प्रेरणार्थक क्रिया की परिभाषा, भेद और उदाहरण

प्रेरणार्थक क्रिया की परिभाषा : Prernarthak Kriya in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘प्रेरणार्थक क्रिया की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप प्रेरणार्थक क्रिया की परिभाषा से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
प्रेरणार्थक क्रिया की परिभाषा : Prernarthak Kriya in Hindi
मूल धातु का वह विकृत रूप, जिससे क्रिया के व्यापार में कर्ता (प्रेरित कर्ता) पर किसी (प्रेरक कर्ता) की प्रेरणा का बोध होता है, उसे ‘प्रेरणार्थक क्रिया’ कहते है।
जैसे:- करवाना, कटवाना, पिलवाना, पढ़वाना, लिखवाना, खिलवाना, सुनाना, बोलवाना, पिलवाता, पिलवाती, आदि।
प्रेरणार्थक क्रिया की रचना ‘सकर्मक’ एवं ‘अकर्मक’ दोनों प्रकार की क्रियाओं से हो सकती है, लेकिन प्रेरणार्थक क्रिया बन जाने के बाद वह सदैव सकर्मक क्रिया ही होगी।
प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण
प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण |
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अजय विजय से पानी करवाता है। |
राम बच्चों से कार्य करवाता है। |
अध्यापक बच्चों से पाठ पढ़वाता है। |
अजय आज रामु काका से कार धुलवाना। |
आज तुम पकैया से खाना बनवाना। |
प्रेरणार्थक क्रिया में कर्ता
प्रेरणार्थक क्रिया में कुल 2 कर्ता होते है, जो कि निम्नलिखित है:-
1. प्रेरक कर्ता
वह कर्ता, जो किसी अन्य को प्रेरणा देता है अर्थात प्रेरणा प्रदान करता है, उसे ‘प्रेरक कर्ता’ कहते है।
जैसे:- मालिक, अध्यापिका, आदि।
2. प्रेरित कर्ता
वह कर्ता, जो किसी अन्य से प्रेरणा लेता है अर्थात प्रेरणा प्राप्त करता है, उसे ‘प्रेरित कर्ता’ कहते है।
जैसे:- नौकर, छात्र, आदि।
प्रेरणार्थक क्रिया के रूप
प्रेरणार्थक क्रिया के कुल 2 रूप है, जो कि निम्न प्रकार है:-
प्रेरणार्थक क्रिया के रूप |
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प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया |
द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया |
1. प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया
प्रेरणार्थक क्रिया का वह रूप, जिसमें ‘कर्ता’ प्रेरक बनकर प्रेरणा देता है, उसे ‘प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया’ कहते है। ये सभी क्रियाएँ ‘सकर्मक’ होती है।
अन्य शब्दों में:- प्रेरणार्थक क्रिया का वह रूप, जिसमें कर्ता स्वयं भी कार्य में सम्मिलित होता हुआ कार्य करने की प्रेरणा देता है, उसे ‘प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया’ कहते है।
उदाहरण के तौर पर, “राम सभी को खाना खिलाता है।” इस वाक्य में राम द्वारा खाना खिलाये जाने पर खाने का कार्य किसी अन्य व्यक्ति अथवा व्यक्तियों द्वारा किया गया है।
प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण
प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण |
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राम सभी को संगीत सुनाता है। |
अजय अपने मित्र से ख़त लिखवाता है। |
माँ अपने बच्चे को दूध पिलाती है। |
मालिक अपने नौकर से कपड़े धुलवाता है। |
सीता अपनी नौकरानी से खाना बनवाती है। |
सर्कस में जोकर अपने हाथी से करतब करवाता है। |
2. द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया
प्रेरणार्थक क्रिया का वह रूप, जिसमें ‘कर्ता’ स्वयं कार्य न करके दूसरों को कार्य करने की प्रेरणा देता है, उसे ‘द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया’ कहते है।
उदाहरण के तौर पर:- “राम अध्यापक से विद्यार्थियों की पिटाई करवाता है।” इस वाक्य में राम अध्यापक को प्रेरणा दे रहा है कि वह बच्चों की पिटाई करें। अतः इस वाक्य में ‘द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया’ होगी।
द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण
द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया के उदाहरण |
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अजय विजय से बच्चों को हँसवाता है। |
माँ आज शीला से खाने में दाल बनवाना। |
सुरेश अध्यापक से बच्चों को अंग्रेजी सिखवाता है। |
विकास आज नौकर से कपड़े धुलवाना। |
आज आप विजय से खाना बनवाना। |
सर्कस में जोकर अपने हाथी से करतब करवाता है। |
प्रेरणार्थक क्रिया के बनाने के नियम
प्रेरणार्थक क्रिया बनाने के सभी नियम निम्नलिखित है:-
नियम 1
प्रेरणार्थक क्रिया बनाने के इस नियम के अंतर्गत, मूल धातु के अंत में ‘आना‘ प्रत्यय जोड़ने से प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया का रूप एवं मूल धातु के अंत में ‘वाना‘ प्रत्यय जोड़ने से द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया का रूप बनता है।
उदाहरण
इस नियम के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
मूल धातु | प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया का रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया का रूप |
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उठ | उठाना | उठवाना |
गिर | गिराना | गिरवाना |
कट | काटना | कटवाना |
पढ़ | पढ़ाना | पढ़वाना |
सुन | सुनाना | सुनवाना |
चल | चलाना | चलवाना |
नियम 2
प्रेरणार्थक क्रिया बनाने के इस नियम के अंतर्गत, दो अक्षरों वाली मूल धातु में ‘ऐ‘ तथा ‘औ‘ को अतिरिक्त सभी स्वर मात्राओं के लघु रूप का दीर्घ रूप हो जाता है।
उदाहरण
इस नियम के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
मूल धातु | प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया का रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया का रूप |
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ओढ़णा | उढ़ाणा | उढ़वाणा |
जागना | जगाना | जगवाना |
जीतना | जिताना | जितवाना |
डूबना | डुबाना | डुबवाना |
बोलना | बुलाना | बुलवाना |
नियम 3
प्रेरणार्थक क्रिया बनाने के इस नियम के अंतर्गत, एक अक्षर वाली घातु के अंत में ‘ला‘ एवं ‘लवा‘ प्रत्यय जोड़कर दीर्घ स्वर मात्रा को लघु मात्रा में परिवर्तित कर दिया जाता है।
उदाहरण
इस नियम के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
मूल धातु | प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया का रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया का रूप |
---|---|---|
खाना | खिलाना | खिलवाना |
देना | दिलाना | दिलवाना |
पीना | पिलाना | पिलवाना |
सीना | सिलाना | सिलवाना |
सोना | सुलाना | सुलवाना |
प्रेरणार्थक क्रिया से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
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प्रेरणार्थक क्रिया की परिभाषा क्या है?
मूल धातु का वह विकृत रूप, जिससे क्रिया के व्यापार में कर्ता (प्रेरित कर्ता) पर किसी (प्रेरक कर्ता) की प्रेरणा का बोध होता है, उसे ‘प्रेरणार्थक क्रिया’ कहते है।
जैसे:- करवाना, कटवाना, पिलवाना, पढ़वाना, लिखवाना, खिलवाना, सुनाना, बोलवाना, पिलवाता, पिलवाती, आदि।
प्रेरणार्थक क्रिया की रचना ‘सकर्मक’ एवं ‘अकर्मक’ दोनों प्रकार की क्रियाओं से हो सकती है, लेकिन प्रेरणार्थक क्रिया बन जाने के बाद वह सदैव सकर्मक क्रिया ही होगी। -
प्रेरणार्थक क्रिया की पहचान कैसे की जाती है?
प्रेरणार्थक क्रिया की पहचान करने के लिए वाक्य में प्रेरणा का भाव, प्रेरित कर्ता व प्रेरक कर्ता को देखना चाहिए।
यदि वाक्य में किसी को प्रेरणा देने का भाव तथा प्रेरित कर्ता एवं प्रेरक कर्ता है, तो वहाँ ‘प्रेरणार्थक क्रिया’ होगी। -
‘खेलना’ शब्द का प्रथम व द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया का रूप क्या है?
‘खेलना’ शब्द का प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया का रूप ‘खिलाना’ तथा द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया का रूप ‘खिलवाना’ होता है।
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‘पढ़ना’ शब्द का प्रथम व द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया का रूप क्या है?
‘पढ़ना’ शब्द का प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया का रूप ‘पढ़ाना’ तथा द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया का रूप ‘पढ़वाना’ होता है।
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प्रेरणार्थक क्रिया के कितने रूप है?
प्रेरणार्थक क्रिया के कुल 2 रूप है, जो कि निम्न प्रकार है:-
1. प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया
2. द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया -
प्रेरणार्थक क्रिया में कितने कर्ता होते है?
प्रेरणार्थक क्रिया में कुल 2 कर्ता होते है, जो कि निम्नलिखित है:-
1. प्रेरक कर्ता
2. प्रेरित कर्ता
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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