दिवाली पर निबंध

Essay on Diwali in Hindi

दिवाली पर निबंध : Essay on Diwali in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘दिवाली पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप दिवाली पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

दिवाली पर निबंध : Essay on Diwali in Hindi

प्रस्तावना:-

दिवाली हिन्दुओं का एक पवित्र त्यौहार माना जाता है, जो कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इसे दीपों का त्यौहार भी कहा जाता है।

इस दिन लोग चारों तरफ दीप जलाकर अमावस्या की काली रात को भी रोशनी से भर देते है। इसे सम्पूर्ण भारत वर्ष में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।

इसे भगवान राम के अयोध्या लौटने की ख़ुशी में मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और पूरे घर को रोशनी से सजाया जाता है।

यह त्यौहार हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है और लोग इसे काफी महत्व देते है। यह पांच दिन तक चलने वाला त्यौहार होता है।

दिवाली का इतिहास:-

दिवाली मनाने के पीछे एक कथा प्रसिद्ध है, जिसके अनुसार इस दिन भगवान राम वनवास से अपने घर लोटे थे। वह रावण को मारकर पुष्पक विमान से अपने साथियों एवं भाई लक्ष्मण व माता सीता के साथ पूरे चौदह वर्षों के बाद अयोध्या लौटे थे।

इससे अयोध्यावासी काफी खुश थे। उस दिन अमावस्या की रात होने के कारण चारों तरफ अंधकार था।

ऐसे में अयोध्यावासियों ने सम्पूर्ण राज्य में भगवान राम के लौटने की ख़ुशी में घी के दीपक जलाकर रोशनी की थी और उनका भव्य स्वागत किया था।

इसलिए लोग भगवान राम के अयोध्या लौटने की ख़ुशी में प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन चारों तरफ दीपक जलाते है और इसे एक त्यौहार की तरह मनाते है।

दिवाली की तैयारियां:-

दिवाली एक ऐसा त्यौहार है, जिसकी तैयारी इसके आने के कईं दिनों पहले से ही शुरू हो जाती है। लोग दिवाली आने से पहले ही अपने धारों की साफ-सफाई शुरू कर देते है और धारों को बिलकुल साफ-सुथरा बना देते है।

धारों के दरवाजों पर अशोक के पत्तों की मालाएं लगाते है। इसके बाद धारों में लाइटों की सजावट की जाती है और भी अलग-अलग वस्तुओं से घर को सजाया जाता है।

सभी लोग अपने लिए नए-नए कपडे खरीद लेते है, जिन्हें वें दिवाली के दिन पहनते है। दिवाली के लिए मिठाइयाँ व अलग-अलग पकवान तैयार किये जाते है।

दिवाली की पूजा की विधि:-

सबसे पहले उत्तर दिशा की और किसी भी स्थान को बिलकुल साफ करें और उसमें एक लाल कपडा बिछाएं।

जिस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति विराजमान करें और इसके साथ-साथ इसके दोनों तरफ भगवान गणेश एवं माता सरस्वती की मूर्ति भी विराजमान करें। इनममें जल का छिड़काव करें।

उसके बाद उन पर आभूषण, धूप, दीप, गंध एवं अक्षत को चढ़ाएं। उन पर तिलक लगाकर उन पर फल, फूल एवं मिठाइयों का भोग लगाए। उसके बाद सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें।

पूजा समाप्त होने के बाद दीप जलाकर उससे पूरे घर को सजाए, इसी तरह पूजा समाप्त हो जाती है। इसके बाद आप सभी लोगों से मिलने जा सकते है।

दिवाली का पर्व मनाना:-

दिवाली को बड़े की उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग सुबह से ही धारों को सजाना व खरीददारी करना शुरू कर देते है।

सभी लोग पकवान बनाते है। इसके बाद सभी लोग नहा-धोकर नए कपडे पहनते है और पूजा करते है। पूजा करने के बाद लोग एक-दूसरे से मिलने के लिए जाते है और साथ में पकवान खाते है।

सभी बच्चे पटाखें जलाते है और मौजमस्ती करते है। इस दिन सभी लोग एक-दूसरे से मिलते है और साथ में त्यौहार मनाते है।

उपसंहार:-

भारत में कईं त्यौहार मनाये जाते है, इन्हीं में से एक दिवाली का त्यौहार है। इस दिन चारों तरफ प्रकाश ही प्रकाश रहता है। लोग आतिशबाजियाँ करते है।

सभी लोग काफी मौजमस्ती करते है लेकिन, इसके साथ-साथ दिवाली के पर्व के कईं नुकसान भी होते है।

जब लोग पठाखें जलाते है तो कईं बार उससे आग लगने का खतरा भी होता है और चोट भी लग सकती है। इसके साथ ही पठाखों से काफ़ी प्रदूषण भी होता है, जो हमारी इस पृथ्वी के लिए काफी हानिकारक है।

इसलिए हमें यह प्रयास करना चाहिए कि हम दिवाली पर पटाखों का उपयोग कम से कम करें, जिससे प्रदूषण भी कम हो। हम अन्य तरीकों से दिवाली का पर्व मना सकते है।

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अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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