकार ही है, जो हमें आज अपनी इच्छानुसार किसी भी क्षेत्र में निवास करने का अधिकार देता है। आज हम सभी बिना भेदभाव के शिक्षा प्राप्त कर सकते है।
यें अधिकार ही हमें एक लोकतान्त्रिक देश बनाते है, यदि यें अधिकार मनुष्य को प्राप्त न हो, तो वह एक कैदी की तरह ही है।
मानव अधिकार की शुरुआत:-
भारत में मानववाधिकार की शुरुआत 28 सितम्बर 1993 में की गई थी और 12 अक्टूबर 1993 में सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया था। जिससे सभी लोग अपना जीवन स्वतंत्रतापूर्वक रूप से जी सके।
मानवाधिकारों का गठन मानव को उनके अधिकार देने के लिए किया गया था, ताकि सभी लोग स्वतंत्रतापूर्वक रूप से अपना जीवन जी सके और किसी भी शोषण का शिकार न हो। मनुष्य ने हमेशा ही अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ी है।
उपसंहार:-
10 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। यें अधिकार हमारे जीवन का मूल है, जिनसे हम स्वयं को आज इतना सुरक्षित महसूस करते है। पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवाधिकारों की घोषणा 10 दिसम्बर 1950 को की थी।
मानवाधिकार दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है, ताकि लोग अपने अधिकारों को जान सके और उनका प्रयोग कर सके।
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।